Aug 19, 2019

ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी उर्फ़ विकास के गड्ढे



ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी उर्फ़ विकास के गड्ढे 

हमारे सीकर में साल भर की बारिश दो दिन में ही हो गई। जो होना था वही हुआ।पहले से भरी हुई नालियां और भरकर उफनने लगीं।
तुलसीदास जी के शब्दों में-
छुद्र नदी भरि चली तोराई।
जस थोरेहु धन खल इतराई।।
कुछ नगरवासियों का सफाई प्रेम और कुछ स्थानीय निकाय का वास्तुशिल्प। पानी नालियों में उसी तरह जमा होता रहता है जैसे सत्ता में चारों तरफ बदमाशों का जमावड़ा। इलाके के नेता आपस में उलझकर जनता को कन्फ्यूज कर रहे हैं। एक कहता है- सड़कों पर गड्ढे किस देश में नहीं है? बदले में विश्वसनीय अखबार योरप के शहरों के उदाहरण देते हैं। दूसरा कहता है- क्या मैं बाल्टी लेकर तुम्हारी नालियों का पानी निकालूंगा? ऐसे ही समय निकल जाएगा और सब कुछ सामान्य हो जाएगा- नोटबंदी की तरह।
पिछले दो दिन से तोताराम सरकारी सलाह को मानकर घर से नहीं निकला। आज जैसे ही आया, बोला- लगता है इन दो दिनों में अमित शाह ने तुम्हारी गली का दौरा किया है।
हमने कहा- क्या तूने अमित शाह जी को इस स्तर का नेता समझ रखा है? जब गली में पानी भर गया था तो वार्ड मेंबर तक नहीं आया, और तू अमित भाई की बात कर रहा है। अरे, वे जब आएंगे तो बीबीसी और सीएनएन से सीधा प्रसारण होगा उनके रोड शो का और इलाके की यह हालत रहेगी? सड़क के दोनों और कनातें तान दी जाएंगी, फूलों के गमले रखवा दिए जाएंगे, इत्र छिड़का जाएगा।
बोला- मुझे क्या पता? मैं तो दो दिन से देख रहा हूं, वे उत्तर प्रदेश में ग्राउंड ब्रेकिंग कर रहे हैं। तुझे पता होना चाहिए, ग्राउंड ब्रेक करना आसान है लेकिन उसमें उसकी खुदाई से निकली मिट्टी वापिस भरना सरल नहीं होता। ऐसे में गड्ढों में पानी तो भरेगा ही।
हमने कहा- सिद्धांततः तो तुम्हारी बात ठीक है लेकिन तथ्यात्मक रूप से गलत।
बोला- यह भी कोई बात है? किसी से कुछ भी बुलवा दो और जब मामला उल्टा पड़े तो कह दो यह उनकी व्यक्तिगत राय थी। ‘ग्राउंड ब्रेकिंग’ में ग्राउंड नहीं तो क्या किसी का सिर फोड़ा जाता है?
हमने कहा- तू इस अनुवाद से भ्रमित हो गया है। याद रख जब कोई राष्ट्रवादी अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद करता है तो ऐसा ही होता है? शिलान्यास कहते हुए उसमें हीनभावना आ जाती है। इसीलिए वह यज्ञोपवीत संस्कार को ‘थ्रेड सेरेमनी’ कहता है। वैसे ही यह ‘गड्ढा खोदना’ नहीं है, शिलान्यास है।
वैसे तुझे बता दें, हमारी गली में ये गड्ढे विकास के गड्ढे हैं- कुछ नगर परिषद की सीवर परियोजना और कुछ आइडिया टावर के केबल डालने के बाद जमीन में मिट्टी ढंग से वापिस नहीं भरी गई। वही अब बारिश से बैठ गई। धीरे-धीरे कूड़े कचरे से भराव हो जाएगा।

अब इस ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी विमर्श के बाद यदि ‘टी ड्रिंकिंग सेरेमनी’ करे तो बनवाएं चाय?


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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