Oct 10, 2017

धनुष किसने तोड़ा

 धनुष किसने तोड़ा ? 

आते ही हमने तोताराम से कहा- तोताराम, डिमेंसिया से बचने के लिए दिमागी व्यायाम बहुत ज़रूरी है सो आज हम तुम्हारे दिमाग को सक्रिय करने के लिए दशहरे के उपलक्ष्य में रामायण से संबंधित कुछ प्रश्न पूछते हैं |बता- धनुष किसने तोड़ा ?

बोला- जब यह प्रश्न आज तक नहीं सुलझा तो मैं कोई निश्चित उत्तर कैसे दे सकता हूँ | सीता के स्वयंवर में शिव के धनुष पर प्रत्यंचा चढाने की शर्त थी, तोड़ने की नहीं | पता नहीं, परशुराम ने क्यों पूछा कि शिव का धनुष किसने तोड़ा ?  लक्ष्मण ने कहा- 
छुअत टूट रघुपतिहि न दोसू |
खुद राम ने  भी उनसे कहा- 
छुअतहि टूट पिनाक पुराना |
इसलिए यह कहना ही गलत है कि धनुष किसने तोड़ा ? यह पूछ कि धनुष कैसे टूट गया ?
और स्कूल-निरीक्षक द्वारा किसी स्कूल के छात्र से धनुष टूटने के बारे में यही प्रश्न पूछे जाने पर छात्र ने कहा था- सर, पता नहीं |लेकिन मैंने नहीं तोड़ा | और उसके अध्यापक ने कहा- साहब, यह बहुत शैतान है |ज़रूर इसीने तोड़ा होगा |अभी तक उस किस्से का भी कोई पक्का उत्तर नहीं मिला है |

हम तोताराम पर रोब जमाना चाहते थे, लेकिन उसने तो हमें ही उलझा दिया |

हमने कहा- कोई बात नहीं, वैसे तेरी व्यक्तिगत मान्यता क्या है ? धनुष किसके हाथ से टूटा ?

बोला- मोदी जी हाथ से |

हम भौचक्के |मोदी जी का धनुष से क्या लेना-देना |कहा- क्या अजीब बात कर रहा है ?

बोला- मैं कुछ नहीं कह रहा हूँ |सबसे विश्वसनीय अखबार देख ले, पहले पेज पर ही फोटो छपा है | धनुष पर प्रत्यंचा पहले से चढ़ी हुई थी |जैसे ही मोदी जी ने रावण को मारने के तीर चढ़ाकर प्रत्यंचा को खींचा तो धनुष दाहिनी तरफ से टूट गया |लेकिन उत्साह से भरे हुए मोदी जी ने धनुष टूटने की कोई परवाह नहीं की और तीर को हाथ में लेकर जोर से फेंका जो सीधे रावण को लगा और उसका काम तमाम हो गया |भाई, एक तो बंदा बाल ब्रह्मचारी, दूसरे पिछले २५ साल में पहली बार मिला स्पष्ट बहुमत |इसकी ताकत का क्या ठिकाना ?

हमने कहा- हो सकता है धनुष बनाने वाले ने धनुष की बनवाई पर २८ प्रतिशत की बजाय ८० प्रतिशत जी.एस.टी. काट लिया हो |ऐसे में तो यह सब होना ही था |हाँ, जहाँ तक मोदी जी की क्षमताओं की बात है तो हमीं क्या सारी दुनिया दीवानी हो रही है |लेकिन यह एक ऐतिहासिक सच है कि रावण को मोदी जी ने नहीं, राम ने मारा था | वैसे भी रावण को मारने वाला राम बन में भटकने वाला राम था, गद्दी पर बैठा राम नहीं |

बोला- यह तो रावण है, गद्दी पर बैठा आदमी तो किसी को भी मार सकता है |यहाँ मोदी जी ने रावण को मारा तो उधर ऐशबाग में योगी जी ने रावण को मारा |

हमने कहा- इससे तो बहुत कनफ्यूजन हो जाएगा | यदि बच्चों से परीक्षा में पूछा गया कि रावण को किसने मारा तो वे क्या लिखेंगे ?और फिर रामायण और रामचरितमानस भी तुम्हारे इस नए तथ्य की पुष्टि नहीं करते  | 

बोला- कोई बात नहीं |उन्हें भी बदलवा दिया जाएगा | इतने बहुमत में इतिहास क्या, सूरज के उगने-छिपने की दिशा तक बदली जा सकती है |

हमने कहा- याद रख, बड़े लोग इतिहास बनाते हैं | जो इतिहास बना नहीं सकते वे उसे बदलने का दंभ भरते हैं |

वैसे एक बात बताएँ तोताराम, मोदी जी को धनुष-बाण का यह तामझाम करने की ज़रूरत ही नहीं थी |वे तो व्यंग्य-बाणों से ही किसी के भी प्राण ले सकते हैं |



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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