लोभात्क्रोधः प्रभवति
यह कोई उल्लेखनीय बात नहीं कि आज तोताराम थोड़ा विलंब से आया | जब बड़े-बड़े कार्यक्रमों में तथाकथित बड़े-बड़े,
लेकिन वास्तव में टुच्चे नेता, घंटों-घंटों विलंब से आते हैं तो तोताराम को क्या दोष दें |वैसे उसे कौन-सा गणतंत्र दिवस
की परेड में सलामी लेनी थी या झंडा फहराना था | ऐसे दिवस हमारे लिए वास्तव में आत्ममंथन और कृतज्ञता अनुभव
करने के होते हैं | हम अपने पूर्वजों का आदरपूर्ण स्मरण करते हैं जिन्होंने हमें इतना उदार दर्शन दिया कि सभी तरह
के कुचक्रों और तूफानों में भी इस राष्ट्र नौका को खेते आ रहे हैं |बरामदे में ऊंचे वोल्यूम में ट्रांजिस्टर बज रहा है |
हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल के……
लेकिन वास्तव में टुच्चे नेता, घंटों-घंटों विलंब से आते हैं तो तोताराम को क्या दोष दें |वैसे उसे कौन-सा गणतंत्र दिवस
की परेड में सलामी लेनी थी या झंडा फहराना था | ऐसे दिवस हमारे लिए वास्तव में आत्ममंथन और कृतज्ञता अनुभव
करने के होते हैं | हम अपने पूर्वजों का आदरपूर्ण स्मरण करते हैं जिन्होंने हमें इतना उदार दर्शन दिया कि सभी तरह
के कुचक्रों और तूफानों में भी इस राष्ट्र नौका को खेते आ रहे हैं |बरामदे में ऊंचे वोल्यूम में ट्रांजिस्टर बज रहा है |
हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल के……
विशिष्ट अवसरों पर यही तो हमारी लक्ज़री है |
पत्नी ने आवाज़ लगाई - चाय ले जाओ |
हमने जैसे ही तोताराम को चाय का गिलास पकड़ाया, पता नहीं उसने कैसे झटके से गिलास लिया कि चाय
छलकते-छलकते बची |
छलकते-छलकते बची |
हमने पूछा- क्या बात ? क्यों गुस्सा हो रहा है ? यदि किसी बात पर गुस्सा है भी तो कम से कम आज के दिन
तो गुस्सा थूक दे | खैरियत मना कि पूर्वजों के सत्कर्मो के सुफल से अभी इस देश में इतनी तमीज़ बची हुई कि
यह टुच्चे नेताओं के बहकावे में आकर कुत्तों की तरह लड़ नहीं रहा है |
तो गुस्सा थूक दे | खैरियत मना कि पूर्वजों के सत्कर्मो के सुफल से अभी इस देश में इतनी तमीज़ बची हुई कि
यह टुच्चे नेताओं के बहकावे में आकर कुत्तों की तरह लड़ नहीं रहा है |
बोला- हाँ, गुस्से में ही हूँ |अब यह देश गुस्से से ही सुधरेगा |तभी तो बादली में एक जनसभा को संबोधित करते हुए
अमित शाह जी ने कहा है- 'देश विरोधी ताकतों को कोई कंट्रोल कर सकता है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही कर सकते हैं।
इस चुनाव में कमल के निशान पर बटन जरूर दबाना और इतने गुस्से से बटन दबाना कि इसका असर शाहीन बाग तक हो।'
अमित शाह जी ने कहा है- 'देश विरोधी ताकतों को कोई कंट्रोल कर सकता है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही कर सकते हैं।
इस चुनाव में कमल के निशान पर बटन जरूर दबाना और इतने गुस्से से बटन दबाना कि इसका असर शाहीन बाग तक हो।'
हमने कहा- लेकिन यहाँ कौन-सा चुनाव हो रहा है ? यह चाय का गिलास है कोई ई वी एम मशीन का बटन नहीं है |
और फिर गुस्से में बटन दबाने से मशीन टूट भी तो सकती है |क्रोध के लिए हमारे शास्त्रों में कहा है- क्रोध एक अस्थाई
पागलपन है |क्रोध में कोई महत्त्वपूर्ण निर्णय नहीं लेना चाहिए |
और फिर गुस्से में बटन दबाने से मशीन टूट भी तो सकती है |क्रोध के लिए हमारे शास्त्रों में कहा है- क्रोध एक अस्थाई
पागलपन है |क्रोध में कोई महत्त्वपूर्ण निर्णय नहीं लेना चाहिए |
जब लालची व्यक्ति के लालच और स्वार्थ में कोई बाधा आती है तो उसे क्रोध आता है | निःस्वार्थ व्यक्ति तो शांत चित्त
से बात करता है
से बात करता है
हितोपदेश में कहा गया है-
लोभात्क्रोधः प्रभवति लोभात्कामः प्रजायते ।
लोभान्मोहश्च नाशश्च लोभः पापस्य कारणम् ।।
(हितोपदेश, मित्रलाभ, २७)
अर्थात् लोभ से क्रोध का भाव उपजता है, लोभ से कामना या इच्छा जागृत होती है, लोभ से ही व्यक्ति मोहित हो
जाता है, यानी विवेक खो बैठता है, और वही व्यक्ति के नाश का कारण बनता है । वस्तुतः लोभ समस्त पाप का कारण है ।
जाता है, यानी विवेक खो बैठता है, और वही व्यक्ति के नाश का कारण बनता है । वस्तुतः लोभ समस्त पाप का कारण है ।
हमने कहा- हमने तो तुझे ज्ञान की बात बता दी |अब आगे तेरी मर्ज़ी है कि तू गुस्से में अपने कपड़े फाड़े या दूसरों के;
गुस्से में पत्थर फेंकने लगे या अपना ही सिर दीवार से टकरा ले |
गुस्से में पत्थर फेंकने लगे या अपना ही सिर दीवार से टकरा ले |
भारत के विभिन्न धर्म-जाति, नस्ल-लिंग और भाषा के लोगों की तरह हमें हमेशा साथ रहना है और जब साथ
ही रहना है तो गुस्से से नहीं; प्रेम और संवाद से काम चलेगा |
ही रहना है तो गुस्से से नहीं; प्रेम और संवाद से काम चलेगा |
तू क्या कोई नेता है जिसे लोभ और स्वार्थ के कारण गुस्सा आ रहा है ?
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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