Jan 27, 2020

भाई साहब अजीर्ण हो रहा है



भाई साहब, अजीर्ण हो रहा है 

आज तोताराम ने आते ही घोषणा कर दी- भाई साहब, आज तो अजीर्ण हो रहा है |

हमने कहा- तोताराम, अब समझ में आया कि देश में ६८% बच्चे कुपोषित क्यों हैं ? दुनिया
में हर तीसरा बच्चा वज़न के निर्धारित मानदंडों के अनुसार सामान्य से कम वज़न का क्यों है ?
इससे अधिक आँकड़े न तो हमें मालूम हैं और यदि मालूम हों तो भी न तू और न ही सरकार में बैठे
लोग समझ सकेंगे |उन्हें अभी तक प्राप्त आँकड़ों से यही पता नहीं चल पाया कि नोटबंदी और
जी एस टी से फायदा हुआ या नुकसान ? यह भी समझ में नहीं आ रहा है जी डी पी घट रही है
या बढ़ रही है ? वास्तव में कितनी रहेगी ? लेकिन तेरी इस अजीर्ण वाली बात से हम यह कह सकते
हैं कि देश में भुखमरी का एक बड़ा कारण तू भी है |वैसे ही जैसे एक बार चर्चिल ने अपने से मिलने
आए बर्नार्ड शॉ से कहा था- लगता है आपके देश में भोजन की कमी है |तो शॉ ने ज़वाब दिया था- और
आपको देखकर भोजन की उस कमी के कारण का भी पता चल जाता है |
सो तुझे देखकर भी यह पता चलता है कि देश में सभी लोगों को पर्याप्त भोजन क्यों नहीं मिल रहा है ?
तेरा पेट और सिर हमें आकार में कुछ बड़े-से नज़र आ रहे हैं | छाती भी  २८ से ३० इंच की ओर विकसित
होती सी लग रही है |२०२४ तक जैसे देश की अर्थ व्यवस्था ५ ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी या
किसानों की आय दुगुनी हो जाएगी वैसे ही तेरी छाती भी तब तक ३२ इंच की तो हो ही जाएगी |

बात को आगे बढ़ने से पहले हमने एक छोटा-सा कोमर्शियल ब्रेक लेते हुए पत्नी से कहा- सुनती हो,
आज तोताराम के लिए चाय मत बनाना |इसे अजीर्ण हो रहा है |और हाँ, पकौड़े भी रहने दे फिर
कभी बना लेना |तिल के लड्डू भी किसी और दिन दे देना जब इसे अजीर्ण न हो |

बोला- भाई साहब, आप किसी और की भी सुन लिया करें | आप जो मेरा यह फूला हुआ पेट देख रहे
हैं वह अधिक भोजन से नहीं बल्कि विचारों की अधिकता और उसके कहीं व्यक्त न हो पाने के कारण
से है |लगता है यदि कुछ दिन और यही हालत रही तो फट जाऊँगा |

हमने कहा- जब तेरे अजीर्ण का संबंध भोजन से नहीं बल्कि अभिव्यक्ति से है तो इसकी घोषणा
यहाँ चाय के समय करने की क्या ज़रूरत थी |मोदी जी की बात और है |उन्हें तो मजबूरी में देश
भर से अपने मन की बात करनी पड़ती है | तू  तो यहाँ हमारे प्राण खाने की बजाय अपने मन की बात
बंटी की दादी मैना को सुनाकर अपना आजीर्ण ठीक कर लिया कर |
बोला- भाई साहब, क्यों मेरा मुँह खुलवाते हैं ? यदि पत्नियां ही पतियों की सुनतीं तो लोग देश सेवा
के बहाने घर छोड़कर भागते ही क्यों ? क्या कोई और उपाय नहीं है इस बीमारी का ?


हमने कहा-तोताराम,तेरी ही नहीं, इस देश की ही सबसे बड़ी समस्या न तो बेरोजगारी है,
न गरीबी, न अशिक्षा |इस देश की सबसे बड़ी समस्या है ज्ञान का अजीर्ण |जिसे देखो ब्रह्म,
ब्रह्माण्ड, आत्मा-परमात्मा से नीचे बात ही नहीं करता |सुनने वाला मिलते ही यह देश शौच जाना
तक भूलकर भाषण झाड़ना शुरू कर देता है | इसका तो एक ही उपाय है |  कहीं से एक पुराना-धुराना
माइक्रोफोन और ईयर फोन कबाड़ ले और कमरा बंद करके उसके आगे अपने मन की जितनी चाहे
बात कह डाल |    

बोल- लेकिन इस नाटक से क्या मेरी बात सारा देश सुन सकेगा ?

हमने कहा- इससे तुझे क्या मतलब ?सुनती तो यह जनता मोदी जी की भी नहीं
लेकिन क्या उन्होंने अपना ‘मन की बात’ का मासिक धर्म निभाना बंद कर दिया ? 
सो तू भी अपने मन की कर डाल |

तोताराम हमारी पत्नी को जोर से आवाज़ लगते हुए बोला- भाभी, अब मन की बात
२३ फरवरी को करेंगे |अजीर्ण है तो ज्ञान का है, भोजन का थोड़े ही है | चाय ही नहीं;
लड्डू, पकौड़े जो कुछ है, सब ले आइए |



  




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