Nov 12, 2024

दोनों हाथों में लड्डू


दोनों हाथों में लड्डू  








आज जैसे ही तोताराम बैठा, हमने कहा- तोताराम,  मोदी जी के तो मजे ही मजे हैं । 

बोला- जब देश-दुनिया की जिम्मेदारी उठानी पड़े तो पता चले कि इस मजे में क्या मज़ा है ? मजे तो तेरे हैं । रोज सुबह उठकर दस कदम चलकर बरामदे में आ बैठता है, चाय पी लेता है । जाड़े में तो यह दस कदम भी नहीं चलना । मोदी जी की तरह दिन रात जाने कहाँ कहाँ की चिंता हो तो पता चले । अभी अभी किसी तरह अमेरिका में ट्रम्प को चुनाव जिताया नहीं कि अभी महाराष्ट्र का महाभारत बाकी ही है । किसी तरह 'एक देश एक चुनाव' हो जाए तो कम से कम पाँच साल तो चैन मिले । वैसे जब सबसे अच्छा विकल्प मिल ही गया तो यह रोज रोज का कैसा झंझट । बना दें आजीवन प्रधानसेवक । यह जनता दीखती मूरख है लेकिन है बहुत बदमाश । 400 पार करवा देती तो नहा जाते गंगा मगर कहाँ ला पटका 240 पर । अब सहो नायडू के नखरे ।और नीतीश ! पता नहीं कब किधर लुढ़क जाए । 

हमने कहा- तू बिना बात मोदी जी को लेकर परेशान हो रहा है । मोदी जी बहुत चतुर हैं । दोनों हाथों में लड्डू रखते हैं । कोई भी जीते, कुछ न कुछ कनेक्शन निकाल ही लेते हैं । शांतिनिकेतन गए तो भारत के पहले आई सी एस, गुरुदेव के बड़े भाई सत्येन्द्रनाथ का गुजरात कनेक्शन निकाल लिया जो अहमदाबाद में मजिस्ट्रेट रहे थे और उनकी पत्नी ने गुजराती महिलाओं को उलटे पल्लू की साड़ी पहनना सिखाया था । 

बोला- ऐसी रिसर्च करना क्या सब के वश का काम है ? लोगों को तो भारत के जिलों और उनकी राजधानियों के नामों तक का पता नहीं है । लेकिन अमेरिका वाला मामला था बहुत वैसा । 

हमने कहा- क्या ऐसा वैसा । ट्रम्प तो उनके पुराने मित्र हैं ही । अब तो भारत के दामाद वेंस उपराष्ट्रपति बन गए हैं । अगर ट्रम्प हार भी जाते तो कमला भी उषा वेंस (चिलुकुरी ) की तरह ब्राह्मण है । उसके पति डगलस एमहाफ़ दामाद होते । और फिर कमला से ही तो कमल भी तो बनाता ही । तभी तो हमने कहा मोदी जी दोनों हाथों में लड्डू रखते हैं । 

पहले सुनक दामाद था तो उससे पहले बोरिस जॉनसन को भी घुमा फिराकर दामाद ठहरा  दिया था । काम होता है तो ज्योतिरादित्य सिंधिया को गुजरात का दामाद बना लेते हैं । कभी किसी के दामाद बनकर भी तो दिखाएं । 

बोला- लेकिन मोदी जी परिवारवादी नहीं हैं । कुछ दिनों की बात और है लेकिन अंततः सबको ठिकाने लगा देते हैं । चिराग, ज्योतिरादित्य कोई भी हो एक दिन नाकारा बना कर छोड़ देंगे । उनके लिए तो कंट्री फर्स्ट है । लेकिन दोनों हाथों में लड्डू रखकर बेलेन्स बनाए रखना कितना कठिन है तुझे क्या पता ? जब एक भी हाथ फ्री नहीं हो तो कोई भी कुछ भी करके भाग जा सकता है । 

हमने कहा- यह बात तो ठीक है । कहानी में चमगादड़ के साथ भी तो यही हुआ था जो एक बार खुद को उड़ने वाला बताकर जीतने वाले पक्षियों में मिल गया था और इसी तरह खुद अंडे से पैदा न होने वाला पशु बताकर जीतने वाले पशुओं के साथ मिल गया था । अंत में जब पशु-पक्षियों दोनों को उसकी बदमाशी समझ में आई तो उन्होंने चमगादड़ का जो हाल किया वह सबको पता है । जब सारी दुनिया सूर्य के प्रकाश में आनंद मानती है तो चमगादड़ अंधेरे में कहीं सुनसान जगह में उल्टा लटका पड़ा रहता है ।  



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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