2025-02-26
टेढ़ा है पर मेरा है
हमें अपने आप तो किसी अभिजित मुहूर्त और शुभ लग्न का पता चलता नहीं । जब अखबार देखते हैं या फिर धर्म-संस्कृति के योगी-मोदी जैसे सेवक बताते हैं तो पता चलता है कि यह महाकुंभ है या फिर कोई ऐसा-वैसा सामान्य कुम्भ है । एकता का कुम्भ है या अनेकता का कुम्भ है, केवल हिंदुओं का कुम्भ है या सबका कुम्भ है, महामंडलेश्वरों द्वारा करवाया जाने वाला सर्वसुरक्षित कुम्भ-स्नान है या भगदड़ में संगम या दिल्ली के प्लेटफ़ॉर्म पर दब कर मर जाने वाला श्मशान-कब्रिस्तान है ?
योगी जी ने बताया, मोदी जी ने भी तसदीक कर दी और खोजी-निष्पक्ष मीडिया ने भी कह दिया है कि यह कुम्भ नहीं महाकुंभ है जो 144 साल बाद आया है । मतलब कि हमारे दादाजी, पिताजी, भाई साहब को यह सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ । वे किसी संगम स्नान में भगदड़ में दबकर सीधे मोक्ष को प्राप्त नहीं हुए । हमारे जन्म में यह सुयोग बना लेकिन हममें भी ऐसा साहस और सद्बुद्धि नहीं आई कि मौत की परवाह किए बिना संगम स्नान करने के लिए चल पड़ते । लेकिन हमारे भाई साहब की बड़ी बेटी सुधा ने यह साहस जुटाया और कुम्भ स्नान करके सकुशल लौट आई । क्या पता वही भगीरथ की तरह पूरे खानदान का उद्धार कर दे ।
सुधा ने हमारे लिए गंगाजल की एक बोतल भिजवाई है ।
आज शिवरात्रि है । सुबह तोताराम नहीं आया । हमने अकेले ही चाय पी । कोई नौ बजे कमर सीधी करने लेटे-लेटे अखबार पर निगाह डाल रहे थे तो दरवाजे पर दस्तक हुई । खोला तो तोताराम हाजिर ।
बोला- अंतिम मौका था । हो आता इलाहाबाद । कर आता स्नान । अब 144 साल बाद आएगा महाकुंभ । तब तक न तू रहेगा और न ही कुम्भ में 67 करोड़ लोगों के लिए समस्त सुव्यवस्था करने-करवाने वाले योगी जी और मोदी जी । वैसे ब्राह्मण होने के कारण कुम्भ स्नान न करने पर मोदी जी के छोटे भाई बागेश्वर वाले उस बचकाने बाबा के फतवे के तहत भले ही तुझ पर देशद्रोह का आरोप न लगे तो भी ‘वंस इन 144 ईयर्स’ वाला मौका तो हाथ से निकल ही गया ना ।
हमने कहा- लेकिन तू ही कौन सा वी आई पी स्नान कर आया । तुझे ही कौन सा अमित शाह की तरह महामंडलेश्वरों ने स्नान करवाया है । तेरा भी वही होना है जो हमारा होगा । अच्छा है वहाँ ऊपर भी कहीं एक साथ ही बरामदा संसद का सत्र आयोजित किया करेंगे ।
बोला- मैंने तो कुम्भ स्नान कर लिया ।
हमने कहा- यहाँ तो तेरे नाम से बिना नागा रोज चाय की एंट्री है । इसे तू वैसे ही नहीं नकार सकता जैसे मोदी जी जुलाई 1993 में अमेरिका काउंसिल ऑफ यंग पॉलिटिकल लीडर्स की ओर से उन्हें ट्रेनिंग देने के लिए की गई प्रायोजित यात्रा से । तू क्या ऐसा नॉन बाइलॉजीकल है जो एक साथ दो जगहों पर एक साथ उपस्थित हो सकता है ।
बोला- मैंने डिजिटल स्नान कर लिया था ।
और तोताराम ने हमारे सामने अपने स्मार्ट फोन में एक विज्ञापन दिखा दिया जिसमें 500/- रुपए में आपकी फ़ोटो को कुम्भ स्नान करवाने का वादा किया गया था । वैसे पुण्य फल की गारंटी तो जैसी किसी भी धर्म में होती है वैसी ही है । सारा मामला अंधश्रद्धा का है ।
हमने कहा- ये सब तेरे जैसे अंधभक्तों को मूर्ख बनाने के धंधे हैं । इससे कुछ नहीं होता । लेकिन हमारे पास तेरे लिए आज शिवरात्रि के उपलक्ष्य में एक विशेष भेंट है- महाकुंभ का पवित्र जल । आचमन कर और उतर जा भवसागर पार ।
हमने अपनी भतीजी सुधा द्वारा भिजवाई गई बोतल में से चाय वाला गिलास आधा भर कर तोताराम को दिया ।उत्साहित तोताराम एक ही घूंट में पी तो गया लेकिन फिर अजीब सा मुँह बनाकर बोला- मास्टर, बुरा न माने तो कहूँ- इसमें बहुत बुरी बदबू आ रही है । एकदम गू जैसी । क्या तुझे इसका आचमन करते हुए ऐसा नहीं लगा ।
हमने कहा- हमने तो इसका आचमन किया ही नहीं और करेंगे भी नहीं । अगर कर्मों में जान होगी तो हमारी भी मोक्ष कबीर की तरह गंगा की बजाय मगहर की कर्मनाशा के तट पर भी हो जाएगी । हमने तो 1986 में जब पहली बार बनारस गए थे तब भी गंगाजल का आचमन नहीं किया था । घाटों पर तो आचमन क्या नहाने की भी हिम्मत नहीं हुई । गंगा पार दूसरी तरफ खेतों जाकर दो लोटे पानी सिर पर डाला था । वैसे यह तो तुझे आचमन करने से पहले सोचना चाहिए था । अरे जिस नदी के जल में 67 करोड़ लोग नहायेंगे और वहीं मल-मूत्र विसर्जन करेंगे तो उसके जल में गू की नहीं तो क्या चंदन की खुशबू आएगी ?
तोताराम ने उबकाई लेते हुए कहा- मास्टर, अब क्या होगा ?
हमने कहा- होगा क्या ? अंधश्रद्धा में बड़ा बल होता है । मीरा की तरह इस गंगा जल को भी प्रभु का चरणामृत समझ । जब मीरा का कुछ नहीं बिगड़ तो तेरा भी कुछ नहीं होगा । और योगी जी ने तो कहा ही था कि गंगा का जल नहाने ही नहीं, पीने के भी योग्य है । और फिर पद्मश्री वैज्ञानिक डॉक्टर अजय कुमार सोनकर ने भी तो कहा है कि गंगा का जल अल्कलाइन वाटर जितना शुद्ध है. डॉक्टर सोनकर ने अपने शोध में पाया कि गंगा जल की शुद्धता में महाकुंभ के दौरान भी कोई कमी नहीं आई.
बोला- हो सकता है इसने भी मोदी जी की एनटायर पॉलिटिकाल साइंस की तरह कोई एनटायर डिग्री ली है ।लगता है इसे इस हिंदुत्ववादी शोध के कारण शीघ्र ही किसी वैज्ञानिक संस्थान का प्रिंसिपल या कुलपति बना दिया जाएगा । अगर गंगा का पानी इतना ही शुद्ध है तो सभी तथाकथित सच्चे हिंदुओं, भाजपा के मंत्रियों,सांसदों, विधायकों और वोटरों सभी को अगले कुम्भ तक वास्तव में इसी त्रिवेणी का गंगाजल पिलाया जाए । यदि ये तब तक जीवित रह जाएँ तो भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर दिया जाए और योगी जी को उसका आजीवन राष्ट्रपति या प्रधान मंत्री जो भी वे चाहें । और उसके बाद देश में किसी भी पीने के पानी का ट्रीटमेंट करने की कोई जरूरत नहीं ।
हमने कहा- देखो तोताराम, इस बार कुम्भ स्नान में विधर्मी तो गए नहीं । जो भी गए वे शुद्ध सनातनी थे । तूने जूही चावला का कुरकुरे का वह विज्ञापन नहीं देखा- टेढ़ा है पर मेरा है । इसलिए इसमें मल-मूत्र का कुछ अंश है भी तो वह अपना है, राष्ट्रवादी है, सनातनी है ।
बोला- क्या स्टीव जॉब्स की पत्नी, कैटरीना कैफ, नकवी, शाहरुख, सलमान आदि सनातनी हैं ।
हमने कहा- भले ही रजिस्टर्ड सनातनी नहीं हैं लेकिन ये सेलेब्रिटी हैं । इनसे हमारा एजेंडा मजबूत होता है इसलिए ये अलाउड हैं । स्टीव जॉब्स की पत्नी को तो कमलवाहिनी ‘कमला’ नाम भी दे दिया, उसका गोत्र भी निर्धारित कर दिया गया ।
कवि ने भी तो कहा है-
पर्यो अपावन ठौर में कंचन तजे न कोय ।
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