Aug 1, 2021

मीठा-मीठा गप्प


मीठा-मीठा गप्प 


टीका लगवाने गए तो नियम के पक्के कोरोना योद्धाओं ने मना कर दिया कि अभी ८४ दिन में २२ घंटे कम है. हो सकता है इतना पहले दूसरी डोज़ लगा देने से ज़रूरत से ज्यादा इम्यूनिटी आ जाए तो मुश्किल हो जाएगी. ट्रंप ने टीका लगवाकर कहा था कि अब मैं अपने आप को सुपरमैन अनुभव करता हूँ और नीचे जाकर किसी को भी चूम सकता हूँ. वैसे चूमने का काम उसके लिए क्या मुश्किल ही जिसने बिना टीका लगवाये ही, कई प्रेमिकाओं के अतिरिक्त तीन-तीन सुंदरियों से शादी कर ली. हमारा ऐसा कोई इरादा नहीं है फिर भी कोरोना के डर के मारे टीका लगवाना तो ज़रूरी है. 

टीका केंद्र पर देखा, चार कोरोना योद्धाओं में से एक ने मास्क लगा रखा था, दूसरे ने गले में लटका रखा था, तीसरे ने जेब में रखा हुआ था और चौथा हरिद्वार में कुम्भ स्नानार्थियों की तरह माँ गंगा की कृपा पर विश्वास करके मास्क रहित निर्भय. कुछ डर लगा, फिर मोदी जी के सहअस्तित्त्व सिद्धांत 'कोरोना के साथ रहने की आदत' पर विश्वास करके साहस जुटाया. 

बताया गया कि कल आना. वह कल अभी तक नहीं आया. तभी कहा गया है- काल करे सो आज कर. लेकिन आज तो बस, इंतज़ार करना है. चार दिन हो गए हैं. सोच रहे हैं- यदि अधिक समय निकल गया तो यह पहले वाला ही कहीं प्रभावहीन न हो जाए. 

तोताराम आया तो हमने कहा- तोताराम, अब और कितना इंतज़ार करें. 

बोला- इंतज़ार का क्या ? दो दिन का मामला ही तो है. दो आरजू में कट गए, दो इंतज़ार में. इंतज़ार का फल मीठा होता है. वैसे क्या मेरा इंतज़ार कर रहा था क्या ?

हमने कहा- तेरा इंतज़ार करने की क्या ज़रूरत है. तू क्या 'अच्छे दिन' है जो ज़िन्दगी भर रास्ता ही दिखाता रहेगा. 'मन की बात' की तरह सही समय पर आ ही धमकता है. हम तो टीके की बात कर रहे थे. चार हफ्ते से बढ़ाते-बढ़ाते १२ हफ्ते कर दिया. और अब कहीं कोई सूचना नहीं. कब आएगा, कब लगेगा ? 

बोला- यह वैसे ही है जैसे शादी की गहमागहमी भरी रात भर की हाय-हाय के बाद सभी घर वाले घोड़े बेचकर सो जाते हैं. ऐसे ही समय में चोरियां और खुराफातें होती हैं. २१ जून को रिकार्ड बन गया. जब दस-बीस दिन बाद उसकी खुमारी टूटेगी,  देशद्रोही न्यूज पोर्टल हल्ला माचायेंगे तब कहीं फिर उसी पुरानी रफ़्तार और आधे-अधूरे मन से फिर शुरू होगा. वैसे नयी शोध के अनुसार तो अगले फरवरी तक गई भैंस पानी में.

हमने आश्चर्य से कहा- यह क्या ? २१८ करोड़ टीकों, दिसंबर तक सारे देश को टीका लग जाने की बात का क्या हुआ ? 

बोला- वह तो हैड लाइन मनेजमेंट था सो हो गया. अब तो मोदी जी के सिपहसालार ब्रिटेन के शोध को लागू करने की सोच रहे होंगे.

हमने पूछा- ब्रिटेन की शोध क्या है /

बोला- उन्होंने बताया है कि कोरोना के दो डोज़ में १० महिने का अंतर रखा जाए. तो इम्यून सिस्टम मज़बूत होगा. 

हमने कहा- वैसे तो हम 'लांसेट' जैसे  विदेशी शोधों और अध्ययनों की कोई बात नहीं मानते फिर इसे इतनी जल्दी कैसे मान लेंगे ?

बोला- यह अपने फायदे की बात है ना, जैसे यू पी वाले 'द डेली टेलीग्राफ' की 'मोदी-प्रशंसा' .

हमने कहा- इसी को कहते हैं- खारा-खारा थू, मीठा-मीठा गप्प. 




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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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