Mar 22, 2021

भविष्य के भगवान और भगवान का भविष्य 


 जैसे ही दरवाजा खोला, संयोग ऐसा हुआ कि मालखेत बाबा के स्वयंसेवक की तरह कमर मटकाता तोताराम नज़र आया. 

हमारे जिले झुंझुनू में एक तीर्थ स्थल है- लोहार्गल. कहा जाता है कि यहाँ आकर पांडवों के हथियार गल गए थे.यहीं चार सौ सीढ़ियाँ चढ़कर संत मालखेत बाबा (मालकेतु) का मंदिर है. बचपन में उनके स्वयंसेवक (भक्त ) आया करते थे . लाल निक्कर और ऊपर लाल बंडी. कंधे पर कांवड़. कमर में बड़े-बड़े घुंघरू. स्वयंसेवकों की कमर निरंतर मटकती रहा करती थी जिससे एक खास तरह की ध्वनि होती रहती. इसका मतलब होता था- हमारे पास खड़े होने का टाइम नहीं है, जो भी भेंट-पूजा है तत्काल ले आओ.

हमने कहा- यहीं खड़ा मालखेत बाबा के स्वयंसेवक की तरह कमर मटकाता रहेगा या अन्दर भी चलेगा.

बोला- न सही मालाखेत बाबा का सेवक लेकिन निट्ठल्ला थोड़े हूँ. चलना है तो तैयार हो जा, 'नेत्र-कुम्भ' में जा रहा हूँ. 

हमने कहा- जिस तरह चार अलग-अलग स्थानों पर राशियों के अनुसार कुंभ आयोजित किया जाता है. ठीक उसी तरह अलग-अलग वर्षों में आयोजित होने वाले कुंभ के नाम भी अलग-अलग हैं. इन्हें क्रमशः महाकुंभ मेला, पूर्ण कुंभ मेला, अर्ध कुंभ मेला और कुंभ मेला कहा जाता है. यह 'नेत्र-कुम्भ' कहाँ से आगया ? दो बातों को मिला मत.  शायद तू शक्ति पीठों वाली कहानी से तो कन्फ्यूज नहीं हो रहा है ?जहाँ सती के नेत्र गिरे वहाँ 'नैना देवी शक्तिपीठ' तो है लेकिन 'नेत्र-कुम्भ' कुछ जमा नहीं. 

बोला- यह 'नेत्र कुम्भ' आँखों के इलाज का एक कार्यक्रम है जिसका हरिद्वार में उद्घाटन उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री  तीरथ सिंह रावत ने  कल किया है. जिसमें ५० से एक लाख तक लोगों की आँखों का मुफ्त  इलाज किया जाएगा और चश्मे भी दिए जाएंगे. हरिद्वार के लिए सीधी बस 'अस्थि विसर्जन एक्सप्रेस' फिर चलने लगी है. आँख भी दिखा आएँगे और चश्मा भी ले आएँगे.  

हमने कहा- तोताराम, जब देश में पूरे पैसे देकर भी असली दूध, दवा, घी, मावा, नेता नहीं मिलते. कोरोना के टीके में भी घोटाला पकड़ा जा चुका है. आँखों के बहुत से कैम्पों में मुफ्त के चक्कर में कई लोग अंधे हो चुके हैं. आँखें जैसी भी हैं ठीक हैं. अब और दिन ही कितने बचे हैं. और मरने के बाद तो आँख वाले और अंधे सब एक समान हो जाते हैं. 

बोला- नहीं मास्टर, बात ऐसी नहीं है. मुख्यमंत्री का नाम तीरथ सिंह है. 'तीरथ' तो पापों को धोते हैं. जिस बन्दे का नाम ही 'तीरथ' हो उस पर इतनी शंका ठीक हैं. जहाँ तक ओपरेशन में आँखों की रोशनी जाने की बात है तो उसका तो प्रश्न ही नहीं उठता. उद्घाटन करते ही तीरथ सिंह रावत जी को ऐसी दिव्य दृष्टि प्राप्त हो गई कि उन्हें भविष्य साफ़-साफ़ दिखाई देने लगा. तभी तो उन्होंने बताया है- आने वाले समय में लोग मोदी जी को भगवान की तरह देखेंगे. 

हमने कहा- इसे दिव्य दृष्टि नहीं कहते बल्कि 'पासवानी कैलकुलेशन' कहते हैं. इससे पहले एक बार उमा भारती को अटल, आडवानी और वेंकैया में ब्रह्मा,विष्णु और महेश दिखाई दिए थे. जैसे ही मोदी जी ने इन्हें निर्देशक मंडल में बैठा दिया तो उमा जी को मोदी, अमित शाह और अरुण जेटली में ब्रह्मा, विष्णु, महेश दिखाई देने लगे. 

बोला- अगर मोदी जी तुझे साहित्य अकादमी का अध्यक्ष बना दें तो तू भी रात भर में 'मोदी चालीसा'  लिख मारेगा. 

हमने कहा- और यदि मायावती जी प्रधानमंत्री बन जाएँ तो ऐसे लोगों को उनमें 'जगज्जननी' दिखाई देने लगेगी. और भक्त उन्हीं का 'जगराता' करने लगेंगे.  क्योंकि 'नरेन्द्र' के लिए कोई भी 'चंचल' हो सकता है . 




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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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