Dec 21, 2018

हमारी नीयत " उनकी नीयत



हमारी नीयत : उनकी नीयत


आज जैसे ही तोताराम आया, हमने उसे बधाई देते हुए कहा- तोताराम, पता नहीं देश कितना स्वच्छ और कितना  स्वस्थ हुआ,  सबको एक दूसरे का कितना साथ मिला और कितना विकास हुआ, नोटबंदी से कितना काला धन लौट आया और कितना भ्रष्टाचारियों के तहखानों में पड़ा-पड़ा व्यर्थ हो गया, कितने आतंकवादियों की कमर टूट गई, कितनी बेटियाँ बचीं और कितनी पढीं लेकिन एक बात तय है कि मोदी जी ने लोकतंत्र को मज़बूत करने के लिए कांग्रेस-मुक्त भारत का जो एकसूत्री कार्यक्रम घोषित किया था वह अवश्य पूर्ण हो गया |

बोला- मास्टर, तेरा व्यंग्य मैं समझता हूँ | कहाँ हुआ देश कांग्रेस मुक्त ?

हमने कहा- तुम उनकी धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध हिन्दू धर्म की राजनीति कर रहे थे |अधार्मिक तो कांग्रेस वाले भी नहीं हैं | गाँधी जी घंटी बजाते हुए मंदिर नहीं जाते थे लेकिन वे किससे कम धार्मिक हैं ? अपनी वसीयत में गंगा के प्रति नेहरू जी की जो भक्ति है वह गंगा की राजनीति करने वाले किसीसे भी बढ़कर है | वे जब भारत की जनता को भारत माता कहते हैं तो वे भारत माता की जय की गिनती करने वालों से बहुत ऊपर होते हैं | हाँ,उन्होंने अपनी आस्तिकता का कभी प्रदर्शन नहीं किया |कभी जनता के पैसे से मंदिर-मंदिर घूमते नहीं फिरे |कभी चुनावों में मठाधीशों की शरण में नहीं गए | अब राहुल अपनी जनेऊ दिखाने और गोत्र बताने के लिए मज़बूर हो गए |क्या यह कांग्रेस की समाप्ति का संकेत नहीं है ?

बोला- हमारे योगी जी भी इससे खुश हो रहे थे | पहले हमें भी लगा था कि यह हमारी नैतिक विजय है |हम जिस प्रकार की राजनीति करने के पुराने विशेषज्ञ हैं राहुल उसमें आकर हमसे कैसे जीत सकता है |यह तो पानी में रहकर मगर से बैर वाली बात थी |हम अपने धार्मिकता के एजेंडे के कारण निश्चिन्त थे |अब राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के नतीजों से पता चला कि राहुल ने हमारा मुद्दा चुरा कर हमें ही मात दे दी है |किसी का मुद्दा चुराना राजनीतिक भ्रष्टाचार है |अब हम लोकसभा के चुनावों में राहुल की इसी चोरी के खिलाफ जनता में जाएंगे |

हमने कहा- आपने भी तो कांग्रेस के सभी कार्यक्रम या तो वैसे के वैसे अपना लिए या फिर थोड़ा-सा नाम बदलकर ज़ारी रखा |पहले मनरेगा की आलोचना करते थे और सत्ता मिलते ही उसका बजट और बढ़ा दिया |क्या यह चोरी नहीं है ?

बोला- हमने तो सबअच्छी नीयत से किया था |धर्म के मामले में भी हमारी नीयत साफ है | हमारे धार्मिक एजेंडे को चुराने में राहुल की नीयत ठीक नहीं है |उसने कहा है कि वह मध्यप्रदेश में गौशालाओं के लिए काम करेगा |अब अमेठी में मंदिरों का जीर्णोद्धार करवा रहा है |उधर अखिलेश कह रहा है कि वह विष्णु का मंदिर बनवाएगा |ये सब बदनीयती से हो रहे हैं |

हमने कहा- बंधु, नीयत का तो कैसे पता चले |मंदिर जाने वाला लडकियाँ छेड़ने जा रहा है या जूते चुराने जा रहा है या प्रसाद के लालच में जा रहा है यह तो भगवान ही जान सकता है |केवल सोमनाथ मंदिर के प्रांगण में चारों खाने पट होकर फोटो खिंचाने से ही तो कोई साफ़ नीयत का सच्चा भक्त नहीं हो जाता |यह मामला भगवान पर ही क्यों नहीं छोड़ देते ? वह जैसी नीयत होगी फल दे देगा |

बोला- भगवान पर कैसे छोड़ दें | हमारे तो ये दो ही स्थायी मुद्दे थे |रहा विकास तो उस पर किसी को भरोसा नहीं  |कोई कहता है पागल हो गया है कोई कहता है कि बैंकों का पैसा लेकर भाग गया है |अब दो-चार महिनों में नए मुद्दे कहाँ से लाएँ ?




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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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