May 8, 2016

दूध पीने वाले मजनूँ

 
 

 दूध पीने वाले मजनूँ

आज जैसे ही तोताराम आया हमने कहा- जब तक चाय आए हम तुम्हें एक पौराणिक कथा सुनाते हैं  | 
बोला- हालाँकि तेरी यह चाय  इस शर्त पर है तो भारी लेकिन क्या किया जाय | न तोको ठौर, न मोको और ' | वैसे आजकल यदि तमिलनाडु में होता तो चुनाव सभाओं में भीड़ दिखाने के लिए प्रति मुंडी रेट प्रतिदिन  तीन सौ से एक हजार  रुपए तक चल रहा है |

हमने कहा-तमिलनाडु को छोड़ और सुन |काशी के पास करुष नाम का एक छोटा सा राज्य था | वहाँ के राजा का नाम पौन्ड्रक था |वह बड़ा घमंडी था  | उसके चापलूस सरदार हमेशा उससे कहा करते थे कि आप भगवान वासुदेव (श्रीकृष्ण) हैं और जगत की रक्षा के लिए इस पृथ्वी पर अवतरित हुए हैं |बार-बार इस प्रकार की झूठी प्रशंसा सुनकर वह मूर्ख सचमुच ही अपने आपको को श्रीकृष्ण समझने लगा | उसने अपने दो हाथों के अतिरिक्त दो नकली हाथ लगा लिये और श्रीकृष्ण के समान ही शंख, चक्र, गदा , पद्म, कवच आदि रखने लगा | जब बलराम जी द्वारिका से ब्रज गये हुए थे, उस समय पौन्ड्रक ने कृष्ण के पास दूत भेजकर कहलवाया -" भगवान का अवतार कहे जानेवाला असली कृष्ण मै हूँ, तुम नकली हो | इसलिए तुम स्वयं को वासुदेव (कृष्ण) कहलाना छोड़ दो, अन्यथा मुझसे युद्ध करो." भगवान ने उसके दूत को तिरस्कारपूर्ण सन्देश देकर वापस भेज दिया तथा अकेले ही रथ पर सवार होकर काशी पर चढ़ाई कर दी | पौन्ड्रक उन दिनों अपने मित्र काशिराज के पास ही रहता था | भगवान श्रीकृष्ण के आक्रमण का समाचार पाकर वह दो अक्षौहिणी सेना लेकर मैदान में आ डटा | उसका मित्र काशी-नरेश भी तीन अक्षौहिणी सेना के साथ सहायतार्थ उसके पीछे-पीछे आया | इस युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बाणों से घमंडी राजा पौन्ड्रक के रथ को तोड़-फोड़ डाला और सुदर्शनचक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया | उसके मित्र काशी के राजा को भी सेना सहित मार दिया तथा बाणों के द्वारा उसके सिर को धड़ से ऊपर लिया और काशी में राजभवन के द्वार पर गिरा दिया | इस प्रकार पौन्ड्रक और उसके मित्र काशिराज को मारकर उनका उद्धार किया और अपनी राजधानी द्वारिका लौट आए |

कहानी सुनकर तोताराम ने कहा- मास्टर, आज तूने मर्म पर चोट की है |लगता है तूने उत्तर प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष केशव मौर्य वाला पोस्टर देख लिया है और उसी के सन्दर्भ में मुझे यह कथा सुनाई है लेकिन तुझे तो विपक्षियों की तरह इकतरफा बात नहीं करनी चाहिए | और कुछ नहीं तो कम से कम यह तो मानना ही होगा की यूपी के भाजपा अध्यक्ष मौर्य जी का नाम केशव है  | केशव और कृष्ण में क्या फर्क है ? वैसे एक बात है कि इस पोस्टर से सहमत न होने वाले भी यह तो मान रहे हैं कि बंदा कृष्ण के मेकअप में जँच तो खूब रहा है | 

हमने कहा-वैसे नेताओं के चमचे  उन्हें  ब्रह्मा, विष्णु, या ईश्वर का वरदान कुछ भी कहें हमें ऐतराज़ नहीं  है  क्योंकि  लम्पटता और खुशामद  में  न  तो कुछ गलत है और न ही  अनुचित  क्योंकि  ये दोनों ही  झूठ  पर आधारित होते हैं  | लेकिन  जब  धोनी  को एक विज्ञापन  में विष्णु  के रूप में दिखाया गया था या   अमेज़न के सी.ई.ओ. ज़फ़ बेजोस को विष्णु के रूप में दिखाया गया तो ये लोग ही सबसे ज्यादा चिल्ला रहे थे | जब केशव मौर्य कृष्ण के रूप में दिखाए जा सकते हैं तो धोनी और अमेज़न के सी.ई.ओ. तो इनसे बहुत बड़े सेलेब्रिटी हैं | 

बोला- देख, यह अपने-अपने अधिकार क्षेत्र की बात है |अंग्रेज चाहे कितनी भी गलत अंग्रेजी बोलें लेकिन हम नोलेज का 'के' और साइकोलोजी का 'पी' भी नहीं हटा सकते | हाँ, हिंदी हमारी मातृभाषा है इसलिए उसका सत्यानाश करने का अधिकार हमें ही है | अल्लाह के बारे में हिन्दू कुछ नहीं कह सकते, उसका ठेका मुल्लाओं के पास है | इसी तरह राम और कृष्ण तथा  हिन्दू और भारत की आस्था व अस्मिता का ठेका जिनके पास है वे जो चाहे कर सकते हैं लेकिन यह  छूट और किसी को कैसे दी जा सकती है |

हमने कहा- ठेका तो ठीक है लेकिन कुर्सी कब्जाने के लिए कृष्ण बनना और कृष्ण की निष्काम भूमिका निभाना दोनों बहुत भिन्न बातें हैं |कृष्ण के सारे काम धर्म के लिए थे और इनके सब काम सत्ता प्राप्ति के लिए हैं |मथुरा और हस्तिनापुर दोनों  के राज्य एक प्रकार से कृष्ण के ही थे लेकिन देखा, कैसे अपना काम करके कृष्ण राम की तरह निस्पृह भाव से चले गए | 
आज तक कभी भी अम्बेडकर या रैदास का नाम तक न लेने वाले कैसे वोट बैंक के लिए इन दोनों आत्माओं पर पिले पड़े हैं |

सब दूध पीने वाले मजनूँ हैं |खून देने वाला मजनूँ तो पता नहीं किस वीराने में लैला-लैला रटता भटक रहा होगा |

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