Oct 16, 2021

सही समय पर सही कार्यवाही

सही समय पर सही कार्यवाही 


हमने कहा- तोताराम, जब मोदी सरकार ने हमारा सातवें वेतन आयोग का एरियर नहीं दिया तो हमने उन्हें एक अंतर्देशीय पत्र लिखा और इमेल भी किया. किसी का कोई उत्तर नहीं मिला लेकिन हमारे डाटा का मंत्रालय ने दुरुपयोग अवश्य  किया. इसके बाद मोदी जी और उनकी सरकार द्वारा किये गए महान कामों की विस्तृत सूचना ज़रूर नियमित रूप से आने लगी. 'मन की बात' को सुनने के लिए आग्रह सहित मेसेज भी आने लगे. और तो और सुनने में कोई बाधा आने पर समाधान के लिए रास्ता भी बताया गया था. 

आज तोताराम बहुत सभ्य बनते हुए बोला- मान्यवर, बीच में आपकी बात काटने के लिए क्षमा चाहता हूँ. या तो आपको ज्ञान नहीं है या फिर आप व्यंग्य कर रहे हैं. भारत में लोकतंत्र है इसलिए सरकार मोदी जी की नहीं जनता की है, आपकी, हमारी, सबकी है. 

जैसे ही तोताराम ने तत्सम शब्दावली में अपनी बात शुरू की तो हमें किसी अनिष्ट की आशंका होने लगी. ऐसी ही मनः स्थिति में शकटार चाणक्य से कहता है- तुम हँसो मत चाणक्य, तुम्हारे क्रोध से अधिक तुम्हारी हँसी से डर लगता है.

हमने सजग होते हुए कहा- यदि देश में लोकतंत्र होता तो क्या किसानों की बात नहीं सुनी जाती ? क्या उनसे पूछे बिना चुपके-चुपके कानून बना दिए जाते ? और उन नियमों के विरुद्ध शांतिपूर्वक सत्याग्रह करने पर कोई मजिस्ट्रेट उनके सिर फोड़ने का आदेश दे सकता था ? दो दिन पहले सुधरने का आदेश देने के बाद तीसरे दिन उन पर जीप चढ़ा दी जाती ? क्या वहाँ जाने वाले विपक्ष के नेताओं को बिना किसी नियम और वारंट के गिरफ्तार कर लिया जाता  ?

तोताराम ने प्रतिवाद किया- .मोदी जी सही समय पर सही निर्णय लेते हैं.उन्हें ज्यादा बोलने की आदत नहीं है.अब जब तेरा एरियर मिल गया तो चुप बैठ. 

हमने कहा-  वह मिल गया पर डी.ए. वाला १८ महीने का एरियर फिर ड्यू हो गया. इसके लिए तो साफ़ कह दिया है कि नहीं मिलेगा. गैस की सबसीडी भी गुपचुप बंद कर दी. लेकिन तेरी यह सही समय पर सही निर्णय लेने की बात कुछ समझ में नहीं आई.

बोला-  मध्यप्रदेश में कर्मवीर के संपादक डॉ. राकेश पाठक गाँधी जयंती पर साबरमती आश्रम में प्रार्थना करने के लिए आश्रम के पास ही एक होटल में रुके हुए थे कि पुलिस ने उन्हें २ अक्तूबर की सुबह छह बजे ही होटल से उठा लिया और आश्रम की जगह थाने ले गई. और बारह बजे छोड़ा.

हमने पूछा-  लेकिन गाँधी जयंती को कोई व्यक्ति आश्रम में दर्शन करने आये और उठा लिया जाए. इसका क्या मतलब ? क्या वह कोई आतंकवादी था ? इससे क्षुब्ध होकर एक पत्रकार ने लिखा है- ‘गांधी का देश, गांधी का प्रदेश, गांधी का आश्रम, गांधी जयंती, साबरमती आश्रम को प्रणाम करने गए वरिष्ठ पत्रकार और एडिटर्स गिल्ड के सदस्य डॉक्टर पाठक को एक नहीं बल्कि दो बार पुलिस द्वारा हिरासत में लिया जाना, खादी के कपड़े तक ना पहनने देना - अचंभित करता है।’

बोला-  इस संपादक ने छह सितंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला ख़त पीएमओ को मेल किया था- ‘सत्याग्रह आश्रम गांधी की सादगी और सत्य का प्रतीक है। गुजरात की सरकार आश्रम का काया-कल्प करने जा रही है। लगभग 1246 करोड़ रुपये से संग्रहालय को मेमोरियल का रूप दिये जाने की तैयारी है। सत्याग्रह आश्रम गांधी जी की सादगी और शुचिता का प्रतीक है। उसे आधुनिक संग्रहालय जैसा रूप देना आश्रम की मूल आत्मा को नष्ट करने जैसा है। दुनिया का हर देश महापुरुषों की धरोहर को उनके मूल स्वरूप में ही सुरक्षित-संरक्षित रखने की ओर अग्रसर है। हमें भी बापू के सत्याग्रह आश्रम को मूल स्वरूप में ही सहेज कर रखना चाहिये।मैं यह भी सूचित कर रहा हूँ कि आगामी दो अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन सत्याग्रह आश्रम को बचाने के लिये हम सब आवाज़ उठायेंगे। गांधीवादी तरीक़े से जिसे जैसा उचित लगेगा वैसा प्रतिरोध दर्ज करायेंगे।’

और देखा, सही समय पर सही कार्यवाही हो गई.






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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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