Aug 5, 2019

मियाँ, मुर्गी है कोई विधायक नहीं



मियाँ, मुर्गी है कोई विधायक नहीं 

ऐसा संयोग हुआ कि पिछले दो दिन से सुबह-सुबह बरसात हुई और बौछारों के कारण बरामदे में नहीं बैठ सके | चाय पर चर्चा कमरे में ही हुई जैसे कि आजकल कर्नाटक में 'चाय पर चर्चा' या तो कहीं किसी बाहुबली के फ़ार्म हाउस में हो रही है या फिर 'विधान सौधा' के स्वागत कक्ष में |आज धूप खिली है जैसे संसद में कई बिल पास हो जाने पर अपने कोटा वाले लोकसभाध्यक्ष ओमजी भाई साहब का मुखारविंद |

जैसे ही चाय पीने को हुए कि पिछली गली के हमारे एक रिटायर्ड मुस्लिम मित्र ज़मील मियाँ प्रकट हुए और हमसे पूछा- किबला, कहीं हमारी मुर्गी आपके इधर तो नहीं आई |

हमने हलके-फुलके मूड में ज़वाब दिया- मियाँ, जब पूरा दाना नहीं दोगे तो बेचारी  भागेगी नहीं तो क्या करेगी ?

बोले-मास्टर साहब, अभी हम मज़ाक के मूड में नहीं हैं |वैसे आपको बता दें कि हम मुर्गी को माता नहीं मानते लेकिन ऐसा नहीं है कि हम उसे ऐसे ही अल्लाह के भरोसे हकाल दें |कोई भावनात्मक मुद्दा नहीं है | जब तक अंडा देती है, दाना खिलाते हैं | जब अंडा देने लायक नहीं रहेगी तब काट लेंगे | 

अब तो हमें भी मज़ा आने लगा |

हालाँकि बात हमसे हो रही थी लेकिन तोताराम ने लपक लिया, बोला- मियाँ, इधर आपकी या किसी और की कोई मुर्गी नहीं आई | आजकल ज़माना खराब है |मुर्गे-मुर्गियों के बारे में लापरवाही बरतना ठीक नहीं |कर्नाटक से दिल्ली तक तरह-तरह के वेश में मुर्गी-चोर घूम रहे हैं |प्लेन में बैठाकर पता नहीं कहाँ, किस फ़ार्म हाउस या रिसोर्ट में ले जाते और पता नहीं क्या करते हैं ? हो सकता है तुम्हारी मुर्गी भी किसी ऐसे ही मुर्गी-चोर जनसेवक के हत्थे चढ़ गई हो |आपके यहाँ रहती तो ज़िन्दगी भर मुर्गी की मुर्गी ही रहती | क्या पता, उधर मंत्री पद का चांस लग जाए |

मियाँ थोड़े नाराज़ हुए बोले- ज़नाब, ठीक है मुर्गी है लेकिन ईमान की इतनी कच्ची नहीं है |वह हमें अंडा देती है और हम उसे दाना |हमें कोई ग्रांट तो मिलती नहीं कि गौशाला की तरह घपला करें |मुर्गी को पता है कि जब तक अंडा देगी तब तक जिएगी और दाना खाएगी | उसके बाद कटना ही है चाहे मुसलमान के यहाँ कटे, चाहे हिन्दू के यहाँ |अखबारों में पढ़ते नहीं, लुच्चे लोग शादी का झाँसा देकर कैसे मूर्ख युवतियों का यौन शोषण करते रहते हैं |

हमें अपनी मुर्गी के चाल, चरित्र और चेहरे पर पूरा विश्वास है |

हमें लगा, मियाँ मुर्गी के ग़म में तैश खा गए |हमने उन्हें शांत करते हुए कहा- मियाँ, हमें आपकी मुर्गी के न मिलने का निहायत अफ़सोस है लेकिन क्या किया जाए ?मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में १५-१५ साल से जमी भाजपा और केंद्र में १० साल से जमी कांग्रेस  सत्ता से बाहर हो गईं | कांग्रेस का तो लोकसभा में  विपक्ष के नेता तक का दर्ज़ा छिन |तो क्या कोई मर गया ? इसलिए धैर्य रखिए, गुस्सा थूकिए और चाय पीजिए | 

चाय का कप थामते हुए मास्टर ज़मील बोले- पंडित, हमें मुर्गी से ज्यादा ग़म इस बात का है कि तोताराम ने हमारी मुर्गी की नीयत पर शक किया |

मियाँ, मुर्गी है कोई विधायक नहीं |















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