Mar 2, 2018

स्वामी जी से क्लीन चिट



 स्वामी जी से क्लीन चिट 

आज होली की पूर्व संध्या है |कल होलिका दहन |

पता नहीं, वह समय कहाँ गया जब लोग साल भर का कूड़ा जलाकर थोड़ा हल्का हो लेते थे |आजकल तो लोग कूड़ा तो कूड़ा, मन-मुटाव तक का भी अचार डाल लेते हैं |न जीते हैं, न दुनिया को जीने देते हैं |

पत्नी ने पकौड़े बनाए |इनका मोदी जी की किसी रोज़गार योजना और चिदंबरम जी की भिखमंगई से कोई संबंध नहीं है |यह तो बस, सेलेब्रेट कर रहे हैं |जैसे ही दो-दो पकौड़े खाकर हमने और तोताराम ने चाय की तरफ हाथ बढ़ाया, किन्ही दो अदृश्य हाथों ने हम दोनों के हाथ थाम लिए |आवाज़ आई- बस, मास्टरो, तुम्हारा समय समाप्त हो गया है |चलो, हमारे साथ |

हम दोनों सन्न |यह अचानक क्या हुआ ? लेकिन यह कोई सरकारी बैंक का घपला तो है नहीं कि किसी के साथ खिंचवाया फोटो दिखाकर बच जाते या किसी सरनेम का सहारा लेकर विदेश भाग जाते | लगा गले में एक नाज़ुक सी रस्सी बँधी है और हम दोनों किसी के साथ उड़े जा रहे हैं |न कोई बस, न ट्रेन |प्लेन का तो सवाल ही नहीं |

हम तो डरे हुए थे लेकिन तोताराम चुप नहीं रह सका, बोला- बन्धु, हम आपका नाम तो नहीं जानते |यह भी पता नहीं कि आपके उस लोक में कौनसी भाषा बोली जाती है | लेकिन यदि कुछ ले-देकर छूटने की संभावना हो तो बताओ |

तभी आवाज़ आई- तुम्हारी तरह हमारे यहाँ किसी की पार्टी और धर्म देखकर कानून नहीं बनाए जाते | और जुमले तो बिलकुल भी नहीं चलते | न ही हज सब्सीडी पर दूसरों को गाली देकर नागालैंड में यरूशलम की तीर्थ-यात्रा के लिए सब्सीडी का वादा किया जाता है |या केंद्रीय विद्यालय के रिटायर्ड कर्मचारियों को सातवाँ पे कमीशन न देकर चुनाव जीतने के लिए त्रिपुरा के राज्य-कर्मचारियों को सातवें पे कमीशन का झाँसा दिया जाता है | 

हमने कहा- भाई साहब, आपको यह सब कैसे मालूम ?

आवाज़ आई- हम नीरव रहकर काम करते हैं |हम कोलाहल नहीं हैं |और यह भी समझ लो, हमारा नीरव मोदी से कोई लिंक नहीं है |

तोताराम बोला- लेकिन भाई साहब, ऊपर ले जाने से पहले अगर हो सके तो एक बार जेतली जी या मोदी जी बँगले की तरफ से निकल चलो | 

आवाज़ आई- उधर चलकर बिना बात क्यों टाइम खोटी कर रहे हो ? जिन्हें कुछ देना होता है वे इतना समय नहीं लगते |छब्बीस महिने कम नहीं होते |पिछली सरकारों ने क्या कभी पे कमीशन के लिए इतना तरसाया था ?

हमने कहा- कोई बात नहीं |यदि हो सके तो एक बार सुब्रमण्यम स्वामी जी से हमारी बात करवाते चलो |

आवाज़ आई- उनसे तुम्हें क्या काम आ गया ? वे किसी की पैरवी नहीं करते |उनका तो अपना ही एक अलग एजेंडा है | 

हमने कहा-  वे किसी स्वाभाविक मौत को भी हत्या सिद्ध करने की ताकत रखते हैं |यदि हम दोनों की इस सुखद मृत्यु को उन्होंने हत्या बता दिया तो हम दोनों की पत्नियों की तो आफत हो जाएगी ? 

तभी पत्नी ने झकझोरा तो हमारी आँख खुल गई |कह रही थी- कब तक सोते रहोगे ? होली का सगुन का तो थोड़ा-बहुत सामान ले आओ |

हम सोच रहे थे- मरने का स्वप्न दीर्घायु होने का संकेत होता है |न सही पे कमीशन |हो सकता है, शतायु होकर ही मोदी जी से पे कमीशन का हिसाब-किताब बराबर कर लें |


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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