Feb 4, 2019

पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता




पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता  



आज सुबह उठे तो लगातार तीन-चार छींकें आईं और बदन भी कुछ टूटता-सा अनुभव हुआ |जैसे ही तोताराम आया, हमने उसकी तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा- देख तो, कहीं 'वराह-ज्वर' तो नहीं हो गया ?

बोला- मास्टर, आज तेरे इस नए शब्द और संस्कृत-प्रेम ने तबियत खुश कर दी |वास्तव में बात वस्तु या विषय की नहीं, शब्दों की भी होती है |एक ही बात शब्द बदलते ही चमत्कारी और शालीन अर्थ देने लगती है |अंग्रेजी में गाली सुनकर भी लगता है जैसे भारत का हैप्पीनेस इंडेक्स ऊँचा उठा गया है |शब्द के अंत में विसर्ग और हलंत न या म आते ही सब कुछ देवत्त्व को प्राप्त हो जाता है |अब देख, कांग्रेस के प्रवक्ता बी के हरिप्रसाद ने अमित शाह के 'स्वाइन-फ्लू' को क्या कहा- सूअर का जुकाम |अरे, हमारे यहाँ तो सूअर को अंग्रेजी में 'पिग' कहा जाता है |'स्वाइनफ्लू' में तो कुछ दबा-ढका रहता है |उसका ग्रामीण हिंदी में अनुवाद करने की क्या ज़रूरत थी ? यह सब दुर्भावनावश और छोटी सोच के तहत किया गया था |

अब तूने भी तो वही स्वाइनफ्लू होने की शंका की लेकिन क्या बढ़िया शब्द निकाला है |कुछ भी हो तेरे पास दिमाग तो है |कभी-कभी काम में ले लिया कर |वाह- वराह-ज्वर |लगता है सूअर जुकाम नहीं 'आस्था चेनल' शुरू होने वाला है |

हमने कहा- तोताराम, ज्यादा प्रशंसा करने की जरूरत नहीं है |अब यदि हम कहें- प्रियवर, आज रात का अवशेष दुग्ध विकृत हो गया है अतः उसके विकल्प के रूप में आप अल्प उष्ण जल का पान कर हमें कृतार्थ करें | तो तुम्हें कैसा लगेगा ?

बोला- भाई साहब, भाषा कुछ भी हो लेकिन इस समय चाय तो आवश्यक है |दूध की नहीं तो नीम्बू वाली ही बनवा दें |

हमने कहा- तो फिर शब्दों की टांग क्यों तोड़ रहा है ?काने, अंधे, लंगडे, बहरे को पुराने संबोधन 'विकलांग' की जगह 'दिव्यांग' कहने से क्या फर्क पड़ जाएगा ? पहले भी तो अंधे को 'प्रज्ञाचक्षु' कहते ही थे |आजकल अपने इलाके के 'पाँच हजारी मासिक' वाले हिंदी पत्रकार 'कुत्ते' को 'श्वान' लिखने लगे हैं तो क्या कुत्ते का स्तर ऊँचा उठ गया ? अब यदि कभी तू किसी डाक्टर के पास अपना मोतियाबिंद का ओपरेशन करवाने जाए और ओपरेशन के बाद डाक्टर कहे- तोताराम जी, क्या बताएं ?दुःख है, हम आपकी आँख नहीं बचा सके |अब आप  'दिव्यांग' हो गए हैं तो कैसा लगेगा ?

बोला- कुछ हो मास्टर, 'कुत्ता' सुनने पर गली का खजुआ और कें-कें करता जीव ध्यान में आता है लेकिन 'श्वान' शब्द से लगता है जैसे किसी सत्ताधारी पार्टी का राष्ट्रीय  प्रवक्ता आ रहा है |







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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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