Aug 6, 2021

गंगाजल की शक्ति



 गंगाजल की शक्ति 


रात हमारे सीकर में तापमान ४२ डिग्री था. बिजली बचाने के लिए कूलर आधी रात के बाद बंद कर दिया करते हैं लेकिन रात तो बंद करने का मन ही नहीं हुआ. फिर भी नींद बहुत देर से आई. इसलिए पांच बजे की अलार्म भी नहीं सुनी. सुबह-सुबह दरवाजे पर 'हर हर गंगे' का उद्घोष हुआ तो आँख खुली. 

टिहरी गढ़वाल से हमारा खानदानी पंडा तो दिसंबर-जनवरी में आता है. तब वहाँ काफी ठण्ड पड़ने लग जाती है. कुछ ठण्ड से बचाव तो कुछ यजमानों से थोड़ी बहुत आमदनी. अब तो उसके आने का मौसम भी नहीं है. यह सच है कि सच्ची भक्ति और सच्चे प्यार में बहुत शक्ति होती है. जैसे मोदी जी को गंगा मैय्या ने बुलाया तो उन्हें अपनी जन्मभूमि गुजरात को छोड़कर वाराणसी जाना पड़ा. वैसे ही यदि हम सच्चे मन से गंगा मैय्या को पुकारते तो तय है कि माँ ज़रूर चली आती. लेकिन आज तो हमने माँ को पुकारा भी नहीं. फिर गंगा मैय्या द्वार पर कैसे चली आई ? 

हमने पत्नी से कहा- ज़रा दरवाजे पर जाकर देखो तो कौन है ?

कुछ देर बाद पत्नी दरवाजा बंद करके अन्दर आई और बोली- शरीर पर भस्म  लपेटे, लंगोटी लगाए एक दुबला पतला आदमी था. कह रहा था- माता, तुम्हारे पति ने कोरोना की एक डोज़ ले ली है लेकिन दूसरी का कोई हिसाब-किताब नहीं बैठ रहा है. उसे यह गंगाजल पिला देना. सब ठीक हो जाएगा. 

हमने पूछा- वह आदमी कहाँ है ?

बोली- वह तो उसी समय चला गया. उसे क्या पता कि तुम्हें ९० दिन बाद भी दूसरा टीका नहीं लगा है. फ्री में गंगाजल भी दे गया. ज़रूर कोई संत ही था.  

हमने कहा- यह जो गंगाजल या आबे ज़मज़म या गौमूत्र या अमृत जो कुछ भो है, हमें नहीं पीना. जिस देश में रेल में लोग नशीली चाय पिलाकर लूट लेते हैं, नकली टीके लगा जाते हैं, टीकों के झूठे आंकड़े बना देते हैं, वहाँ कुछ भी विश्वसनीय नहीं है. जब भी मरेंगे स्वाभाविक मौत मरेंगे, किसी के षड्यंत्र का शिकार होकर नहीं.  

हमारी बात चल ही रही थी कि तोताराम आ गया. बोला- कौन रच रहा है तुम्हारे विरुद्ध षड्यंत्र ?

हमने कहा- कोई कोरोना के दूसरे डोज़ के विकल्प के रूप में गंगाजल बताकर यह पानी दे गया है. अब बिना जानकरी के कैसे पी लें.

बोला- शंका मत कर. मीरा तो ज़हर को भी श्रीनाथ जी का प्रसाद मनाकर पी गई और अमर हो गई. ये विपक्षी लोग गंगाजल, गोमूत्र और गोबर से सभी बीमारियों की चिकित्सा की निंदा के बहाने मोदी जी के विरुद्ध हवा बना रहे हैं. ये सब नास्तिक, मुस्लिमपरस्त और कम्यूनिस्ट हैं.

बी एच यू के डाक्टरों ने भी कोरोना के इलाज में गंगाजल की भूमिका पर शोध करवाने को लिखा है.न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रो. विजय नाथ मिश्र का कहना है कि साल 1896 में कोलेरा महामारी के दौरान डॉ हैकिंग ने एक स्टडी की थी. जिसमें यह पता चला था कि जो लोग गंगा जल का सेवन करते हैं वे कोलेरा से ग्रसित नहीं हो रहे हैं. बीएचयू के मुताबिक लंबे समय तक इस स्टडी पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था. उन्होंने कहा कि साल 1980 में यह बात पता चली कि सभी नदियों में बैक्टीरियोफेज होते हैं. गंगाजल में ऐसे 1300 तरह के बैक्टीरियोफेज पाए जाते हैं.

प्रो. गोपालनाथ ने साल 1980 से 1990 के बीच बीएचयू में मरीजों का इलाज बैक्टिरियोफेज के जरिए किया था.

प्रोफेसर मिश्रा ने बताया कि गंगा मामलों के एक्सपर्ट अरुण गुप्ता ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर गंगा जल के औषधीय गुणों और बैक्टीरियोफेज का पता लगाने की अपील की थी. गंगा किनारे रहने वाले 491 लोगों पर सर्वे किया गया था. जिसमें यह खुलासा हुआ कि 274 ऐसे लोग जो रोज गंगा में नहाते हैं और गंगाजल पीते हैं उनको कोरोना नहीं हुआ था. वहीं 217 लोग जो गंगा जल का इस्तेमाल नहीं करते थे, उनमें से 20 को कोरोना हुआ और 2 की मौत भी हो गई. उन्होंने कहा कि गंगाजल पर और भी रिसर्च की जरूरत है.

हमने कहा- यदि तेरा शोध-पत्र वाचन समाप्त हो गया हो तो हम भी कुछ बकें.

बोला- फरमाइए.

हमने कहा- तुमने बताया कि २१७ लोगों ने गंगाजल का इस्तेमाल नहीं किया. उनमें से २० को कोरोना हुआ और २ मर गए. हमने भी शोध किया है कि दो लोगों ने गंगाजल का सेवन कभी नहीं किया और उन्हें आज तक कोरोना नहीं हुआ. इससे सिद्ध होता है कि गंगाजल सेवन न करने वाले कोरोना से अधिक सुरक्षित रहते हैं. उन के नाम भी सुन ले- रमेश जोशी और तोताराम. 

बोला- इस तरह से तो मैं भी एक उदाहरण दे सकता हूँ कि जिसे गंगा बुलाती है वह प्रधानमंत्री बन जाता है, वह सदैव गंगाजल का सेवन करता है और उसे लाखों की भीड़ में जाकर भाषण देने पर भी कभी कोरोना नहीं होता.

हमने कहा- तोताराम, हम ज्यादा विज्ञान तो नहीं जानते लेकिन इतना दावे से कह सकते हैं कि जो गंगा के भक्त बने फिरते हैं वे एक महीने तक बनारस की गंगा का जल पीकर जिंदा रह कर दिखा दें तो हम मोदी जी के ८ नवम्बर २०१६ के भाषण की तरह संकल्प लेते हैं- "आप जिस चौराहे पर मुझे खड़ा करेंगे, मैं खड़ा होकर..देश जो सज़ा करेगा वो सज़ा भुगतने को तैयार हूं." 

यदि गंगाजल से ही कोरोना का इलाज़ होता तो क्या उसमें तिरते सैंकड़ों शवों का कल्याण नहीं हो जाता. 

बोला- लेकिन इतना तो मानेगा कि गंगाजल के प्रभाव से वे शव भी रेत को हटाकर ऊपर आ गए, तैर कर उत्तरप्रदेश से बिहार तक पहुँच गए. जीते जी भले ही उनकी किसी ने नहीं सुनी लेकिन अब वे पर्याप्त गंगाजल पीकर इतने शक्तिशाली हो गए हैं कि 'रामराज' वाले 'साहब' भी उनसे डरने लगे हैं. 

खैर, न सही गंगाजल से कोरोना का इलाज़ लेकिन गंगाजल पीने में क्या समस्या है ? साफ़ और शुद्ध है. घर बैठे गंगा मैय्या आई है.पी ले, मोक्ष हो जाएगी.

हमने कहा- तू यह कैसे कह सकता है कि यह साफ़ है ?

बोला- मुझे ही पता नहीं होगा तो किसे होगा !  कुछ देर पहले घड़े के पानी से भरकर यह बोतल मैं ही तो दे गया था.


पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)

(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

No comments:

Post a Comment