Mar 2, 2021

आसोल पोरिबर्तन


आसोल पोरिबर्तन   


आज तोताराम आ तो गया लेकिन बरामदे में बैठा नहीं. खड़े-खड़े ही बोला- आमी आसोल पोरिबोर्तन चाही. 

हमने कहा- तोताराम, मंत्रियों और टिकटार्थियों  की तो मज़बूरी है कि अपनी सोच को बंद रखें और वही सब कुछ दोहरायें जो मोदी जी कहते हैं लेकिन तेरी क्या मज़बूरी है ? कल ही मोदी जी ने हुगली में कहा- 'आमरा आसोल पोरिबर्तन चाही'.  और तू आज वही जुमला दोहराने लगा. यह बंगाल नहीं और न ही तू बंगाल में चुनाव प्रचार के लिए आया है. अभी राजस्थानी को आठवीं सूची में शामिल नहीं किया गया है, इसलिए हिंदी में बात किया कर. 

बोला- ठीक है लेकिन पोरिबर्तन तो चाही. आसोल पोरिबर्तन. 

हमने कहा- ये कोई संसद में चतुराई से पास करवाए तीन कृषि बिल तो हैं नहीं कि पोरिबर्तन नहीं हो सकता. यह बरामदा संसद है जहां पूर्ण लोकतंत्र है. चल बता, क्या पोरिबर्तन चाहता है ? 

बोला- मैं अब तक चाय पीता रहा लेकिन भविष्य में आमी चाय पीबो नहीं, चाय खाबो.

हमने कहा- मोदी जी की नक़ल मत किया कर. उनका पोरिबर्तन तेरी तरह तमाशा नहीं है. वे वास्तव में 'आसोल पोरिबर्तन' चाहते हैं. 

बोला- मुझे तो पूरी बात पता नहीं. हो सकता है कि अब बंगाली मानुष अपने घर के पिछवाड़े के 'पुकुर' की मीठे पानी की रोहू माछ खाने की बजाय कीचड़ वाले कमल गट्टे खाने लग जाएं. या माछेर झोल सरसों के तेल में बनाने की बजाय गुजरात के 'सींग तेल' में बनाने लग जाएँ. 

हमने कहा- यह तो कोई आसोल पोरिबोर्तन नहीं हुआ. और इसमें जैसा कि मोदी जी ने कहा- 'जनता माफ़ नहीं करेगी' जैसे किसी बड़े मुद्दे और पोरिबोर्तन की बात समझ नहीं आती.

बोला- तो फिर तू ही बता, मोदी जी किस पोरिबोर्तन की बात कह रहे होंगे.  

हमने कहा- एक दो बार मुहर्रम और दुर्गा पूजा एक साथ आ गए तो ममता दीदी ने किसी अप्रिय स्थिति को टालने के लिए 'दुर्गा मूर्ति विसर्जन' को एक दिन बाद कर दिया. यह बंगाल की माँ दुर्गा का कितना बड़ा अपमान है. इसके लिए बंगाल की जनता ममता दीदी को कभी माफ़ नहीं करेगी. 

बोला- तो क्या राम और दुर्गा का झगड़ा समाप्त हो गया ?

हमने कहा- राजनीति में किसी भी बात पर झगड़ा किया जा सकता है और किसी भी बात पर समझौता किया जा सकता है. वह चालाकी चली नहीं तो अब मोदी जी ने बड़ी चतुराई से  'राम-दुर्गा विवाद' को 'मूर्ति विसर्जन और   ताजिया-विसर्जन' में बदल दिया है. ज़रूरत पड़ेगी तो गुजरात की 'माँ अम्बे' को बंगाल की 'माँ दुर्गा' से भी भिड़ाया जा सकता है.

बोला- तो इसका हल कैसे निकालेंगे ?इस पर तो किसी का जोर नहीं. चन्द्र वर्ष में गणना अंग्रेजी की सूर्य गणना की तरह तो होती नहीं. कभी भी ईद और दिवाली एक साथ आ सकते हैं, जैसे कि मुहर्रम और दुर्गा पूजा एक साथ आ गए. अब या तो दुर्गा भक्त और हुसैन भक्त अपने अपने हथियार उठा लें और मरणान्तक युद्ध लड़ें या शांति से उन दो समझदार बकरियों की तरह समझौता करके संकरे पुल को सुरक्षित पार कर लें. 

हमने कहा- मुसलमान तो बाहरी हैं. यह देश तो मूल रूप से हिन्दुओं का है तो समझौता हम क्यों करें ?

बोला- तो फिर उपाय क्या है ? 

हमने कहा- बंगाल में भाजपा की सरकार बनने के बाद मोदी जी सूर्य और चन्द्रमा की गति को इस प्रकार परिवर्तित कर देंगे कि किन्हीं दो धर्मों के त्यौहार एक दिन न आ सकें. 

 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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