Jun 20, 2025

शिव और सूतक


शिव और सूतक



आज तोताराम ने आते ही ज्ञान पेलना शुरू कर दिया, बोला- मास्टर, महिने दो महिने में  83 साल का होने वाला हैकौनसा आडवाणी जी की तरह प्रधानमंत्री बनने का इंतजार कर रहा है या मोदी जी तरह हजारों साल देश की सेवा करने का पट्टा लिखवाकर लाया हैअब तो कोरोना भी लौटने लगा है, पता नहीं कब टपक जाएइसलिए एक बार काशी विश्वनाथ के दर्शन का प्रोग्राम बना लेश्रावण शुरू होने वाला हैभले ही सरकार के पास स्कूलों और अस्पताल के लिए बजट नहीं है लेकिन बुजुर्गों का परलोक सुधारने के लिए तीर्थयात्रा करवाने के लिए फंड जरूर हैचल, चलते हैं किसी संस्कारी और धार्मिक पार्टी के नेता के पासक्या पता फ्री के दर्शन का छींका टूट जाए । ​





   ​

 

अब तो मोदी जी ने 340 करोड़ का खर्चा करके शिवजी के लिए विश्वनाथ कॉरीडोर बनवा दिया हैअब तक किसी नेता ने शिव के लिए सुविधाजनक आवास की व्यवस्था करने के बारे में नहीं सोचाशिवजी की भी ऐसी हैसियत कहाँ कि कुछ कर सकेआदिकाल से कैलाश पर असुविधाओं के बीच पड़ा थायह तो मोदी जी की सामर्थ्य है जो यह सब हो गयादिसंबर 2021 में उद्घाटन के समय उन्होंने स्पष्ट कहा था"काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण, भारत को एक निर्णायक दिशा देगा, एक उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएगा. ये परिसर, साक्षी है हमारे सामर्थ्य का, हमारे कर्तव्य का.। अगर सोच लिया जाए, ठान लिया जाए, तो असंभव कुछ भी नहीं: " 

 

हमने कहा- तोताराम, हमने तो अंतिम बार आज से कोई 40 साल  पहले बाबा के दर्शन किए थेभले ही तब उनका स्थान किसी पाँच सितारा होटल की तरह नहीं था लेकिन उसमें एक शाश्वतता का अनुभव होता थाभले ही साफ सुथरा नहीं लेकिन जीवन से भरपूरआज तो लगेगा ही नहीं कि किसी तीर्थ स्थान पर आए हैंअब वह बनारस कहाँ ? अब तो वहाँ अदानी, अंबानी, स्टीव जॉब्स की पत्नी जाएगीमहामंडलेश्वर उन्हें स्नान करवाएंगेया फिर एलोन मस्क के पिता एरॉन मस्क जाएंगेहमारी तो पूजा में ही टें बोल जाएगी ।  

 

बोला- कर ले हिम्मतकहाँ लेकर जाएगा इतना पैसा ? अब तो सुना है मोदी जी पे कमीशन में फिर बल्ले बल्ले करने वाले हैं ।  

हमने कहा- तुझे पता है अब भविष्य में पब्लिक अंडर टेकिंग जैसे केन्द्रीय विद्यालय, नवोादय विद्यालय,ओ एन जी सी, इसरो फिसरो सबका सरकारी का दर्ज खत्म करके को डीए,पे कमीशन आदि के मामले में सबको  बाहर कर रहे हैंहो सकता है 75 साल से ऊपर वालों को भगवान के हवाले करके 5 किलो राशन की लिस्ट में डाल दें ।  

बोला- अभी इतने बहुमत का विश्वास नहीं है । जन्म एक ही बार मिलता है, सुधार लेचल कोई नहींऐसे मर मततेरा खर्च मैं दे दूँगा मन तो बना ।  

हमने कहा- तोताराम, केवल पैसे की ही बात नहीं बड़ा ारण मय िव शुद्ध ुए ड़े ैं न्हें ूतक ढ़ा ुआ ुद्ध ाएंगे ोच कते ैं ।  

 

 चिता-स्मालेपः ्रगपि ृकरोटी-परिकरः 

 मंगल्यं ीलं वतु ामैवमखिलं 

 तथापि ्मर्तॄणां रद रमं ंगलमसि।"  

यह श्लोक "शिवमहिम्न स्तोत्र" का है, जो भगवान शिव के अशुभ, भयावह और अपवित्र माने जाने वाले श्मशान में निवास फिर भी उनका अपने भक्तों के लिए मंगलकारी होने का वर्णन करता है.  

शिव की आरती में भी तो आता है-  

अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी. 

ऐसे शिव को सूतक कौन अज्ञानी लगा रहा है ।  

हमने कहा- रामकथा करने वाले मोरारी बापू ने अपनी पत्नी के सूतक काल में काशी विश्वनाथ के दर्शन और स्पर्श करके उन्हें अपवित्र कर दिया । इसलिए सभी संत, महंत मोरारी बापू को कठिन से कठिन दंड देने के लिए कोई शास्त्रोक्त दंड विधान ढूँढने में लगे हुए हैं । आंदोलन की चेतावनी भी दे रहे हैं ।  

ये सब कर्मकांड की कमाई पर पालने वाले लोग हैं । अगर कर्मकांड का धंधा बंद हो गया, भक्त और भगवान के बीच सीधा रिश्ता स्थापित हो गया तो फिर इन धर्माधिकारियों को कौन पूछेगा ? सभी धर्म वाले इसी की दलाली तो खाते हैं ।  

बोला- कोई बात नहीं बाद में चले चलेंगे लेकिन सूतक आदि का विचार तो करना ही चाहिए ।  

हमने कहा- दुनिया का कौनसा काम रुक जाता है ऐसे विधि-निषेधों में । नेता भ्रष्टाचार, झूठ बंद कर देता है या लाला अपनी दुकान । सूर्य-चंद्रमा-पृथ्वी का परिभ्रमण रुक जाता है । कौन खाना छोड़ देता है ? यशपाल की कहानी ‘दुख का अधिकार’ याद कर ।बुढ़िया का बेटा मर गया था फिर भी वह बाजार में खरबूजे बेचने आई क्योंकि पुत्र वधू को जचगी में खाना खिलाने का सवाल था ।  गरीब को दुख  का अधिकार भी नहीं । छह महिने शोक में खाट पर पड़े रहने की सुविधा भी किसी सेठ पत्नी को ही मिल सकती है ।  

बोला- लेकिन संत क्या झूठ कहते हैं ? ? 

हमने कहा- यह धर्म नहीं धंधे का सवाल है । अन्यथा सन्यासी तो सन्यास लेते समय ही अपना श्राद्ध करके सब औपचारिकताओं से मुक्त हो जाता है ।  

सभी औपचारिकताओं से मुक्त, देवाधिदेव महादेव का भक्त भी अगर व्यर्थ की औपचारिकताओं में फँसा तो समझ ले उसने शिव को समझा ही नहीं ।  

शिव ही सच्चे सर्वहारा हैं । न कोई घर, न कोई वस्त्र, न कोई बैंक बेलेन्स, न कोई विशिष्ट पूजा विधान, सब अपनी अपनी विशिष्टताओं और भिन्नताओं के बावजूद एक साथ- साँप और चूहा, मोर और साँप, बैल और शेर और साथ में सब तरह के नमूने उनके भूतादिक संगे । महिला सशक्तीकरण के सच्चे पक्षधर, कभी देखा है कोई फ़ोटो जिसमें पार्वती शिव के पैर दबा रही हो ?  

ये नाटक करने वाले शिव भक्त हो ही नहीं सकते ।  

और फिर शिव तो आशुतोष हैं। एक लोटा जल डालो, ओम नमः शिवाय बोलो और बाबा हाजिर। वे किसी काशी में कैद हो ही नहीं सकते ।  


पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)

(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

No comments:

Post a Comment