Mar 22, 2018

माननीय, श्रीमान, मान्यवर आदि-आदि .....



माननीय, श्रीमान, परमआदरणीय आदि-आदि ......

आज हम कुछ देर से उठे  |बाहर सड़क पर से ही बुलंद आवाज़ में कोई बोल रहा था |पूरा तो समझ में नहीं आया लेकिन कुछ वैसी ही विरुदावली थी जैसी किसी सम्राट या बादशाह के दरबार में पधारने या अपने अन्तःपुर में दाखिल होने पर  मागध, सूत, बन्दीजन,गन्धर्व-किन्नर, चारण आदि द्वारा उद्घोषित की जाती है | |

परम आदरणीय, श्री-श्री १०८, प्रातः-स्मरणीय, वंदनीय, अध्यापक शिरोमणि, विद्या-वारिधि, चमत्कार-चूड़ामणि, अग्रज श्री, क्या मैं तुच्छ, नाचीज़, दासानुदास आपकी पद-रज अपने मस्तक पर धारण कर अपना जन्म सुधारने का सौभाग्य प्राप्त कर सकता हूँ |

हमें लगा इस लोकतांत्रिक विश्व में विनम्रता का ऐसा नाटक, गुलामी का ऐसा नंगा प्रदर्शन क्या उचित है ? कुछ देर बाद फिर वे ही शब्द पर कुछ और करुण और आर्त | हे दीनबंधु, क्या आप सेवक से इतना रुष्ट हैं |आपके तोताराम को आपके अतिरिक्त और कहाँ शरण मिलेगी ? इस अंतिम काल में तो मुझे दर्शन लाभ से वंचित न करें |

अब तो हमें एक झटका-सा लगा |अरे, यह विरुदावली तो हमारे लिए ही थी |हम तो शर्मिंदा हो रहे थे कि लोग इस शब्दावली को सुनकर क्या सोच रहे होंगे ?

हमने तोताराम को अन्दर लिया और पूछा- यह क्या तमाशा है ?

बोला- भाई साहब, मैं अब तक आपसे तू-तड़ाक से बात करता रहा |पता नहीं, मुझे इस पाप का क्या दंड मिलेगा ? आदमी में कुछ तो अनुशासन होना चाहिए कि नहीं ?यदि आपकी जगह कोई अनुशासन-प्रिय व्यक्ति रहा होता तो पता नहीं क्या करता ? देखा नहीं, बंगाल में बीएसएफ के एक अधिकारी ने एक जवान द्वारा मोदी जी का नाम बिना 'श्री या माननीय' के लेने पर उसकी सात दिन की तनख्वाह काट ली |

हमने कहा- हम न तो अधिकारी हैं जो तुम्हें कोई दंड दे सकें और न ही हम मोदी जी जितने बड़े हैं कि बिना श्री या माननीय के हमारी बेइज़्ज़ती हो जाएगी |हमारे यहाँ तो विष्णु, शिव, ब्रह्मा, राम, कृष्ण, बुद्ध किसी से पहले श्री, माननीय आदि नहीं लगाते |राम का काम भी बिना श्री के मज़े से चल रहा था |उन्होंने कभी श्री रामचन्द्र प्रसाद सिंह सूर्यवंशी नहीं लिखा |लेकिन जब लोगों को राजनीतिक धंधे के लिए एक नारा और मुद्दा दरकार था तो राम  रोम-रोम में रमने वाले राम न होकर 'जैश्रीराम' हो गए  |सभी धर्मों में ईश्वर को तू ही कहा जाता है |जो जितना छोटा होता है उसे उतने ही ज्यादा नाटक और बड़े-बड़े विशेषण चाहिएँ |

बोला- यह वाकया बताने का मेरा मतलब  यह नहीं था कि आप इतने तुच्छ हैं जो श्री न लगाने पर मेरी चाय बंद कर देंगे और न ही मोदी की ऐसी कुछ नीयत थी |उन्होंने तो उस जवान का दंड माफ़ करने के लिए कहा है |मुझे लगता है उस अधिकारी ने यह नाटक कहीं मोदी जी की कृपा प्राप्त करने के लिए न किया हो |आजकल नेताओं की ओर से तरह के घटिया स्टेटमेंट आ रहे हैं वे उनके व्यक्तिगत विचार कम और मोदी जी को खुश करने की चेष्टा अधिक है |वे सोचते हैं कि इससे मोदी जी खुश होंगे लेकिन वास्तव में वे मोदी जी का नुकसान ही कर रहे हैं |

हमने कहा- हमारा तो अब तक का अनुभव यही रहा है कि आजकल इस देश में नेताओं से अधिक बदजुबान और बदतमीज़ और कोई नहीं है |कुतिया, छोकरी और डोकरी तथा पिशाच व ब्रह्मराक्षस जैसे विशेषण नेताओं ने एक दूसरे को दिए या नहीं ? भारतीय राजनीति में यह युग थर्ड क्लास लोगों के लिए याद किया जाएगा |





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