Mar 29, 2021

हाजमोला है ?

हाजमोला है ?


आज जैसे ही तोताराम बरामदे में बैठने को हुआ, हमने कहा- तोताराम, तेरे पास हाजमोला है ?

बोला- होली की संध्या अभी तो १० घंटे दूर है और तूने उठते ही ऐसा क्या गरिष्ठ माल पेल दिया जो हाजमोला चाहिए ?

हमने कहा- मामला माल को पचाने का नहीं है बल्कि एक रहस्यमय ऐतिहासिक अर्द्ध-असत्य या पूर्ण असत्य को पचाने का है.

बोला- भारत चुनावों का देश है इसलिए सत्य-असत्य के चक्कर में मत पड़ और जुमलों, नाटकों और चुटकलों का मज़ा ले. पुराण किसे समझ में आते हैं लेकिन अपने मजेदार किस्सों के लिए लोग पढ़ते-सुनते हैं कि नहीं ? पुराणों में आता है कि जब विष्णु ने समुद्र-मंथन के बाद दानवों को धोखे से दारू और देवों को अमृत पिलाने के लिए भुवनमोहिनी बनकर हनीट्रेप रचा था तो उनके सौन्दर्य पर शिव आकर्षित हो गए थे. फलस्वरूप अयप्पा का जन्म हुआ. पाठकों को तो इसी में मजा आ जाता है कि विष्णु पर क्या बीती होगी. पार्वती और लक्ष्मी पर इस सत्संग की क्या प्रतिक्रिया हुई होगी. आज तुझे कौनसा रोचक असत्य पचाने की नौबत आ गई ?

हमने कहा- हम तो चमत्कारों में विश्वास करते हैं लेकिन कुछ देशद्रोही कहते हैं कि बांग्लादेश के ५० वें स्वाधीनता दिवस पर मोदी जी ने बांग्लादेश की स्वाधीनता के लिए आन्दोलन करने और जेल जाने की वाली गप्प ज्यादा की भारी हो गई.








बोला- कभी-कभी मौके के माहौल में और होली के गप्प-मस्ती के तुक में तुक मिला दी जाती है. शास्त्र कहते हैं- मज़ाक में, जुए में, स्त्रियों के बीच, प्राणों पर संकट आने पर झूठ बोलने में कोई पाप नहीं है. चाहे तो इसमें 'चुनाव जीतने के लिए' भी जोड़ सकता है. और मोदी जी तो हमेशा ही 'चुनावी मूड'  में रहते हैं. यह तो उनकी शालीनता देख कि उन्होंने उलटे मन से ही सही इंदिरा गाँधी को याद तो कर लिया. यदि वे यह भी कह देते कि इंदिरा गाँधी बांग्लादेश को आज़ाद नहीं करवाना चाहती थी. मैंने उनका विरोध किया इसलिए मुझे जेल में डाल दिया. अंत में अटल जी के नेतृत्त्व में जनसंघ के देशव्यापी आन्दोलन के करण इंदिरा गाँधी को बांग्लादेश को आज़ाद करना पड़ा. 

हमने कहा- लेकिन तोताराम, हम तो जब भारत के सहयोग से बांग्लादेश  का स्वाधीनता संग्राम लड़ा जा रहा था तब गुजरात में पोरबंदर में थे. करांची से हवाई जहाज उड़कर जामनगर और पोरबंदर के समुद्र में बम गिरा जाते थे. हमने बच्चों से चंदा इकठ्ठा किया और खुद भी प्रधानमंत्री कोष में एक दिन का वेतन दिया था. कॉलोनी में शाखा के स्वयंसेवकों के साथ मिलकर ब्लेक आउट करवाते फिरते थे.  ऐसे में जनसंघ इंदिरा जी या सरकार के विरुद्ध किस बात के लिए आन्दोलन कर सकती थी. सभी बांग्लादेश की आज़ादी चाहते थे.

बोला- मास्टर, तुझे  पता नहीं. उस समय मोदी जी युवा थे. वैसे तो आज भी वे साहसिक निर्णय लेने में किसी युवा से कम नहीं हैं. उस समय वे जोश में आकर अकेले ही बांग्लादेश को आज़ाद करवाने के लिए चल पड़े. अकेले ही लंका जलाने की क्षमता रखने वाले रुद्रावतार हनुमान के साक्षात् विग्रह मोदी जी का यह रूप देखकर इंदिरा जी घबरा गईं. सोचने लगीं कि यदि यह युवक अकेले ही बांग्लादेश को आज़ाद करवा देगा तो फिर उन्हें श्रेय कैसे मिलेगा. इसलिए इंदिरा गाँधी ने मोदी जी को जेल में डाल दिया और तब तक रिहा नहीं किया जब तब बांग्लादेश आज़ाद नहीं हो गया. 

हमने कहा- तो फिर उस समय की बड़नगर, अहमदाबाद या तिहाड़ जेल में उस तारीख़ को बंदी बनाए गए लोगों की लिस्ट में मोदी जी का नाम क्यों नहीं है ?

बोला- मोदी जी यश के इतने भूखे नहीं हैं. उन्हें तो काम से मतलब है श्रेय के लिए जुगाड़ लगाना, बीच-बीच में फोटो खिंचवाने के लिए मुंह निकालना छोटे आदमियों का काम है. उन्होंने पकड़े जाने पर अपना नाम 'नरेन्द्र मोदी' बताने की बजाय 'रामसिंह' लिखवा दिया था. 

मेरा तो मनाना है कि जिस प्रकार मोदी जी इस कोरोना काल में रिस्क लेकर भी बांग्लादेश के ५० वें स्वतंत्रता दिवस में शामिल हुए वैसे तुझे भी द्वितीय विश्व युद्ध के ७५ वें विजय दिवस में शामिल होना चाहिए था. उसमें तो कोई रिस्क भी नहीं थी. ज़ूम पर आयोजन हुआ था.

हमने कहा- लेकिन हमारा तो जन्म ही १८ अगस्त १९४२ को हुआ है. जब जापान और जर्मनी ने सरेंडर किया था तो हम तीन साल के ही थे. 

बोला- इससे क्या फर्क पड़ता है ? तू कह सकता है कि जब द्वितीय विश्व युद्ध लड़ा जा रहा था तब 'वर्क फ्रॉम होम' की तरह मैं भारत में रहकर भी इस युद्ध को अपने समर्थन से शक्ति प्रदान कर रहा था. इसी तरह यह भी कह सकता है कि जैसे ही  १८ अगस्त १९४२ को नेताजी सुभाष का निधन हुआ तो मैं आज़ाद हिन्द फौज का नेतृत्त्व करने के लिए इस दुनिया में आ गया. 

तू चाहे तो अपने आप को भारतीय स्वाधीनता सेनानी भी सिद्ध कर सकता है.

हमने कहा- वह कैसे ?

बोला- कह सकता है कि जैसे ही गाँधी जी ९ अगस्त १९४२ को 'अंग्रेजो भारत छोडो' का नारा दिया तो मैं जेल  तोड़कर १८ अगस्त १९४२ से आन्दोलन में शामिल हो गया. और उससे पहले स्वाधीनता आन्दोलन में भाग लेने के कारण नौ महीने में रह चुका था. 

सभी मानव जन्म से पहले यह जेल काटते ही हैं.

हमने कहा- तोताराम, क्या इतना ऊंचा भी फेंका जा सकता है ?

बोला- क्यों नहीं, बहुत से 'अवतारी' कई युगों में व्याप्त होते हैं जैसे जामवंत और परशुराम का उल्लेख रामायण और महाभारत दोनों में मिलता है. द्रौपदी के पाँच पुत्रों का हत्यारा अश्वत्थामा तो अमर है.


-रमेश जोशी 

  



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