Jan 26, 2019

विश्व-रत्न सम्मान



 विश्व-रत्न सम्मान 

दिसंबर के अंतिम और जनवरी के पहले सप्ताह में सर्दी ने हमारे इलाके शेखावाटी में  सारे रिकार्ड तोड़ दिए |शून्य और ४.५ डिग्री माइनस के बीच पारा झूलता रहा |अब कहीं जाकर पाँच के आसपास आया है पारा |पता नहीं, यह सूर्य के उत्तरायण होने का प्रभाव है या लोकसभा के चुनावों की दस्तक का असर है या फिर उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन की गुनगुनाहट का कमाल कि कांग्रेस की सी मनः स्थिति हो गई है |सब कुछ सुहावना-सुहावना लग रहा है |आज मदहोश हुआ जाए रे मेरा मन, मेरा मन |

पत्नी ने कहा- अब तो यह एक महिने का दल्लिदर धो ही डालो |और मौसम-परिवर्तन का प्रभाव कि हम बिना किसी विरोध और ना-नुकर के, मोदी जी, स्मृति ईरानी और अमित शाह की तरह संगम-स्नान तो नहीं लेकिन नहाने के लिए बाथरूम में घुस गए |

तभी बाहर से आवाज़ आई- विश्व-रत्न जी घर पर हैं ?

हलकी-सी भनक हमारे कान में भी पड़ी लेकिन न तो हमने 'विश्व' का ठेका ले रखा है और न ही हम 'रत्न' हैं |हम तो देश के वित्त मंत्री की छाती पर रखे पत्थर हैं जो हर महिने पेंशन के रूप में राजकीय खजाने को २८ हजार रुपए की चपत लगा रहे हैं |वैसे हमारे दो वरिष्ठ मित्र भी हैं एक  कवि और कहानीकार हैं विश्व मोहन जो खुद तो इस विश्व पर मोहित हैं लेकिन इस विश्व ने उनको कभी घास नहीं डाली | और दूसरे संपादक और निबंधकार जो विश्व के नाथ हैं, सच भी उनसे जुड़ा हुआ है और अंततः  देव तो हैं ही |फिर भी उन्होंने कभी विश्व-रत्न होने का दावा नहीं किया |अब यह 'विश्व-रत्न' कहाँ से आ गया ? हो सकता है कोई रास्ते में किसी को आवाज़ दे रहा हो क्योंकि अब फिर चुनाव आने वाले हैं तो समाज की सेवा के लिए बड़े-बड़े सेवक, जननेता, हृदय सम्राट, मसीहा, विकास-पुरुष सत्ता की शमा के चारों और बरसाती पतंगों की तरह मंडराएंगे |हो सकता है वैसा ही कोई जंतु मई २०१९ के चुनावों के पूर्वाभ्यास पर निकल पड़ा हो |

इस चिंतन में उसी आवाज़ ने अबकी बार थोड़े ऊँचे वोल्यूम में बाधा डाली- विश्व-रत्न जी घर पर हैं ?

अब  तो हमें तौलिया पहने ही दरवाजे पर जाना पड़ा |देखा तो तोताराम |

हमने कहा- क्यों चिल्ला रहा है ? यहाँ कौन विश्व-रत्न बैठा है ? 

बोला- आदरणीय भ्राताश्री, आपसे बड़ा और कौन रत्न है इस समय देश में ?

हमने कहा- ठीक है |तुम्हारी श्रद्धा है |हम उसके लिए आभारी हैं लेकिन इतना भी मत चढ़ा कि झाड़ से नीचे उतरना ही मुश्किल हो जाए |

बोला- अभी तो अवार्ड मिला नहीं और उड़ने भी लगा ? अरे, जब कोई अल्पज्ञात संस्था घर आकर मोदी जी कोअपना पहला फिलिप कोटलर प्रेसीडेंशियल अवार्ड दे सकती है तो क्या 'टी. एम. फाउंडेशन' तुम्हें अपना पहला विश्व रत्न अवार्ड नहीं दे सकती ?






अरे, जब कोई अल्पज्ञात संस्था घर आकर मोदी जी कोअपना पहला फिलिप कोटलर प्रेसीडेंशियल अवार्ड दे सकती है तो क्या 'टी. एम. फाउंडेशन' तुम्हें अपना पहला विश्व रत्न अवार्ड नहीं दे सकती ?

हमने कहा- हमने तो इस फाउंडेशन का कभी नाम भी नहीं सुना |

बोला- मोदी जी ने ही इस फिलिप का नाम कब सुना था जो तू 'टी.एम. फाउंडेशन' का नाम सुनता | आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है सो तुझे 'विश्व-रत्न' सम्मान देने के लिए तुम्हारे इस अनुज तोताराम और तुम्हारी बहू मैना ने बना ली- 'टी.एम. फाउंडेशन'  |

हमने कहा- तोताराम, मोदी जी जैसे डाईनेमिक और वाइब्रेंट व्यक्त्तित्व के लिए ही इतना बड़ा सम्मान शोभा देता है |हम तो भारत-रत्न क्या, पद्मश्री का भी सपना नहीं देख सकते और तू 'विश्व-रत्न' की बात कर रहा है |हो सके तो इस नए साल में हमारी एक छोटी-सी इच्छा पूरी करवा दे |
उत्साहित होकर तोताराम बोला- बता कौन-सी इच्छा ? इस समय हमारी सरकार आचार संहिता लागू होने से पहले-पहले, माँगे बिना ही लोगों की इच्छाएँ पूरी कर रही है |जैसे आठ लाख रु. सालाना आमदनी वाले गरीब सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण | 

हमने कहा- यदि आठ लाख रु.सालाना आमदनी वाले गरीब हो गए तो हम तीन लाख रु. सालाना पेंशन वाले तो महादलित की श्रेणी में आगए |बड़ी-बड़ी बातें छोड़ |हो सके तो किसानों की क़र्ज़-माफ़ी के साथ-साथ पे कमीशन का एक लाख रुपए का बकाया एरियर ही दिलवा दे |

बोला- एक अंतिम चांस और है | पहली फरवरी २०१९ के बजट में कुछ हो गया तो ठीक अन्यथा तो गई बात २०२४ पर | 



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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