Sep 27, 2024

मुझे तो मोदी जी ने फँसा दिया



मुझे तो मोदी जी ने फँसा दिया 



तोताराम का स्तर बहुत ऊँचा है । कभी भी आत्मा-परमात्मा, राष्ट्र, विकास, प्रेरणा, जागृति, चेतना  आदि बड़े बड़े शब्दों से नीचे ही नहीं उतरता जैसे कि मोदी जी प्रेस कॉन्फ्रेंस जैसे नेताओं के सामान्य से दैनंदिन कार्यक्रम के बारे में पूछने पर ‘मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ की बात करने लग जाते हैं । दो  करोड़ रोजगार और 15 लाख रुपए की बात करने पर ‘विभाजन विभीषिका दिवस’ को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का महत्व समझाने लगते हैं । 


आज भी तोताराम जब से आया है बरामदे में मौन बैठा है जैसे मणिपुर की घटना और प्रसादम के प्रपंच पर पार्टी । हमने ही पूछा- क्या बात है ? अभी तक पेट में पहुँच गई चर्बी और गौमांस की दहशत से नहीं उबरा क्या ? क्या अब भी उबकाई आती है ? 


बोला- नहीं अब ऐसी कोई बात नहीं है । दर्द का हद से गुजर जाना है दवा हो जाना । अब सब सामान्य हो गए हैं । बात भी चलती है तो बस मुस्कराकर रह जाते हैं । कब तक शर्मिंदा होंगे । सुना  है अब रामदेव ने कोई ‘अभक्ष्य भक्षण दुष्प्रभाव निवारण दिव्य वटी’ लांच की है । ज्यादा हुआ तो उसकी एक खुराक गटक लेंगे । 


हमने पूछा- तो फिर इस मौन का क्या कारण है ? अब तो मोदी जी ने फिर अमरीका में डंका बजा दिया, झण्डा लहरा दिया । देखा नहीं, वीडियो में कैसे लोग घूमर घाल थे, कैसे गरबीले गुजराती गरबा घालघालकर गदगद हुए जा रहे थे, कैसे दिल्ली में सेटल बिहार की एक प्रौढ़ा अमरीका जाकर मोदी जी को देख-छूकर जन्म सफल कर रही थी ? 



बोला- मुझे इनसे कोई मतलब नहीं है । ये सब प्रायोजित कार्यक्रम तो राजनीति में प्रचार-प्रसार और पैसे के बल पर चलते रहते हैं । मुझे तो मोदी के एक वक्तव्य ने फँसा दिया । 


हमने कहा- वहाँ तो मोदी जी ने सब अच्छी अच्छी बातें की हैं। कहीं किसी हिंडनबर्ग की चर्चा नहीं हुई, किसी ने इलेक्ट्रॉल बॉण्ड का प्रश्न नहीं उठाया,किसीने अल्पसंख्यकों से भेदभाव पर कुछ नहीं पूछा, किसी आहत भावना ने तिरुपति के चर्बी-गौमांस-भ्रष्ट प्रसादम’ की चर्चा नहीं की तो फिर he वत्स तोताराम, तुझे मोदी जी ने कैसे फँसा दिया ?    

 

बोला- हम तो भक्त हैं । हम इन छोटे-छोटे मुद्दों में नहीं फँसते । 


हमने फिर पूछा- तो क्या तूने सेंट्रल विष्ठा, राममंदिर, राम-पथ का ठेका लिया था, वंदे भारत का संचालन करता है या बिहार में पुल बनवाए थे या महाराष्ट्र वाली शिवाजी की मूर्ति बनवाई थी, या अयोध्या में 2 करोड़ में कोई जमीन खरीदकर पाँच मिनट बाद ही 18 करोड़ में बेच दी या तिरुपति मंदिर में घी सप्लाई किया था ?


बोला- नहीं । 


हमने कहा- तो फिर फँसने जैसी क्या बात हो गई ?


बोला- इस बार अमरीका में मोदी जी ने एक बहुत ही लंबी फेंक दी कि वे जब मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री नहीँ थे तब भी वे अमरीका के 29 राज्यों में घूम गए थे ।वे तो फेंककर निकल जाते हैं लेकिन हम भक्तों के लिए समेटना मुश्किल हो जाता है । अब लोग हमसे पूछते हैं कि खुद को गरीब बताने वाले मोदी जी के पास अमरीका के 29 राज्यों में घूमने का पैसा कहाँ से आया ? क्या वे उन 29 राज्यों के नाम बता सकते हैं ? क्या उनके पासपोर्ट पर कई-कई बार अमरीका जाने की  इमिग्रेशन सील लगी हुई है ? और अगर उन्होंने पहले चाय बेची, फिर 35 साल भीख मांगी, फिर हिमालय में साधना की, फिर संघ का प्रचार किया और इसी बीच एनटायर पॉलिटिकाल साइंस में एम ए भी कर लिया और अमरीका भी घूम आए । यह मात्र 48 साल की आयु में कैसे संभव है ?


लोग मोदी जी से थोड़े पूछने जाएंगे । वे तो बड़े बड़े रिपोर्टरों तक को समय नहीं देते । फँस जाते हैं हम जैसे जमीनी कार्यकर्ता और भक्त । 


हमने कहा- तोताराम, तू मोदी जी की बहुत सी विशेषताओं को अब भी नहीं जानता । उन्होंने चाय बेची, भीख मांगी और ट्रेन में सीट न मिलने पर लोगों का हाथ देखकर भविष्य बताने के बहाने सीट कबाड़ लेते थे । 


दुनिया के किसी भी व्यक्ति में इतनी विशेषताएं नहीं मिलेंगी । जो व्यक्ति अच्छे-अच्छों को कैसी भी चाय पिला दे सकता है, जो इस स्वार्थी जमाने में किसी से भी भीख झटक सकता है और ज्योतिष जैसी नितांत अवैज्ञानिक विधा को साध सकता है वह कुछ भी कर सकता है । 


हो सकता है वे किसी अमरीकी पायलट को भविष्य बता-बताकर जब तब फ्री में अमरीका की यात्राएँ करते रहे हों और वहाँ भीख माँग-माँगकर वहाँ गुजारा करते रहे हों । सच्चा भिखारी, जेबकतरा, रिपोर्टर, लफंगा और प्रेमी कभी भी, कहीं भी पहुँच सकता है । और उसकी बातों में विश्वसनीयता खोजना तो महामूर्खता है । 


मस्त रह देश-दुनिया को इसकी आदत पड़ गई है । 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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