Nov 1, 2008

मास्टर ब्लास्टर एंड मास्टर

प्रिय सचिन,
आशीष और पैंतीसवे जन्मदिन की बधाई | तुम क्रिकेट के मास्टर हो, और हिन्दी के भूतपूर्व मास्टर | तुम ब्लास्टर हो पर हमने ब्लास्ट करने जैसी कोई आतंकवादी गतिविधि अंजाम नहीं दी | तुमने पिच पर चौके लगाए और हमने बच्चों की कापियों में स्पेलिंग की गलतियाँ साफ़ करने के चोके लगाए | तुमने बहुत शतक लगाए तो हमने भी हमेशा शत-प्रतिशत परिणाम देकर चालीस वर्षों में सैंकडों शतक लगाए हैं | पिच पर लगे शतक और मिलनेवाली रकम का हिसाब लगाया जाए तो एक शतक करोड़ों का बैठता है | जबकि हमें सैंकडों शतकों के बावजूद एक भी एक्स्ट्रा इन्क्रीमेंट नहीं मिला | वही सूखी तनख्वाह |

तुमने साफ़ कह दिया कि अभी संन्यास लेने का कोई इरादा नहीं है, वरना तो जाने कितने लोग पवार सा'ब को घेर लेते और उनके अन्न उत्पादन के काम में बाधा डालने लग जाते | यूँ तो गली-गली में बच्चे धूप में दौड़-धूप करके सचिन बनने के सपने देखते हैं पर सबके जुगाड़ कहाँ फिट हो पाते हैं | तुम घायल हुए, ज़ीरो पर आउट हुए, अनफिट हुए, पर किसी प्रकार पिच से चिपके रहे | जामे ही रहना चाहिए | हमारी बात और है, फिट होते हुए भी, साथ के होते ही सरकार ने रिटायर कर दिया | अब किसी स्कूल में दो हज़ार की मास्टरी करो वह मज़ा कहाँ | वैसे ही जैसे तुम किसी स्कूल में पी.टी.आई. बन जाओ या अपने होटल में खाना परोसो |

तुम ही क्यों संन्यास लो? छियासठ बरस के अमिताभ 'मेरी मखणा' गा रहे हैं | अस्सी के अडवाणी प्रधानमंत्री बनने का ख़्वाब देख रहे हैं, संसद के सामने श्रंखला बना रहे हैं तो तुम श्रंखला खेलना क्यों छोडो? व्यक्ति को कमाई के धंधे कि पिच पर पिचक जाने के बाद भी चिपके रहना चाहिए| लोगों का काम है कहना, कुछ तो लोग कहेंगे | ऐसी बातों के समय हीयरिंग-एड निकाल कर जेब में रख लेनी चाहिए | लोग तो पैंसठ साल नौकरी करने के बाद भी मंत्री बन जाते हैं और तुम उनके पोतों की उमर्में संन्यास ले लो ! ख़ुद तो एक पेंशन पेल रहे हैं राजनीति में पिटने के बाद सांसद की पेंशन पेलेंगे | तुम्हारी कौनसी पेंशन है | जब तक खेलो तब तक दिहाड़ी और तभी तक विज्ञापन बाद में कौन पूछता है | वर्ल्ड कपविजेता कपिल देव को मैच देखने का पास तक नहीं दिया |

रन का क्या, बने, न बने | और वैसे भी आजकल मैच देखने कौन जाता है ? लोग तो चीयर-गर्ल्स को देखने ज़्यादा जाते हैं जैसे मेले में मूर्ति के दर्शन करने कम और जूते चुराने, जेब काटने, और गोलगप्पे खाने ज़्यादा लोग जाते हैं |

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(२५-अप्रेल-२००८ सीमा संदेश,श्रीगंगानगर से प्रकाशित )

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Jhootha Sach

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