बुरा न मानो ख़ुशी-दिवस है
आज सामान्य दिनों की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही जल्दी तोताराम की खनकती, छलकती 'उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है' जैसी ललकार सुनाई दी |बस ऐसे जैसे किसी पार्टी के अध्यक्ष की आवाज़ किसी बहुप्रतीक्षित,बड़ी चुनावी जीत का बाद लहराने, इतराने लगती है |कह रहा था- अरे, जाग आलसी !यह भी कोई सोने की बेला है ? अरे, यह तो कमर-तोड़, सब कुछ ब्रेक कर डालने वाले डांस की बेला है |
हम और पत्नी हड़बड़ाकर उठ बैठे |जल्दी से दरवाजा खोलकर बरामदे में जा पहुँचे | कहीं कोई नई आफत लेकर 'अच्छे दिन' या 'सबका विकास' तो नहीं आ धमका | जो विकास हो चुका है वही नहीं सँभल रहा है |
जैसे ही हम बरामदे में पहुँचे, तोताराम ने मानिनी नायिका की तरह इठलाकर कहा- बता, मैं क्या खबर लाया हूँ ?
हमने कहा- बन्धु, हम किसी के मन की क्या जानें ?
बोला- छियत्तर साल का होने जा रहा है और इतना-सा अनुमान नहीं लगा सकता |लोग तो जब चाहें सारे देश के मन की बात जान लेते हैं |
हमने कहा- वह 'सब के मन' की नहीं 'अपने मन की बात' होती है |इसी तरह यह तेरे मन की बात है, तू ही जाने |तू ही बता सकता है |बताए तो बता |न बताए तो न सही |अब हममें किसी के इतने नाज़ उठाने का दम नहीं है |
बोला- मैं तो सोचा रहा था कि तू जाने कितना इसरार करेगा लेकिन तूने तो मेरा उत्साह ही ठंडा कर दिया लेकिन खैर, पहले तो ख़ुशी के समाचार की ख़ुशी में यह मिठाई खा |फिर बताऊँगा |
हमने मिठाई खाई |पत्नी को बढ़िया-सी मसाले वाली गुजराती चाय बनाने को कहा और बरामदे में आसन जमाकर तोताराम से पूछा- अब बता, तेरी वह उछल पड़ने वाली ख़ुशी की बात |
बोला- १ जनवरी २०१६ से हमारा सातवें पे कमीशन का फिक्सेशन होकर एरियर बैंक में क्रेडिट हो गया है |
हमने कहा- यह तो मोदी जी के आजीवन प्रधान मंत्री बनने जैसी सुखद खबर है |और तू इतनी देर से छुपाए बैठा है |तुझे तो घर से ही फुल वोल्यूम में डी.जे. पर 'काल्यो कूद पड्यो मेला में ' बजाते हुए आना चाहिए था |
हम कमरे में गए और पेंशन के बचे हुए दस हजार रुपए लेकर आए और तोताराम से कहा-ले, ये हमारी तरफ से |जब तक तेरा मन हो सेलेब्रेट कर |
बोला- भाई साहब, आप खुश हो गए |आपके चेहरे पर जो नूर टपकता देखकर सब कुछ वसूल हो गया |रुपए का क्या है ? हाथ का मैल है |मेरे लिए तो अपने सिर पर आपका हाथ ही सबसे बड़ी नेमत है |
हम तोताराम के स्नेह से अन्दर तक भीग गए, कहा- अब घर क्या जाओगे |खाना यहीं खा लेना | उसके बाद पासबुक पूरी कराने के लिए यही से बैंक चले चलेंगे |
अब तो तोताराम ने हमारे हाथ पकड़ लिए और बोला- भाई साहब, अब चाहें तो मुझे सौ जूते मार लें |बड़ी गलती हो गई |मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था |
तोताराम के इस अचानक यू टर्न ने हमें और भी विचलित कर दिया, कहा- साफ़-साफ़ बता; चक्कर क्या है ?
बोला- भाई साहब, आज तक आपसे कभी इतना बड़ा मज़ाक नहीं किया लेकिन पता नहीं, आज मेरी समझ को क्या हो गया ? आज २० मार्च है 'ख़ुशी दिवस' | तो सोचा है झूठा ही सही आपको खुश देखने के लिए नेताओं की तरह एक जुमला ही फेंक दूँ |
हमने कहा- तोताराम, स्टेंट लगवाने के बाद अब हमें अनुभव होने लगा है कि दिल को सामान्य रखें तो ही ठीक है |ज्यादा ख़ुशी हमें बर्दाश्त नहीं होगी |आगे से ध्यान रखना अन्यथा अगर कुछ ऊँचा-नीचा हो गया तो तू खुद को ही ज़िन्दगी भर माफ़ नहीं कर सकेगा |
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
आज सामान्य दिनों की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही जल्दी तोताराम की खनकती, छलकती 'उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है' जैसी ललकार सुनाई दी |बस ऐसे जैसे किसी पार्टी के अध्यक्ष की आवाज़ किसी बहुप्रतीक्षित,बड़ी चुनावी जीत का बाद लहराने, इतराने लगती है |कह रहा था- अरे, जाग आलसी !यह भी कोई सोने की बेला है ? अरे, यह तो कमर-तोड़, सब कुछ ब्रेक कर डालने वाले डांस की बेला है |
हम और पत्नी हड़बड़ाकर उठ बैठे |जल्दी से दरवाजा खोलकर बरामदे में जा पहुँचे | कहीं कोई नई आफत लेकर 'अच्छे दिन' या 'सबका विकास' तो नहीं आ धमका | जो विकास हो चुका है वही नहीं सँभल रहा है |
जैसे ही हम बरामदे में पहुँचे, तोताराम ने मानिनी नायिका की तरह इठलाकर कहा- बता, मैं क्या खबर लाया हूँ ?
हमने कहा- बन्धु, हम किसी के मन की क्या जानें ?
बोला- छियत्तर साल का होने जा रहा है और इतना-सा अनुमान नहीं लगा सकता |लोग तो जब चाहें सारे देश के मन की बात जान लेते हैं |
हमने कहा- वह 'सब के मन' की नहीं 'अपने मन की बात' होती है |इसी तरह यह तेरे मन की बात है, तू ही जाने |तू ही बता सकता है |बताए तो बता |न बताए तो न सही |अब हममें किसी के इतने नाज़ उठाने का दम नहीं है |
बोला- मैं तो सोचा रहा था कि तू जाने कितना इसरार करेगा लेकिन तूने तो मेरा उत्साह ही ठंडा कर दिया लेकिन खैर, पहले तो ख़ुशी के समाचार की ख़ुशी में यह मिठाई खा |फिर बताऊँगा |
हमने मिठाई खाई |पत्नी को बढ़िया-सी मसाले वाली गुजराती चाय बनाने को कहा और बरामदे में आसन जमाकर तोताराम से पूछा- अब बता, तेरी वह उछल पड़ने वाली ख़ुशी की बात |
बोला- १ जनवरी २०१६ से हमारा सातवें पे कमीशन का फिक्सेशन होकर एरियर बैंक में क्रेडिट हो गया है |
हमने कहा- यह तो मोदी जी के आजीवन प्रधान मंत्री बनने जैसी सुखद खबर है |और तू इतनी देर से छुपाए बैठा है |तुझे तो घर से ही फुल वोल्यूम में डी.जे. पर 'काल्यो कूद पड्यो मेला में ' बजाते हुए आना चाहिए था |
हम कमरे में गए और पेंशन के बचे हुए दस हजार रुपए लेकर आए और तोताराम से कहा-ले, ये हमारी तरफ से |जब तक तेरा मन हो सेलेब्रेट कर |
बोला- भाई साहब, आप खुश हो गए |आपके चेहरे पर जो नूर टपकता देखकर सब कुछ वसूल हो गया |रुपए का क्या है ? हाथ का मैल है |मेरे लिए तो अपने सिर पर आपका हाथ ही सबसे बड़ी नेमत है |
हम तोताराम के स्नेह से अन्दर तक भीग गए, कहा- अब घर क्या जाओगे |खाना यहीं खा लेना | उसके बाद पासबुक पूरी कराने के लिए यही से बैंक चले चलेंगे |
अब तो तोताराम ने हमारे हाथ पकड़ लिए और बोला- भाई साहब, अब चाहें तो मुझे सौ जूते मार लें |बड़ी गलती हो गई |मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था |
तोताराम के इस अचानक यू टर्न ने हमें और भी विचलित कर दिया, कहा- साफ़-साफ़ बता; चक्कर क्या है ?
बोला- भाई साहब, आज तक आपसे कभी इतना बड़ा मज़ाक नहीं किया लेकिन पता नहीं, आज मेरी समझ को क्या हो गया ? आज २० मार्च है 'ख़ुशी दिवस' | तो सोचा है झूठा ही सही आपको खुश देखने के लिए नेताओं की तरह एक जुमला ही फेंक दूँ |
हमने कहा- तोताराम, स्टेंट लगवाने के बाद अब हमें अनुभव होने लगा है कि दिल को सामान्य रखें तो ही ठीक है |ज्यादा ख़ुशी हमें बर्दाश्त नहीं होगी |आगे से ध्यान रखना अन्यथा अगर कुछ ऊँचा-नीचा हो गया तो तू खुद को ही ज़िन्दगी भर माफ़ नहीं कर सकेगा |
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