Jan 31, 2025

2025-01-30 कुछ कुंभीपाकी दोहे

2025-01-30  कुछ कुंभीपाकी  दोहे  

 

 

  

 

 

 

रोम-रोम में राम है कण-कण में भगवान  

भगदड़ में दब कुम्भ तो क्यों देते हो जान  

 

दोनों लोक सुधारने मरें कुम्भ में जाय  

पहुँचें सीधे स्वर्ग में मुआवजा मिल जाय  

 

साझे श्रम से जब मिला सागर-मंथन-सार  

तो देवों का अमृत पर क्यों सारा अधिकार  

 

धक्के भगदड़ ठंड और मरण विधाता हाथ  

तो दोषी कैसे हुए योगी आदित नाथ  

 

ज़िद्दी आदमी  

(संदर्भ : 5 फरवरी 2025 को मोदी का कुम्भ स्नान 

चंद्र मरे सूरज मरे मरे सकल संसार  

लेकिन जिद्दी आदमी करेपुनर्विचार  

कर न पुनर्विचार, अगर जिद परजाए   

तो मीठा-मीठा कह गड़तुम्बा* खा जाए  

कह जोशी कविराय नाक कटवा कहता है  

हुई रुकावट साफ स्वर्ग सीधा दिखता है  

(* रेगिस्तान में खरीफ की फसल के साथ उगने वाला एक कड़वा औषधीय फल, इन्द्रायण ) 

 

 

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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