नया चाय-दिवस
तोताराम ने घर में घुसते ही गुहार लगाई- आदरणीय, नए चाय-दिवस की बधाई |
हमने कहा- तोताराम, हमें अब इन बधाइयों, संदेशों, अर्पणों आदि से गौरव, प्रेरणा, चेतना इत्यादि जैसा कुछ नहीं होता बल्कि कभी-कभी तो चिढ़ होने लगती है |एक तो वैसे ही इस देश में दुनिया भर के धर्म और फिर ३६५ दिनों में ७३० त्यौहार, फिर गली-गली, गाँव-गाँव के अपने-अपने महापुरुष, देवता आदि ऊपर से जिसका जो मन चाहे दिवस बना,मना लेता है |कोई ढंग का काम तो किसी को करना नहीं है | अब यह चाय-दिवस कहाँ से आगया ? वैसे तेरे लिए तो रोज ही चाय-दिवस है, हमारे बरामदे में |
बोला- भाई साहब, मैं अंतर्राष्ट्रीय और सम्पूर्ण दक्षिण-पूर्व एशिया के क्षेत्रीय वर्चस्व की बात करना चाहता हूँ और आप हैं कि मेरे व्यक्तिगत सम्मान पर कमेन्ट कर रहे हैं |
हमने कहा- तोताराम, जब तू इस प्रकार की राष्ट्रीय सम्मान वाली तत्सम शब्दावली में बोलता है तब हमें भी बड़ा परायापन लगने लग जाता है |जो कहना है वह बिना किसी औपचारिकता और नाटकबाजी के कह दे |हमें तो नए-पुराने किसी चाय-दिवस के बारे में कुछ नहीं मालूम |हम तो यही जानते हैं कि मोदी जी ने २०१४ के लोकसभा के चुनाव में खुद को और अपने चाय-विक्रय को भारतीय राजनीति और लोकतंत्र के केंद्र में ला दिया था |तो मोदी का जन्मदिन या उनकी पिछले चुनाव में पहली 'चाय पर चर्चा' को चाय-दिवस माना जा सकता है |या फिर कुछ और चाय दिवस भी हो सकते हैं जैसे- दुनिया में आदमी में सबसे पहले चाय कब पी या मोदी जी ने पहली बार चाय किस दिन बेची ?
बोला- वैसे तो १५ दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जाता है लेकिन चाय उत्पादन तो सबसे अधिक, चीन, भारत, कीनिया, वियतनाम और श्री लंका आदि में होता है इसलिए भारत की सिफारिश पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने १५ मई को चाय दिवस घोषित कर दिया है |
हमने कहा- तो फिर २१ मई को देता बधाई |
बोला- इसमें क्या है ? कोई भी बड़ा काम बड़े नाम से जुड़ना चाहिए जैसे जी एस.टी. को भाजपा ने दूसरी आज़ादी कहा, वैसे ही 'अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस' के स्थान पर हमने 'अपना चाय दिवस' शुरू करवा दिया, क्या यह छोटी बात है ? यह तो मोदी जी के रिकार्डों में एक और विश्व रिकार्ड है; योग दिवस की तरह |
हमने कहा- क्या इसे दो दिन और आगे खिसकाकर २३ मई या ३० मई नहीं किया जा सकता था जिस दिन मोदी जी ने क्रमशः पहली और दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी ?
बोला- करने को तो कुछ भी किया जा सकता था | मोदी जी द्वारा १५ लाख का अपना नाम कढ़ा सूट पहनकर ओबामा जी को चाय पिलाने या चीन के राष्ट्रपति द्वारा मोदी जी को चीन में एक विशेष समारोह में चाय पिलाने को भी चाय दिवस घोषित किया जा सकता था | लेकिन मोदी जी इतने स्वार्थी नहीं हैं |वे तो निस्पृह फकीर हैं |
हमने कहा- चाय किसी के भी साथ हो लेकिन फायदे में तो दूसरे ही रहते हैं |जो भी आता है कुछ न कुछ बेचकर ही जाता है |हम तो उस दिन को विशेष मानेंगे जब भारत दो पैसे कमाने वाला काम करेगा |योग-दिवस और चाय-दिवस से पेट नहीं भरता |
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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