Jan 7, 2020

भूत बाधा



भूत बाधा 


आज जैसे ही तोताराम आया, हमने कहा- ले सँभाल, अपने अटल जी को एक वैज्ञानिक श्रद्धांजलि |

बोल- क्या हुआ ? हमारा देश तो हमेशा से ही वैज्ञानिक दृष्टि वाला रहा है |शून्य का आविष्कार हमने ही तो किया था  |

हमने कहा- लेकिन केवल शून्य से काम नहीं चलता |उससे पहले कोई संख्या तो होनी चाहिए |इसे चाहे तो तू इस तरह समझ सकता है कि केवल थ्योरी नहीं, उसका कार्यान्वयन भी होना चाहिए |जैसा कि तुम कहा करते हो कि जर्मनी वाले हमारे वेदों से सारा ज्ञान निकाल कर ले गए | जब कोई केवल गर्व और बातें करता है तो उसकी यही हालत होती है |दुनिया जाने कहाँ से कहाँ पहुँच गई और तुम अपने विश्वविद्यालयों में पढ़ाओ 'भूत बाधा' | क्या इसी के लिए उस ब्राह्मण ने देश भर में घूम-घूमकर चंदा मांगकर विश्वविद्यालय बनवाया था ? 

बोला- क्या बात है ? आज तो ऐसे धुआँधार हो रहा है जैसे मोदी जी पर कन्हैया कुमार या कांग्रेस पर मोदी जी |

हमने कहा- हम ज्ञान-विज्ञान की बात कर रहे हैं और तू राजनीति की बातें करके बात को घुमा रहा है |

बोला- राजनीति क्या कोई विज्ञान की विरोधी होती है ? ध्यान से समझेगा तो तुझे पता लगेगा कि केवल हमारी पार्टी ही वैज्ञानिक विचारधारा वाली है |गाँधी जी ने क्या किया ?अच्छे भले मशीनी कपड़े जलाकर लगे चरखा चलाने | उसके बाद उनके चेले आए तेरे नेहरू जी जिन्होंने नारा दिया- आराम है हराम |अरे भाई, क्या सारा जीवन ऐसे ही हाय तौबा में निकाल दें ? आराम करने के लिए क्या दूसरा जन्म लेंगे |और फिर आए 'जय जवान : जय किसान' वाले  शास्त्री जी | या तो सीमा पर शहीद होवो या फिर खेत में धूल में सिर दो | कहीं भी कोई वैज्ञानिक बात नहीं | लेकिन अटल जी ने आते ही नारा दिया-जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान |और मोदी जी यही तक नहीं रुके और पंजाब की एक निजी यूनिवर्सिटी में इस नारे में एक और  आयाम जोड़ दिया- जय अनुसन्धान |बिना अनुसंधान के विज्ञान का क्या मतलब ? 

हमने कहा- तभी जिस मंत्री को देखो लगा हुआ है अनुसन्धान करने में - कोई बतख के पखों से ओक्सीजन निकाल रहा है तो कोई डार्विन को झूठा सिद्ध कर रहा है |कोई मन्त्रों से रक्तचाप और डाइबिटीज का इलाज़ कर रहा है |जब कि असलियत यह है आयुर्वेद, योग और स्वदेशी से कुछ भी कर सकने वाले योगी बालकृष्ण की तबियत देशी गाय के शुद्ध घी-दूध से बनी मिठाई खाने से हुए 'फूड पोइजनिंग' के कारण बिगड़ गई |अब कौनसे विज्ञान पर क्या विश्वास करें ?

बोला- तुझ में यही खराबी है कि बात को समझे बिना भाषण देने लग जाता है | बिना ठीक से समझे और बिना उचित प्रसंग-सन्दर्भ के नोट बंदी, जी एस टी, एन आर सी, सी ए ए या सी ए बी की तरह कुछ भी शुरू कर देता है | अखबार वाले टी आर पी बढ़ाने  के लिए किसी भी समाचार को अनावश्यक रूप से रोचक बनाने के लिए उछल-कूद करते रहते हैं |ज़रा पूरा समाचार पढ़कर, समझकर बात किया कर |

हमने कहा- तो फिर तू ही बता दे सही बात |

बोला- पहली बात तो यह कि केवल हिन्दू धर्म वाले ही भूत प्रेतों की बात नहीं करते |इस्लाम वाले भी झाड-फूंक और गंदे ताबीज से शैतानी बाधाओं का इलाज़ करते हैं |वेटिकन में तो बाकायदा भूत भगाने का कोर्स करवाया जाता है |अपने यहाँ आदिवासी इलाकों में तो योरप में ईसाइयों द्वारा 'विच हंटिंग' की तरह औरतों को चुड़ैल बताकर जला देने की घटनाएं सामने आती ही रहती हैं |

हमने कहा- इसका मतलब सभी धर्म विज्ञान विरोधी होते हैं |भले ही अपने यहाँ सरकार द्वारा समर्थित धर्म हो या योरप में तथाकथित रूप से सत्ता से अलग किया गया धर्म ईसाइयत हो |

बोल- हमारे बी एच यू वाले जिस बीमारी की बात कर रहे हैं वह वास्तव में सिज़ोफ्रेनिया नामक एक मानसिक बीमारी है |यह तो राष्ट्रभक्त विद्वानों ने इसे संस्कृत नाम दिया है |

हमने कहा- लेकिन हमें तो इसमें चालाकी लगती है |इसमें उन काल्पनिक, अदृश्य और अस्तित्त्वहीन शक्तियों का भ्रम फैलता है जो अंधविश्वास और झूठ हैं |सीधा-सीधा सिजोफ्रेनिया क्यों नहीं कह देते ?

बोला- यह संसार भौतिक है, पञ्च भूतों से बना है इसलिए इसकी सभी बाधाएं 'भूत बाधाएं' ही तो हैं |इसलिए मेरे हिसाब से इस नाम में कोई बुराई नहीं है |

हमने कहा- दुनिया भर की राजनीति और धर्मों में भूत जिन्न, शैतान जैसे सभी मामलों में हमें तो एक ही बात समान नज़र आती है कि सभी अपने-अपने समाजों और जनता का वर्तमान सँवारने और समस्याएँ सुलझाने की बजाय ईश्वर,अल्ला,गॉड, नस्ल, धर्म-ग्रन्थ, ईश-निंदा, धार्मिक-स्थान, मूर्तियों, दाढ़ी-पायजामे-जनेऊ आदि में या फिर अपने-अपने देश, भाषा, धर्म और भूतकाल को सर्वश्रेष्ठ ठहराने में लगे हुए हैं |किसी के पास दुनिया के सुखद और सुरक्षित भविष्य की न तो कोई योजना है और न ही नीयत |

हमें तो लगता है इस दुनिया के सभी नेता अपनी नाकामी को छिपाने और स्वार्थ सिद्धि के लिए अपने-अपने देशों-समाजों में  'भूतकाल' की यह  'भूतबाधा' फ़ैला रहे हैं |हो सके तो हमें अपनी सुरक्षा के लिए इनकी इस चाल से बचना चाहिए |

बोला- ऐसे लोग को पहचाने का सरल तरीका क्या है ?

हमने कहा- ऐसे लोगसामान्य रूप से यही कहते हैं कि पिछली सरकार खज़ाना खली कर गई |काम कुछ नहीं किया | इस देश में पिछली सरकारों ने कुछ नहीं किया बल्कि सब कुछ बिगाड़ कर गई हैं | अब हम उसे ठीक करने में लगे हुए हैं |बिगड़े काम को सँवारने में समय तो लगेगा ही | हैं अपने पूर्ववर्तियों को गालियाँ 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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