Feb 13, 2017

  अमरीका वाले क्या जानें राजनीति 


आज आते ही तोताराम ने कहा- देखा मास्टर, फँस गया ना चाचा | 

हमने पूछा- कौन चाचा ?

बोला-  ट्रंप |

हमने कहा- लेकिन वह तो हमसे पाँच साल छोटा है फिर चाचा कैसे हो गया ? 

कहने लगा- ठीक है मत मान चाचा लेकिन फँस तो गया ही ना ?तभी कहा है- नक़ल में भी अकल चाहिए |

हमने कहा- नक़ल किसकी ?ट्रंप तो अमरीकी राजनीति में एक नितांत मौलिक उद्भावना है, एक अनुपम चरित्र है |

बोला- मोदी जी के नारे - 'अबकी बार : मोदी सरकार'  की नक़ल पर 'अबकी बार : ट्रंप सरकार' का नारा देकर जीत तो गया लेकिन मात्र नक़ल से ही सारी अकल थोड़े आ जाती है | शपथ लेते ही दौड़ता हुआ पहुँच गया ऑफिस में और ताबड़तोड़ आदेश निकालने लगा जो बोला था उसका कार्यान्वयन करने के लिए |कुछ सोचकर ही तो  बुजुर्गों ने कहा है- जल्दी का काम शैतान का |

क्या जल्दी थी ? शपथ लेता, छह महीने लगा देता व्हाईट हाउस को सजाने में, छह महीने निकाल देता अपने वोटरों को धन्यवाद देने के लिए 'धन्यवाद यात्रा' में, फिर निकल जाता विदेश यात्रा पर |और जब वापिस अमरीका जाता और लोग पीछे पड़ ही जाते और वादे याद दिलाते तो फिर मेक्सिको की सीमा पर दीवार बनाने का चर्चा छेड़ देता |रेडियो पर लोगों से दीवार के बारे में चर्चा करता |दीवार बनवाने के लिए ग्लोबल टेंडर निकालता, फिर मुहूर्त निकलवाता, दीवार का शिलान्यास करता और फिर राष्ट्रीय एकता के नाम पर हर घर से एक-एक ईंट और एक-एक डालर इकट्ठे करता |दीवार जब बनती तब बनती लेकिन इस चक्कर में अपने लिए दो टर्म ही नहीं  बल्कि पार्टी के लिए अगले दस-पाँच टर्म पक्के कर लेता | इसके बाद भी यदि लोग इस्लामिक आतंकवाद की बात करते तो कह देता मुस्लिमों पर प्रतिबन्ध लगाना तो एक चुनावी जुमला था |और इससे भी बात नहीं बनती तो कह देता ओबामा मुसलमान है और इसीने दुनिया भर के मुसलमानों को आतंकवाद फ़ैलाने में मदद दी है |अब इसके और इसकी पार्टी के पिछले सैंकड़ों वर्षों से बिगाड़ी हुई व्यवस्था को सुधारने में कम से कम आठ-दस साल तो लगेंगे ही | वैसे सच तू भी जानता है कि पिछले ६५ वर्षों में से ३७ साल इन्हीं की पार्टी का राज रहा है और उस दौरान राष्ट्रपति रहे आइज़न हावर,निक्सन,फोर्ड, रीगन,सीनियर और जूनियर बुश की नीतियों के कारण ही मध्य-पूर्व एशिया की यह खुजली इस दुनिया को लगी थी | 

हमने कहा- तोताराम, कुछ भी हो बंदा है तो बात का पक्का |एक पल की भी देर नहीं की अपने कार्यक्रम को लागू करने में |किसी को याद दिलाने की भी ज़रूरत नहीं पड़ी |पर अमरीका के ये जज बड़े खुचड़ हैं |अरे, तुम्हें ही सब कुछ करना था तो राष्ट्रपति चुनने की ज़रूरत ही क्या थी |अब बंदा जो वादे अपने वोटरों से करके आया है उन्हें पूरा करना तो उसका फ़र्ज़ बनता ही है |वैसे आज तक ऐसा कोई देशभक्त राष्ट्रपति नहीं हुआ जिसने देश की सुरक्षा और बेरोजगारी दूर करने के लिए इतने साहसिक कदम उठाए हों |

बोला- अपने आप को बड़ा फन्ने खां समझता है लेकिन अकल धेले भर की नहीं |अरे, मुसलमानों के खिलाफ कुछ करना ही था तो पहले अपने मंत्रियों से उलटे-सीधे, घातक और घृणा फ़ैलाने वाले बयान दिलवाता, अल्पसंख्यकों को गालियाँ निकलवाता | जब हल्ला मचता तो कह देता- यह उस मंत्री की व्यक्तिगत राय है, यह पार्टी का आधिकारिक मत नहीं है |इससे भी बात नहीं बनती तो किसी के यहाँ सूअर का तो किसी के यहाँ गाय का मांस फिंकवा देता |उसके बाद जब वातावरण  बन जाता तब कुछ कर लेता |वैसे कुछ न करता तो भी अगले चुनाव के लिए एक राष्ट्रवादी भावभूमि तो तैयार हो ही जाती | 

हमने कहा- लेकिन तोताराम, तू तो सबसे बड़े लोकतंत्र का एक सजग नागरिक है |कुछ तो कर जिससे ट्रंप का उद्धार हो और बेचारा इस कीचड़ से निकले |

बोला- अब तो एक ही उपाय है- उसे अमरीका में डालर-बंदी कर देनी चाहिए |

हमने कहा- उससे क्या होगा ? वहाँ न तो टेक्स चोरी होती है, न नकली डालर छपते हैं, न डेमोक्रेटिक पार्टी बेनामी चंदा लेती है फिर क्या बहाना बनाए डालर-बंदी का |

बोला- कह दे,जैसे भारत में नोट बंदी के बाद से आतंकवाद समाप्त  हो गया वैसे ही अमरीका में भी डालर बंदी के बाद इस्लामिक आतंकवाद  समाप्त हो जाएगा |आपको इस्लामिक आतंकवाद समाप्त होने से मतलब है, हम कैसे करते हैं इससे तुम्हें क्या मतलब ?

हमने पूछा- यदि फिर भी बात न बने तो ?

बोला- तब तो फिर देशद्रोह का मामला ही बनता है |




No comments:

Post a Comment