Feb 7, 2025

बरामदा कैबिनेट की बैठक


बरामदा कैबिनेट की बैठक  

 

 

 

आज तोताराम अपनी पत्नी मैना के साथ आयाबड़ी हड़बड़ाहट में थाबैठने से पहले ही बोला- भाभी को जल्दी बुला 

हमने पूछा- क्यों, क्या मैना को कोई समस्यागई ?  

बोला- समस्या कुछ नहींबस, प्रांतीय महत्व के एक काम के लिए तत्काल मीटिंग करनी है और सर्व सम्मति से प्रस्ताव पास करना है 

हमने कहा- यहाँ कोई विपक्ष भी नहीं है और अगर होता भी तो अध्यक्ष से एक ही झटके में 100-150 को एक साथ निलंबित करवा देते और जो करना होता सो कर लेतेमीटिंग क्या, तू जब कहे, जो प्रस्ताव कहे पास करवा देंबरामदा संसद का लंगड़ा ही सही बहुमत अपने पास है तो चुनाव आयोग, न्यायालय, पुलिस, ईडी सब अपनी मुट्ठी में हैंनहीं होता तोऑपरेशन तोत’' चलाकर खरीद लेतेवैसे ऐसा क्या जरूरी कामगया ? 

बोला- कल 8 फरवरी को बरामदा संसद के सभी सदस्य कुम्भ में स्नान करेंगे और उसके बाद मंत्री परिषद की बैठक होगी जिसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे 

हमने कहा- वैसे तो संसद के सामने कोई एजेंडा नहीं है फिर भी बैठक के लिए वहाँ जाकर मरने की बजाय यहीं ठीक हैचार कंधे तो मिल जाएंगे ।  कुम्भ में मरने पर सरकार इमेज बचाए रखने और मुआवजे से बचने के लिए पुलिस से लाश ही गंगा में फिंकवा देगी 

बोला- योगी जी ने भी तो अपने मंत्रीमंडल के साथ स्नान किया था और अब भजन जी भी मंडली के साथ कल कुम्भ में स्नान करेंगेक्या सब मूर्ख है जो वहीं स्नान-ध्यान, काम कर रहे हैं 

हमने कहा- हो सकता है कोई बड़ा पाप धोने के लिए गए हों जो उन्हें रातों को डराता हो,  सोने नहीं देता होहमने कोई पाप नहीं कर रखा जिसे धोने के लिए आज ही कुम्भ स्नान करना पड़ेपहले पाप करने के लिए कोई िले िर ोने िए ुम्भ ें ले लेंगे  

बोला- क्या कुम्भ में जाने वाले सभी पापी होते हैं ? कुम्भ में तो अंबानी, अदानी, शाह, स्टीव जॉब्स की पत्नी, शाहरुख, सलमान, अमिताभ, आलिया भट्ट, रणवीर, विराट कोहली, रोनाल्डो, मैसी आदि तो गए हैं तो क्या सब पापी हैं ? और कुम्भ में तो नेहरू जी भी गए थे तो क्या वे भी पापी थे ?  

हमने कहा- हम यह नहीं कह रहे लेकिन नेहरू जी कुम्भ स्नान करने नहीं बल्कि वहाँ की व्यवस्था देखने गए थेउसके बाद भगदड़ वाली दुर्घटना होने पर उन्होंने संसद में उस पर चर्चा की और भविष्य में नेताओं को मेले के समय कुम्भ में जाने से परहेज करने की सलाह भी दी थीजबकि अब तो विज्ञापन करके लोगों को बुलाया जा रहा हैहजारों करोड़ खर्च करके लाखों करोड़ का सपना देखने दिखाने का धंधा चल रहा है, कुम्भ के बहाने चुनाव की राजनीति की जा रही हैवरना कर्म,सत्कर्म, दुष्कर्म कुछ भी करने के लिए कहीं भी जाने की कोई जरूरत नहीं होतीरैदास के तो कठौते में ही गंगा थी 

बोला- तो क्या गंगा, जमुना, हिमालय, प्रकृति, तीज-त्योहार, संस्कृति का कोई मतलब नहीं ? 

हमने कहा- है लेकिन प्रेम और प्रदर्शन में बहुत फ़र्क होता हैजिसके मन में प्रेम नहीं होता वही बाहर बाहर प्रेम का ढिंढोरा पीटता फिरता है, प्रदर्शन करता हैहमारे दादाजी भी रामेश्वरम गए थे 1932 में पैदल लेकिन उनके साथ कोई फोटोग्राफर नहीं था औरही गाँव में आकर भक्ति का नाटक कियाहमारे मामाजी 1965 में पोते की मन्नत माँगने अकेले हरिद्वार से काँवड़ लाए थे लेकिनकिसीने रास्ते में हैलिकॉप्टर से पुष्प वर्षा की औरही रास्ते में किसी मुसलमान ठेले से फल लेने या किसी  की जाति पूछे बिना उसकी गुमटी से चाय पी लेने से उनका धर्म भ्रष्ट हुआ 

माल-ए-मुफ़्त दिल-ए-बेरहमजनता का पैसा है फूँकें तरह तरह के तमाशों मेंनेता बनने से पहले  ये रईस की दुम एक बनियान को तीन दिन पहना करते थे 

-रमेश जोशी  

 

 

 


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