Aug 7, 2019

हम किसके वंशज हैं



  हम किसके वंशज हैं


आजकल तोताराम के प्रश्नों का स्तर ऊंचा हो गया है |उसके प्रश्न कुछ-कुछ शोधार्थी जैसे होते हैं |यही चलता रहा तो वह किसी दिन अपना आस्था चैनल खोल लेगा या किसी राष्ट्रवादी पाठ्यपुस्तक कमेटी का अध्यक्ष बन जाएगा |

आज पूछने लगा- हम किसके वंशज है ?

हमने कहा-  भाजपा के एक मंत्री सत्यपाल जी के अनुसार वे खुद तो ऋषियों के वंशज हैं |जो भारत के पौराणिक विज्ञान की अपेक्षा डार्विन पर विश्वास करते हैं वे बंदरों के वंशज हैं |अब यह तेरे ऊपर हैं कि तू किस कुल में शामिल होना चाहता है ? 

बोला- भारत में सभी अपना संबंध किसी ऋषि या राजा से जोड़ते हैं इसलिए सभी क्षत्रियों और ब्राह्मणों के वंशज हैं तो ये अनुसूचित जाति/ जनजाति, दलित, पिछड़े और आदिवासी कहाँ से आगए ? मंत्री जी की अपनी बात तो समझ में आती है कि वे ऋषियों के वंशज है क्योंकि कहते हैं कि दशरथ का वंश शृंगी ऋषि के वरदान से चला था और शांतनु के बेटों का वंश पाराशर नाम के एक ब्राह्मण के पुत्र वेदव्यास से नियोग द्वारा चला था | इस वेदव्यास की माता एक निषाद कन्या थी |अब इस केमेस्ट्री से कौनसा नया रसायन बना होगा यह मंत्री जी जानें |

हमने कहा- सभी समाजों में किसी न किसी रूप में अपने पुरखों को याद करने का विधान है और उसके लिए कई तरह के कर्मकांडों का विधान भी है |हमारे सनातन धर्म में श्राद्ध का सिस्टम है |वर्ष में दो बार श्राद्ध किया जाता है- एक उस दिन जिस दिन  निधन हुआ है और दूसरा निधन की वही तिथि जब श्राद्ध पक्ष में आती है |संयोग से यदि किसी की मृत्यु श्राद्ध पक्ष में होती है तो अगली पीढ़ियों को एक दिन का फायदा हो जाता है और मृतात्मा और श्राद्ध जीमने वालों को एक दिन का नुकसान |

बोला- हर आदमी के जानें कितने पूर्वज हो चुके हैं ? ऐसे में उसका तो हर दिन किसी न किसी श्राद्ध में ही निकल जाएगा |किसी को भी अपने दादा- परदादा से अधिक किसी पूर्वज का नाम मालूम नहीं होता |

हमने कहा- तभी हमारे पूर्वजों ने इस विस्तार को सीमित कर दिया है |केवल तीन पीढ़ियों तक की ज़िम्मेदारी होती है |उसके बाद फ्री |वैसे भूल-चूक लेनी-देनी की शैली में श्राद्ध-पक्ष की अमावस्या को 'सर्व पितृ श्राद्ध' का विधान है- आधा लीटर दूध की खीर और चार पूड़ियों में सब पुरुखों को निबटा दो |

बोला- जब तीन-चार पीढ़ियों से पहले की कोई ज़िम्मेदारी हमारे शास्त्र ही नहीं मानते | तो अब कौन-सा किसी राज्य का बंटवारा हो रहा है जिसके लिए वंशज/पूर्वज  परंपरा जानने की ज़रूरत पड़ गई ? 

हमने कहा-  इसी भारत में जाबाला का पुत्र हुआ है जिसने ऋषि गौतम से कहा- मेरी माता को मेरे पिता का नाम नहीं मालूम क्योंकि उसके आश्रम में आने वाले कई ऋषियों से संबंध रहे हैं |इसी सत्यवादिता से प्रसन्न होकर ऋषि गौतम ने उसे ब्राह्मण माना और अपना शिष्य बनाया | उस देश में ऐसे प्रश्न ? 

तुझे पता है, अगली जनगणना में धर्म और जाति ही नहीं और भी बहुत सी बातें पूछी जाएंगी जैसे ब्राह्मण है तो कौन-सा गौड़ या खंडेलवाल, शनिदेव वाला या बढ़ईगीरी करने वाला, यज्ञ करवाने वाला या प्रेत-पत्तल जीमने वाला |दलित में भी पूछ सकते हैं - गटर साफ़ करने वाला या हर मंत्रिमंडल में घुस जाने वाला |मुसलमान में भी शिया सुन्नी ही नहीं अहमदिया, देवबंदी और भी जाने क्या-क्या |

बोला- इतने विस्तार से तो होमियोपेथी वाला डाक्टर भी नहीं पूछता |लोगों की गिनती न हुई, ब्रह्म सूक्त हो गया |

हमने कहा- कुछ भी कर लें लेकिन आदमी की फितरत का किसी को भी पता नहीं लग सकता कि वह कब गाँधी-भक्त और कब गोडसे-भक्त बन जाएगा |फिर भी देश की सुरक्षा के लिए चेकिंग तो ज़रूरी हैं ना क्योंकि यहाँ कुछ जन्म से ही देशद्रोही और कुछ जन्म से देशभक्त; कुछ जन्म से अपवित्र और कुछ जन्म से ही पवित्र होते हैं |

बोला- क्या आदमी का वंशज होने से काम नहीं चलेगा ? 

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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