Apr 26, 2011

माले-मुफ्त : दिले-बेरहम



चाय की एक फुल चुस्की लेकर तोताराम बोला-
अब विलंब केहि कारण कीजे ।
तुरत कपिन्ह कहुँ आयसु दीजे । ।

भ्राता श्री, अब जब अवसर सामने है तो करणीय करने के लिए तुरंत आज्ञा दीजिए ।

हमने कहा- कैसी आज्ञा कपिश्रेष्ठ ?

तोताराम- यही कि सचिन और धोनी को 'रत्न' घोषित कर दिया जाए ।

हमने कहा- यह अधिकार तो भारत सरकार का है । हम इसमें क्या कर सकते हैं ?

तोताराम- भारत सरकार का क्या है ? उसे तो जागने में बहुत समय लगेगा । कितने दिन हो गए लोगों को कहते मगर सरकार ने सचिन को 'भारत रत्न' अभी तक नहीं दिया । अटलजी-कांसीरामजी वाला मामला तो चलो राजनीतिक था मगर इसमें तो कोई चक्कर ही नहीं है । सोनिया जी, मनमोहन जी, राहुल जी सभी मैच देखने गए और खुश हुए । झारखण्ड सरकार ने तो इंतज़ार नहीं किया और फटाफट 'झारखण्ड रत्न' दे दिया । यह ठीक है कि अपने राजस्थान का कोई खिलाड़ी नहीं है मगर इससे क्या होता है ? हरियाणा सरकार ने दिल्ली के वीरेंद्र सहवाग को पुरस्कार दिया कि नहीं ?

हमने कहा- यदि देना ही है तो सारी टीम को एक-एक करोड़ रुपए दे दे । सभी खिलाड़ियों को एक-एक बँगला या प्लाट दे दे । सभी मुख्यमंत्री देने की घोषणा कर रहे हैं कि नहीं ?

तोताराम कुंठित नहीं हुआ । कहने लगा- इन मुख्यमंत्रियों के बाप का क्या जा रहा है इसमें ? सब जनता के टेक्स का पैसा है । ये तो मुफ्त में श्रेय और प्रसिद्धि बटोर रहे हैं । अपनी जेब से दें तो जानें । और फिर इन सब खिलाड़ियों के पास कई-कई मकान और प्लाट हैं । पैसे भी बहुत कमा रहे हैं और बड़ी कंपनियों में अफसर बने हुए हैं । और मजे की बात यह है कि किसी के पास भी उस पद के लायक शैक्षणिक योग्यता नहीं है । सारे समय खेलते रहते हैं और मुफ्त की तनख्वाह पेल रहे हैं । यदि पैसा ही देना है तो उन गरीब खिलाड़ियों को दें जो क्रिकेट के अलावा दूसरे खेलों में हाड़ तोड़ रहे हैं और उनके खाने के पैसों तक में से भी अफसर खा जाते हैं । क्या गोपी चंद पुलेला ने बैडमिंटन में देश का गौरव नहीं बढ़ाया ? मगर उसे क्या मिला ? बेचारा भला आदमी है इसलिए कोकाकोला का विज्ञापन भी यह कह कर ठुकरा दिया कि मैं जब खुद कोकाकोला ठीक नहीं समझता तो दूसरों को उसे पीने के लिए कैसे कह सकता हूँ । और ये हैं कि शराब का विज्ञापन भी कर रहे हैं । इसलिए यदि नकद पुरस्कार देना होगा तो गरीब खिलाड़ियों को देंगे इनको तो मैंने केवल 'रत्न पुरस्कार' देने का ही निश्चय किया । तू उस समिति का अध्यक्ष है इसलिए बिना विलंब के इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दे कि "राजस्थान रत्न पुरस्कार समिति सर्व सम्मति से सचिन और धोनी को 'राजस्थान रत्न' पुरस्कार देने की घोषणा करती है । "

हमने कहा- पर यह तो राजस्थान सरकार का काम है ।

तोताराम ने कहा- राजस्थान में इस तरह की कोई समिति नहीं । यदि हमने पहले समिति बना ली है तो कोई चेलेंज नहीं कर सकता ।

हमने कहा- मान ले राजस्थान सरकार ऐतराज नहीं करे पर सचिन और धोनी जब यहाँ पुरस्कार लेने के लिए आएँगे तो कितना खर्चा होगा ? वह हम कहाँ से लाएँगे ?

तोताराम के पास इसका भी ज़वाब था । बोला- निमंत्रण पत्र में लिख देंगे- सम्मान लेने के लिए आने-जाने और ठहरने का खर्चा सम्मानित होने वाला व्यक्ति स्वयं वहन करेगा । फिर कोई नहीं आने वाला । हम यह सम्मान उन्हें डाक से भेज देंगे मगर तब तक इस बहाने अखबारों में खबर तो छप जाएगी ।

हमें लगा, हमने अब तक तोताराम की प्रतिभा को क्यों नहीं पहचाना ! और हमने तोताराम के प्रस्ताव पर अध्यक्ष की हैसियत से हस्ताक्षर कर दिए ।

५-४-२०११

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

2 comments:

  1. तोताराम व्यवहारिक बुद्धि रखता है, कुछ तो सीखिये आप उससे..

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  2. अध्‍यक्ष महोदय जिंदाबाद.... हमारा अध्‍यक्ष कैसा हो... जोशी जी जैसा हो


    और सचिव तोताराम जैसा :)

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