बड़े-बड़ों की नाक
(दिल्ली में कई दिग्गज आम आदमी पार्टी की झाड़ू से साफ़ - ८ दिसंबर २०१३ )
‘आप-आप’ कह कर किया, कल तक बहुत मज़ाक |
हँसी-हँसी में कट गई बड़े-बड़ों की नाक |
बड़े-बड़ों की नाक, कलेजे काँप रहे हैं |
आने वाले संकट को सब भाँप रहे हैं |
कह जोशी कविराय रहे जो सदा जुगाड़ू |
उन्हें डराती ‘आम आदमी’ वाली झाड़ू |
मिलकर झाड़ू बनेअलग-अलग तिनके रहें, कोई तोड़ गिराय |
पर मिलकर झाड़ू बनें तो भारी पड़ जाय |
तो भारी पड़ जाय, सिंहासन साफ़ करेगी |
नहीं किसी भ्रष्टाचारी को माफ़ करेगी |
कह जोशी कविराय, करें जो आज समर्थन |
वही करेंगे टाँग खींचने के आयोजन |
घटिया का साथघटिया को दें-लें नहीं, कभी समर्थन आप |
जाने कब जी के लिए, खड़ा करे सन्ताप |
खड़ा करे सन्ताप, गधे को बाप बनाए |
मतलब निकला सगे बाप को गधा बताए |
कह जोशी कविराय दूध के साथ खटाई |
नहीं निभी कल और आज भी निभे न भाई |
सबको मोर बना दोझाड़ू में गुण बहुत हैं सदा राखिए संग |
हर रण भ्रष्टाचार से यही जिताए जंग |
यही जिताए जंग, कुँए में पड़ी भंग है |
इन जोंकों-दुष्टों से जनता बड़ी तंग है |
जोशी झाड़ू उठा राह पर सबको ला दो |
ना मानें तो घुसा सभी को मोर बना दो |
रांड की आशीष (कांग्रेस का 'आप' को अब दो महीने में वादे पूरे कर दिखाने का चेलेंज - २३ दिसंबर २०१३)
कर न सके छः दशक में अपने दादा-बाप |
कर दिखलाए वह सभी दो महिने में 'आप' |
दो महिने में 'आप', उगे कर-तल पर सरसों |
नौ महिने की जगह बने बच्चा कल-परसों |
कह जोशी कविराय रांड दे आशिष कैसी |
राम करे बहना हो जा तू भी मुझ जैसी |
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
Nice to see your post after a while. This was a new year gift.
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