Feb 9, 2017

डोली सजा के रखना...उर्फ़ ट्रंप का कार्यभार

  डोली सजा के .. उर्फ़ ट्रंप का कार्यभार 

तोताराम बहुत जोश में था, आते ही धाराप्रवाह मूसलाधार वर्षण- देखा, इसे कहते हैं काम करने का जज़्बा और लगन | 

हमने कहा- हो भी क्यों नहीं ? सत्तर साल से लोग देश का सत्यानाश किए जा रहे थे और ये घर-बार सब छोड़कर देश के लिए कुछ करने को उतावले हो रहे थे |आते ही तरह-तरह की योजनाएँ, तरह-तरह के खाते, यहाँ तक कि बिना बेलेंस वाले खाते जैसे कोई डिज़िटल डिनर करा दे, तरह-तरह के फॉर्म |हो सकता है कि बन्दे को खुद भी याद न हो कि किसका, कितना विकास कर दिया |हमें तो लगता है कहीं उस अतिउत्साही पुलिसमैन की तरह पीछा करते हुए कहीं चोर से भी आगे न निकल जाएँ |

बोला- तू क्या समझा ? मैं अपने मोदी जी की बात नहीं कर रहा हूँ |मैं तो सत्तर साल के बुज़ुर्ग अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जी की बात कर रहा हूँ |मानना पड़ेगा बन्दे की लगन को | पता नहीं ८ नवम्बर २०१६ से २० जनवरी २०१७ तक के ७० दिन कैसे निकले होंगे |'दिल वाले दुल्हनिया ले जाएँगे' फिल्म के नायक की 'डोली सजाके रखना, मेहंदी लगाके रखना' से भी बदतर हालत हो रही होगी बेचारे की |पता नहीं दुनिया की औपचारिकताएँ किस राहुकाल के कारण रुकावट डालती हैं या किस अभिजित मुहूर्त का इंतज़ार करती हैं |

हमने कहा- बात तो तुम्हारी सच है तोताराम | सोचो, कोई गौना करके नई-नई दुल्हन लाए और पंडित जी कह दें कि तुम अपनी दुल्हन का ७० दिन तक मुँह भी नहीं देख सकते |और वह उतावला दूल्हा घर की दीवार के पार अन्दर से दुल्हन के साथ अन्य लोगों की हँसी सुने |सोचो, क्या गुज़रती होगी उस दूल्हे पर ? सोचता होगा कि मेरी वाग्दत्ता पता नहीं किसके साथ चोंच लड़ा रही है ? 

अमरीका के इस रिवाज़ के पीछे क्या लोजिक है ? अरे, जब एक आदमी चुनाव जीत गया तो उसे उसी समय शपथ क्यों नहीं दिला देते |पूर्ववर्ती को पता तो होता ही है कि फलाँ तारीख़ को रिजल्ट आएगा तब उसे यहाँ से जाना ही पड़ेगा तो क्यों न अपना बोरिया बिस्तर बाँधकर रखे |अगले दरवाजे से नया दूल्हा घुसे और पिछले दरवाजे से पुराना दूल्हा खिसक ले |जब जाना ही है तो जाओ, क्यों बेचारे आने वाले को तरसाते हो |लेकिन नहीं जी, तरह-तरह के नाटक करेंगे |सत्तर दिन तक नए दूल्हे की जान जलाएँगे |बेचारे के धैर्य की परीक्षा लेंगे |

बोला- वास्तव में ट्रंप जैसे कर्मठ व्यक्ति के लिए इतना धैर्य बहुत कष्ट का कारण रहा होगा |मुझे तो लगता है बन्दे ने अपनी जेब में अपना पेन खोलकर रखा होगा और शपथ के रजिस्टर में के साइन करते ही उस विशेष पेन को खुला छोड़कर भाग लिया होगा अन्दर की ओर |क्योंकि ऐसे विकसोतुर व्यक्ति को कोई नहीं रोक सकता |मुझे तो लगता है यह बंदा रात को ही दीवार फाँदकर अन्दर घुस गया होगा और पुराना  रजिस्टर मेज पर रख आया होगा और फिर शपथ ग्रहण के साइन करते ही भागकर रजिस्टर में ओबामा के हेल्थ केयर जैसे जन-विरोधी कार्यक्रम पर कैंची चला दी | और देश की सुरक्षा के लिए मेक्सिको की सीमा पर दीवार बनाने और सात देशों के मुसलमानों पर प्रतिबन्ध लगाने जैसे विश्व-कल्याण के कामों में जुट गया |

हमने कहा- कुछ भी हो लेकिन मानना पड़ेगा बन्दे की स्पीड को |व्यापार-धंधा, बड़ा परिवार, तीसरी बीवी के नखरे फिर भी यह स्पीड |अपने भारत में तो देश और समाज की सच्ची सेवा कुँवारे रहने और बीवी को छोड़े बिना नहीं हो सकती |सच्चे सेवकों को दाढ़ी बनाने तक का समय नहीं मिलता |

बोला- लेकिन मास्टर, मुझे तो इस बात की चिंता है कि कहीं राष्ट्र की सुरक्षा के नाम पर हमारे यहाँ भी दीवार बनाने वाला सिद्धांत आ गया तो जैसे नोट बंदी के समय सब कुछ रुक गया था वैसे कहीं दीवार बनाने के चक्कर में अगले दस साल तक सब कुछ ठप्प न हो जाए ? 

हमने कहा- चिंता मत कर |हमारे लोकतंत्र में सेवक बातों से ही इतनी दीवारें उठाए दे रहे हैं कि जिन्हें गिराना किसी गौतम-गाँधी के वश का नहीं रह जाएगा |और फिर यदि ये दीवारें बनवाएँगे भी तो डिजिटल, जो न किसी को दिखाई देंगी और न उनके बनने, न बनने का प्रमाण |'स्वच्छ भारत :स्वस्थ भारत' की तरह अखबारों में विज्ञापन देख लो या फिर साफ़ जगह पर साफ़ कपड़े पहनकर सफाई करते सेवकों के फोटो | और खुश हो लो |जो हालत है उसे तो सामान्य जनता का जी जानता ही है |

बोला- फिर भी मास्टर, इश्किया गीतों में भी इश्क से कम नशा नहीं होता | तभी तो आजकल मोबाइल पर मोहब्बत की बातों का धंधा चल रहा है कि नहीं ? 

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