Mar 15, 2021

राहुल गाँधी की फिटनेस


राहुल गाँधी की फिटनेस 

आज जैसे ही तोताराम आया, हमने कहा- तोताराम, चाय बाद में पियेंगे पहले तुझे एक वीडियो दिखाते हैं. 

बोला- मास्टर, वास्तव में यह देश जगद्गुरु है. टके की कमाई नहीं और मिनट की फुर्सत नहीं. यह स्मार्ट फोन क्या आगया, लोगों को ज्ञान और सूचनाओं का अजीर्ण हो गया है. जैसे ही फोन खोलो दस-बीस मेसेज और वीडियो घुसे मिलेंगे. एक बार किसी को किसी तरह ईमेल मिल गया तो लगा प्राण खाने. और नहीं तो मोदी जी की मन की बात की सूचना ही आ जाएगी. ऊपर से यह और कि यदि इसे पढ़ने या सुनने में कोई समस्या आ रही हो तो यहाँ संपर्क करें ऊपर से. ज़रूरी सुविधाओं का कोई हिसाब किताब नहीं. 

बिना कुछ सुने, देखे चाय पिलानी हो तो पिला दे, नहीं तो जैरामजी की.

हमने कहा- छोटा-सा वीडियो है. अच्छा लगेगा. 

बोला- ठीक है, लेकिन एक मिनट से अधिक नहीं देखूँगा. एक चाय में इससे अधिक शोषण करवाना संभव नहीं है. वैसे है क्या ?

हमने कहा- राहुल का तमिलनाडु में छात्रों के सामने पुश अप्स करते हुए एक वीडियो है.

हमने जैसे ही लैपटॉप चालू किया तो 'नेट' नदारद. हुआ यह कि 'जियो' महरी गली में केबल डाल रहे हैं सो हमारा बीएसएनएल का केबल कट गया.  

बोला- यही होना था. मोदी जी का प्रिय 'जियो'  बीएसएनएल के केबल नहीं कटेगा तो कौन कटेगा. अच्छा हुआ जो वीडियो देखने से बच गए. उधर कांग्रेस की हालत खराब है और इधर ये महाशय दंड बैठक लगा रहे हैं. 

हमने कहा- ऐसा करना ज़रूरी है. जनता अपने नेता को फिट और स्मार्ट देखना चाहती है. तभी तो पहले चीन के प्रथम राष्ट्रपति माओत्से तुंग के कभी तारीकी करते हुए तो कभी साइकल चलाते हुए फोटो छपा करते थे. रूस के राष्ट्रपति पुतिन जब चाहे सलमान खान की तरह कमीज उतारकर घोड़ा दौड़ाते फोटो छपता है कि नहीं. मोदी जी भी कभी विराट कोहली का चेलेंज स्वीकार करके पञ्च तत्त्व योग करते हुए फोटो छपा था कि नहीं. एक बार बेयर ग्रिल के साथ कोर्बेट पार्क में एडवेंचर ट्रिप करते भी तो मोदी जी ने फिल्म बनवाई थी. 

बोला- लेकिन ये सब तो जीतने के बाद ये अदाएं दिखा रहे हैं. तुझे पता होना चाहिए कि तीस साल बाद किसी नेता की ब्रांड वेल्यू के बल पर लोकसभा में ३०३ सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत आया है. अब उन्हें सब कुछ शोभा देता है चाहे दिन में दस बार कुरते बदलें, मोर को चुग्गा डालें या 'अभी तो सूरज उगा है' लिखकर महाकवि बन जाएँ. राहुल कहीं दो-चार राज्यों में विधायक खरीदकर ही सही, सरकार बनाकर दिखाएँ तो. ऐसे खाली-पीली दंड लगाने से तो तमाशा ही बनता है. 

हमने कहा- लेकिन मोदी जी ने तो २०१४ में लोकसभा चुनाव जीतने से पहले ही ५६ इंच सीने की घोषणा कर दी थी.  लेकिन चीन को कभी दिखाया नहीं. 

बोला- हम दिखावे में विश्वास नहीं करते.

हमने कहा- फिर हर जगह अपना फोटो चिपकाने की क्या ज़रूरत है ? और तो और गुफा में तपस्या का फोटो अखबारों में छपवाने का क्या अर्थ है ? हमारा तो मानना है कि आपको जिस काम के लिए चुना गया है उसे ढंग से करो. 

हमें तो पुश अप्स  करना भी उतना ही तमाशा लगता है जितना मोर को चुग्गा देते वीडियो प्रचारित करना. ट्रूमैन और चर्चिल ने शरीरी पहलवानी के बल पर द्वितीय विश्वयुद्ध नहीं जीता था और न ही १९९१ में नरसिम्हा राव व मन मोहन सिंह ऐसे टोटकों से अर्थ व्यवस्था को पटरी पर ला पाए थे.  

 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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