पेंशन ही पेंशन : मिल तो लें
सर्दी ने जैसे ही थोड़ा साँस लेने का मौका दिया कि मावठ ने फिर फफेड़ लिया |ऊपर से हवा |अभी भी सूरज नहीं निकला है |आकाश में बादल भी मंडरा रहे हैं | लगा दिसंबर के अंतिम दिनों की शून्य से नीचे वाली ठण्ड फिर लौटेगी |हमें कौनसा स्कूली बच्चों की तरह २६ जनवरी की के कार्यक्रम की रिहर्सल के लिए जाना है | तोताराम को आना होगा तो यहीं आ जाएगा |
तभी दरवाजे पर लाठी से ठोका लगाने की आवाज़ आई- चल बच्चा |क्यों इस पुण्य-बेला में घर में घुसा है |निकल, अगला जन्म सुधारने कुम्भ चलते हैं |
पता नहीं क्यों आवाज़ ढंग से पहचान नहीं पाए |रजाई में से ही कहा- बाबा, अभी तो हमें यही जन्म सुधार लेने दो |अगले जन्म का नंबर तो बाद में आएगा |हम कौन स्मृति ईरानी की तरह युवा हैं जो यह ठण्ड झेल पाएंगे |कौन फ्लू होने पर अमित शाह की तरह एम्स में हमारा इलाज करेगा |
उसी आवाज़ ने फिर दकाल लगाई- दरवाज़ा तो खोल माया-मोह में फँसे प्राणी |
हमने पत्नी से दरवाजा खोलने को कहा |
भगवा भेस, गले में गुटखे के पाउचों की माला धारण किए एक लंगड़ाती हुई आकृति प्रकट हुई |बड़ी मुश्किल से पहचाना, तोताराम |
पूछा- यह क्या नाटक है ?
बोला- नाटक कुछ नहीं |कुम्भ मेले में जा रहे हैं |अभी तो योगी जी वहाँ आसानी से मिल जाएँगे |फिर पता नहीं लोकसभा के चुनाव-प्रचार में जाने देश में कहाँ-कहाँ घूमेंगे |अभी तो सुपात्रों का चयन करने के लिए ३० जनवरी तक कैम्प भी लग रहे हैं |देर करना ठीक नहीं है
हमने कहा- न तो हमें तुम्हारा यह मनमोहक विदूषकी भेस समझ में आया और न ही योगी, कुम्भ, कैम्प के साथ कोई सामंजस्य बैठा पा रहे हैं |
बोला- योगी जी ने सभी निराश्रितों, दिव्यांगों के लिए पेंशन चार सौ रुपए महिने से बढाकर पांच सौ रुपया महिना कर दिया है | किसी को छूटने नहीं देंगे |चुनावों से पहले सबको कोई न कोई पेंशन दे ही देंगे |पता नहीं, मोदी जी पे कमीशन का एरियर देंगे या नहीं |
हमने कहा- किसी कैम्प में जाकर ऐसे ही पेंशन कबाड़ लेना कोई मज़ाक है क्या ? बड़ा सख्त प्रशासन है योगी जी का |ज़रा सी गड़बड़ करने पर वहाँ की मुस्तैद पुलिस सीधे-सीधे गोली चला देती है |
बोला- ऐपल वाले तिवारी पर गोली चलाने की घटना से घबराने की ज़रूरत नहीं है |उत्तर प्रदेश में हर समस्या और प्रश्न का उत्तर है |वहाँ समय पर गोली न होने या बंदूक न चलने की स्थिति में मुंह से ठांय-ठांय से काम चलने वाले पुलिसिए भी हैं | जब सरकारी खर्च पर करवाए जाने वाले विवाह समारोहों में चार-चार बच्चों के माँ-बापों को लाभ पहुंचा दिया जाता है तो ज्यादा नहीं तो एक-दो पेंशन तो कबाड़ ही लेंगे |
हमने पूछा- एक-दो मतलब ?
बोला- मोदी जी ने छोटे दुकानदारों के लिए पेंशन की योजना बनाई है तो देख गले में लटकी गुटखों की यह माला मेरे छोटा दुकानदार होने का प्रमाण है |और दिव्यांग होने के लिए मेरा लंगडाना तू देख ही रहा है |सुना है योगी जी की इस योजना को विस्तार देते हुए अखिलेश ने कहा है कि साधुओं को भी २० हजार रुपए महिना पेंशन दी जाए सो यह भगवा वेश है ही |आगे अखिलेश ने यह भी कहा है कि हमने तो रामलीला में काम करने वालों को भी पेंशन दी है |हम भी बचपन में मोहल्ले की रामलीला में वानर सेना में काम किया था तो उस स्कीम में भी चांस लग सकता है |
हमने कहा-लेकिन ५०० रुपए की पेंशन लेने जाने के लिए क्या हर महीने ६०० रुपए आने-जाने का खर्चा करेगा ?
बोला- खर्चा क्यों करेंगे ?दो पेंशनों के बीच की अवाधि में वहीँ कहीं भिक्षाटन करेंगे |जब मोदी जी ने सब कुछ डिजिटल कर दिया है तो पेंशन लेने जाने की क्या ज़रूरत है |अपने आप ही खाते में क्रेडिट हो जाएगी |
हमने फिर शंका की- अगर किसी को पता चल गया कि तू एक पेंशन पहले से ही ले रहा तब क्या होगा ?
बोला- होगा क्या ? क्या सभी नेता एक से ज्यादा पेंशन नहीं ले रहे ? एक ही नेता एम.एल.ए., एम.पी. या मुख्य मंत्री या बढ़ते-बढ़ते प्रधान मंत्री बन जाए तो वह सबकी अलग-अलग पेंशन लेता है |तो तोताराम दो पेंशन ले लेगा तो क्या पहाड़ टूट पड़ेगा |
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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