पी.एन.बी. घोटाला और वास्तुशास्त्र
हम बरामदे में बैठे चाय और तोताराम दोनों का इंतज़ार कर रहे थे |तोताराम ने आते ही हमारे टोपे को हटाकर माथे का मुआयना करना शुरू कर दिया |
हमने कहा- बन्धु, यह क्या बंदरों की तरह हमारे सिर में जूएँ ढूँढ़ रहा है |हमारे तो इतने बाल ही नहीं हैं जिनमें जूओं को छुपने के लिए स्थान मिल सके |वैसे भी हम नेताओं की तरह ऐसे बेशर्म हो गए हैं कि हमारे कान पर जूँ नहीं रेंगती |
बोला- मैं तेरी जूएँ नहीं, तेरी तीसरी आँख ढूँढ़ रहा हूँ |
हमने कहा- तीसरी आँख तो भगवान शिव के पास होती है या फिर नियामक प्राधिकरणों के पास होती हैं |हमारी तो ये जो दो आँखें हैं वे भी पौष्टिक भोजन के अभाव में बुझते दीए की तरह हो रही हैं |शिव ही क्या, स्वयं भगवान को ही भक्तों ने अपने-अपने तहखानों में डाल रखा है और उसके नाम से खुद फरमान और फतवे ज़ारी कर रहे हैं |नियामक प्राधिकरणों की आँखों पर भी सत्ताधारियों ने पट्टी बाँध रखी है |किसी भी दल, धर्म, मद और पद के अंधे को कोई भी आँख वाला बर्दाश्त नहीं होता |जो भूल से भी अपनी आँखें खोलता है तो उसे अशोक खेमका की तरह ट्रांसफर ने नाम पर खदेड़ा जाता है |यदि ऐसा नहीं होता तो टू जी स्केम में सीबीआई विशेष जज सैनी के सामने क्यों प्रमाण और गवाह नहीं पेश कर सकी |बेचारे सात साल रोज दफ्तर में बैठे इंतजार करते रहे |
बोला- अब अकेले जेतली जी क्या करें ? नोटबंदी सँभालें या जी.एस.टी. या फिर बैंकों का पास वर्ड कब्जाकर, दावोस घूमने वाले लेकिन नीरवतापूर्वक अपने काम को अंजाम देने वले नीरव मोदी और चौकसी भाई को सँभालें | नियामक प्राधिकरणों ने भी अपनी तीसरी आँख को काम में नहीं लिया | और मैं तो कुछ तेरी गलती भी मानता हूँ कि यहाँ बरामदे में बैठा-बैठा फालतू की पंचायती करता रहता है |यह भी नहीं हुआ कि थोड़ा समय निकालकर पंजाब नॅशनल बैंक का ही एक-आध चक्कर लगा लेता और घोटाला पकड़ लेता |देश के प्रति तेरी भी तो कुछ ज़िम्मेदारी बनती है कि नहीं |जेतली जी ने कहा है कि नेता तो ज़िम्मेदार हैं लेकिन नियामक प्राधिकरणों की ओर से ही कमी है जो सतर्क नहीं रहते |
हमने कहा- ऐसे में उपदेश, दर्शन और नैतिकता का ही सहारा है |सो उन्होंने भी अपना आस्था चेनल खोल दिया है |कहा है- कारोबार जगत को अपने भीतर झाँक कर भी देखना चाहिए |यह क्या कि हर समय पैसा कमाने के बारे में ही सोचना |ऊपर वाले ओ क्या ज़वाब देंगे ?
बोला- ऊपर वाले को तो पता नहीं लेकिन नीरव ने नीरवतापूर्वक जेतली जी को ज़वाब दे तो दिया कि आपने हल्ला मचाकर हमारी साख खराब कर दी |धंधा तो चलता ही साख के बल पर है |अब जब धंधा जमेगा तो देखेंगे |फिलहाल तो काम में व्यस्त हैं |
अब जब तक नीरव जी यहाँ आने का समय निकाल सकें तब तक भारत के परंपरागत वैज्ञानिक पंजाब नॅशनल बैंक के मुख्यालय के वास्तुदोष में घोटाले के मूल कारण तलाशते रहें |
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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