Oct 8, 2021

क्या टाइमिंग है

क्या टाइमिंग है 


आज तोताराम ने आते ही अपने स्मार्ट फोन की स्क्रीन हमारी आँखों के एकदम पास करते हुए कहा- देख.

हमने कहा- इसे थोड़ा दूर कर. इतना पास से कैसे देखें ?

तोताराम से अपना स्मार्ट फोन थोड़ा दूर किया तो हमने देखा और कहा- मोदी जी खुद ही अपना एक बड़ा और बढ़िया-सा, सफ़ेद लेस वाला काला छाता ताने हुए.

बोला- अब अपने मोदी जी छत्रपति हो गए. 

हमने कहा- छाता तो बरसात में करोड़ों लोग लगाते हैं. तो क्या सभी को छत्रपति कहेगा. छत्रपति का मतलब होता है वह राजसी व्यक्ति होता है जिसके साथ पर कोई सेवक उस पर छाता ताने हुए चलता है. मोदी जी बहुत आत्मनिर्भर व्यक्ति हैं और खुद को सेवक कहते हैं. तूने मार्क किया कि नहीं, मोदी जी अपना छाता खुद पकड़े हुए हैं.

बोला- फिर भी यह छाता उनका ही है तो छत्रपति होने में क्या कमी है ?

हमने कहा- हमें तो कोई ऐतराज़ नहीं है लेकिन शिव सेना वाले मानें तब ना. पिछले साल जनवरी में शिव सेना ने बड़ा बवाल मचा दिया था जब शिव सेना के स्वघोषित नेता दिल्ली के शिव भगवान गोयल ने एक पुस्तक छपवाई थी- 'आज के शिवाजी मोदी जी' . दोनों की दाढ़ी की सेटिंग से किताब का कवर भी बढ़िया बनाया है . काफी समानता लग रही थी दोनों में. 

बोला- यह शिव भगवान है कौन ? 

हमने कहा- वही जो दिल्ली में क्रिकेट स्टेडियम में पिचें खोदता फिरा करता था. अब शिव सेना ने इसे निकाल दिया है. 

बोला- क्या फर्क पड़ता है. इस महान ग्रन्थ के प्रणयन के फलस्वरूप कहीं भाजपा में अडजस्ट हो जाएगा.

हमने कहा- लेकिन तोताराम, बरसात तो हो ही नहीं रही थी फिर छाता किसलिए ? 

बोला- मौसम का क्या भरोसा. आदमी को अपना साधन साथ रखना चाहिए.  अभी तुझे एक और वीडियो दिखाता हूँ जिसमें मोदी जी के छाते पर बरसात और बर्फ दोनों गिर रही हैं. और तो और बिजली भी कड़क रही है.   

हमने कहा- लेकिन प्लेन की सीढ़ियों के आसपास खड़े लोगों में से तो किसी ने भी छाता नहीं लगा रखा है. 

बोला- तुझे पता होना चाहिए कि मोदी जी के प्लेन की सीढ़ियों पर कदम रखते ही बरसात शुरू हुई और जैसे ही मोदी जी सीढ़ियाँ उतर कर कारपेट पर आए, बरसात बंद.

मोदी जी की टाइमिंग तो देख. 

हमने कहा- लोग तो कह रहे हैं कि जब मज़ाक उड़ा तो भक्तों ने उस वीडियों से छेड़छाड़ करके उसमें बरसात की बूँदें टपका दीं और नकली बिजली चमकवा दी. यह किया तो गलत गया है. और तो और न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया है कि उसके नाम से मोदी जी के लिए  'लास्ट, बेस्ट होप ऑफ़ अर्थ'  शीर्षक से चलाई गई खबर एक घटिया जालसाज़ी है.

बोला- देख,  मोदी जी असली, प्लेन असली, छाता असली, हवाई अड्डा असली. अब एक चीज थोड़ी इधर-उधर अडजस्ट कर भी दी तो क्या फर्क पड़ गया. इमेज के धंधे में इतना तो चलता ही है. 





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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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