Aug 1, 2019

सिंह इज सिंह



 सिंह इज सिंह  


तोताराम ने बिना किसी भूमिका के, बड़ा गोलमोल-सा प्रश्न किया- कुछ ज्यादा नहीं हो गया ?

हमने पूछा- ज्यादा क्या ? कैसे बताएँ ? पता तो चले कि तुम कर्नाटक के सिद्धांतवादी लोकतंत्र की बात कर रहे हो या मोदी जी के पाँच ट्रिलियन डॉलर के जी.डी.पी. की बात कर रहे हो ? 

बोला- मैं तो भाजपा के अतिवादी दृष्टिकोण की बात कर रहा हूँ |क्या सत्रह वर्ष से लगातार चुने जाते रहे लोकप्रिय जनसेवक, लंधौरा और कुंज बहादुरपुर रियासत के राजा रामदयाल सिंह के पौत्र और स्वतंत्रता सेनानी राजा विजय सिंह गुज्जर के ५३ वर्षीय बोडी बिल्डर, बहादुर, सुपुत्र; नारायण दत्त तिवारी, बहुगुणा और हरीश रावत के मंत्रीमंडल में मंत्री रहे, २०१६ में लोकतंत्र की रक्षा के लिए आत्मा की आवाज़ पर भाजपा में  शामिल हुए और कल तक मंत्री रहे कुँवर प्रणव सिंह चैम्पियन को ज़रा सी बात पर इस तरह निष्काषित करना क्या उचित है ?

हमने कहा-चिंता मत कर | जिस तरह बार-बार आत्मा एक शरीर से दूसरे में आती-जाती रहती है  वैसे ही ये भी फिर किसी न किसी पार्टी में जाकर फिर सेवा करने लग जाएँगे |

बोला- मेरा कहने का मतलब यह था कि क्या जुर्म इतना बड़ा है ? 

हमने कहा- तोताराम, जुर्म कभी छोटा-बड़ा नहीं होता |छोटा-बड़ा होता है आदमी |आदमी छोटा है तो रोटी चुराने पर भी उम्र कैद की सजा हो सकती है |मोदी जी के नाम से पहले 'माननीय' और 'श्री' न लगाने पर बी.एस.ऍफ़. के एक जवान का सात दिन का वेतन काट लिया गया | निमंत्रण-पत्र में  राबर्ट वाड्रा के नाम की स्पेलिंग सही न होने पर क्लर्क को लेफ्ट-राईट करवा दिया गया | दिल्ली में ही महात्मा गाँधी की हत्या करने वाले का महिमा-मंडन हो रहा है | राजीव गाँधी की हत्या पर उम्र कैद |

  
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बोला- दुनिया जहान की बात छोड़ | तू तो यह बता कि क्या चैम्पियन जी का जुर्म इतना बड़ा है ?

हमने कहा- हमें तो व्यक्तिगत रूप से कोई ऐतराज़ नहीं है |वैसे ऐतराज़ तो तथाकथित शुचितावादियों को भी नहीं हैं लेकिन फिलहाल इमेज के लिए ऐसा करना पड़ रहा है |कभी लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा तो इन्हीं को माला पहनाकर फिर घर वापसी करवा लेंगे |

हम तो यह कह सकते हैं कि कोर्ट इन्हें कोई सजा नहीं दे सकता |शराब वैध है | टेस्ट करवा लो ९९% नेताओं और धर्माधिकारियों के खून में अल्कोहल मिलेगा | बंदूक का लाइसेंस है, किसी का खून नहीं किया | क्षत्रिय हैं तो क्या लूडो खेलेंगे ? क्या तलवारें लेकर सड़कों पर जुलूस निकालना कोई गाँधी जी वाला 'दांडी मार्च' है ?  और नाच, सो मंदिरों से लेकर सरकारी उत्सवों में तक में कहाँ नहीं होता ? और तमंचा डांस की प्रेरणा देने वाली फिल्म को सेंसर ने पास क्यों किया ? 

बोला- मेरा भी यही मानना है |और फिर देखा नहीं,  कैसा बढ़िया नृत्य कर रहे हैं ? कितने स्वस्थ और प्रसन्न लग रहे हैं ? कुंठाविहीन, सहज, सरल और मासूम |

हमने कहा- और फिर राजा को राजा जैसा लगना भी चाहिए |सिंह इज सिंह |























 

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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