Jul 27, 2023

मोदी जी सीकर में क्या करने आ रहे हैं ?


मोदी जी सीकर में  क्या करने आ रहे हैं ?


आज सुबह ही हल्की बूँदाबाँदी सी शुरू हो गई। हम जैसे ही अपनी पेट 'कूरो' को घुमाने और लघु-दीर्घ शंकाओं से निवृत्त करवाने के लिए निकले तो देखा कूड़े के ढ़ेर में से तनिक सा झाँकते, स्वच्छ भारत लिखे कूड़ेदान के पास छाता ताने तोताराम चला आ रहा है । 

हमने छेड़ा- आज इतनी जल्दी ! तुझे पता है हम तुझे आजीवन चाय पिलाने के लिए वैसे ही अभिशप्त हैं जैसे देश की जनता स्वयंसेवकों से सेवा करवाने के लिए मजबूर है । हम तुझे चाय पिलाने से नहीं बच सकते । फिर भी ऐसी क्या जल्दी है जो दिन निकलने से पहले ही आ धमका । 

 बोला-  मोदी जी की कृपा से पेंशन मिल रही । ना सही ऐश लेकिन भूखे भी नहीं मरेंगे । हम तेरी चाय के मोहताज नहीं । और फिर आज तो चाय ही क्या, साथ में नाश्ते का पैकेट भी मिलेगा । जल्दी काम निबटा और चल मेरे साथ । पहुंचते-पहुंचते ही सात-आठ बज जाएंगे ।  

हमने पूछा- लेकिन चलना कहाँ है और क्यों  ? 

बोला- हद है मास्टर,  सारी दुनिया को पता चल गया है लेकिन तेरे कान पर जूँ तक नहीं रेंगी । 

हमने कहा- हमारा कान कोई प्रधान मंत्री का कान तो है नहीं जिसे कोई पकड़ न सके और जिस पर मणिपुर तक की जूँ भी नहीं रेंग सके । ब्रजभूषण को बचाने वाला कोई भी नेता हमारा कान तो महिला पहलवानों के कान की तरह कभी भी पकड़ सकता है । संसद मार्च के दौरान कोई भी लाठियाँ बरसा सकता है । 

कूड़ेदान के सामने ही लगे बिजली के खंभे की ओर इशारा करते हुए तोताराम बोला- उधर देख । वैसे तुझे आज के अखबार में भी सूचना देने वाले कई पम्पलेट मिल जाएंगे । 

हमने देखा, खंभे पर एक बोर्ड लगा हुआ है जिस पर लिखा है- विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता, भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री जी श्री नरेंद्र मोदी जी का वीरों की धरती, शिक्षा नगरी सीकर पधारने पर हार्दिक स्वागत । सभास्थल- साँवली रोड़, मेडिकल कॉलेज के पास, सीकर । निवेदक- क ख ग (करबद्ध फ़ोटो)  

हमने कहा-  यहाँ कौन देखने आएगा इन पोस्टरों को । तोताराम ये सब सत्ता से लाभान्वित और लाभ कबाड़ू  चतुर लोग हैं जो किसी न किसी बहाने बड़े बड़े नेताओं की आड़ में पोस्टर छपवाकर अपना राजनीतिक कद दिखाकर कोई बड़ा ठेका या चुनाव का टिकट कबाड़ना चाहते हैं और अपना कोई न कोई पाप छिपाना चाहते हैं । जब मौका लगेगा तब अधिक लाभ के लालच में ये ही सबसे पहले किसी और पार्टी में भाग जाएंगे । बैंकों से अरबों का लोन मिल गया तो ललित और नीरव की तरह नीरवतापूर्वक विदेश भाग जाएंगे । जिन्हें मोदी जी  के नाम से अपनी रोटियाँ सेंकनी हैं वे पोस्टर छपवाएं, स्वागत करने जाएँ, हमें क्या ? ये चापलूस लोग  श्री श्री रविशंकर की तरह दो ही क्या, हर अक्षर के बाद 'जी' लगाकर नाम लिख देंगे  जैसे श्री जी, न जी, रे जी, द्र जी, मो जी, दी जी । 

बोला- वैसे ये नीरव और ललित कौन ?

हमने कहा- समझ सके तो समझ ले । हम तो उनका सरनेम बताने का जोखिम नहीं लेंगे । आजकल भक्तों की भावनाएं कभी भी आहत हो सकती हैं । यूं हमारे पास छिन जाने को राहुल की तरह सांसदी नहीं है लेकिन क्या पता पेंशन ही बंद करवा दें । स्पष्ट बहुमत बहुत बुरी चीज होती है । और आज तक दुनिया के किसी भी देश में, किसी भी नेता को ऐसा स्पष्ट बहुमत नहीं मिला जितना मोदी जी को । तो फिर वे क्यों न ईश्वर की तरह सर्वशक्तिमान बन जाएँ । तभी देखा नहीं, सभी मंत्री ही नहीं, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति तक 'जी जी' के अलावा एक अक्षर भी नहीं बोलते । देखा नहीं, फ्रांस में एक अधेड़ महिला किस प्रकार मोदी के चेहरे के तेज को देखकर गदगद हो रही थी । 

बोला- बातों में टाइम खराब मत कर । जल्दी निकल लें तो ठीक रहेगा । देर हो जाने पर क्या पता बैठने की भी जगह मिले, न मिले । 

हमने कहा- लेकिन आजकल तो मोदी जी की जन सभाएं बड़ी निर्जन चल रही हैं । कुर्सियाँ ही पूरी नहीं भर पा रही हैं । और फिर यहाँ सीकर में क्या करने आ रहे हैं मोदी जी ?दिल्ली में तो संसद में 'अविश्वास प्रस्ताव' चल रहा है । 

बोला- वहाँ संसद में बैठकर करेंगे क्या ? बैठते ही हर कोई मुंह उठाकर पूछने लगेगा- मणिपुर क्यों नहीं गए ? कहाँ कहाँ जाएँ ? सारी दुनिया की तो जिम्मेदारी सिर पर आ गई। यहाँ तो 20-20 घंटे काम करना पड़ता है । नींद की कमी से आदमी का दिमाग वैसे ही खराब हुआ रहता है। खोपड़ी भन्नाई हुई रहती है । 

जाना था इम्फाल 

पहुँच गए फ्रांस 

बाबू, समझे क्या ? 

वैसे तो मोदी जी पास स्पष्ट बहुमत है, अविश्वास प्रस्ताव पास नहीं होगा फिर भी इस बहाने विपक्ष वाले कुछ न कुछ गालियां निकाल ही लेंगे । वैसे ही अब तक 92 गालियां इकट्ठी हो गई हैं । आदमी कब तक बर्दाश्त करे । यह भी कोई बात हुई- 20-20 घंटे सेवा करो और बदले में गालियां खाओ । 

हमने कहा- तो क्या संसद का सामना करने से बचने के लिए ही तो सीकर में नहीं आ रहे ?

बोला- तू तो ऐसा कहेगा ही लेकिन मोदी जी को सारी सदिच्छाओं के बावजूद नेताओं ने तीन कृषि कानूनों के द्वारा किसानों का कल्याण नहीं करने दिया । वही बचा हुआ कल्याण करने सीकर आ रहे हैं । 

हमने कहा- तो इसका मतलब मोदी जी कल्याण किये बिना मानेंगे नहीं । कोई बात नहीं, ठीक है । अभी घर चल कर सोचते हैं चलने के  बारे में कुछ । लेकिन भीग गए तो ?

बोला - भीग क्यों जाएंगे, देखा नहीं, बारह तानी का यह छाता !

हमने कहा-  लेकिन इसका रंग तो काला है । तुझे याद नहीं, पाँच साल पहले भी जुलाई 2018 में मोदी जी राजस्थान आए थे तब उनकी सभा में काली पेंट, काली साड़ी, काला बुर्का ही क्या, काली बेल्ट तक भी वर्जित थी । मोदी जी श्वेत सात्विक विचारों और कर्मों वाले संत हैं । उन्हें यह तमोगुणी काला रंग अच्छा नहीं लगता । 

बोला- लेकिन मैंने तो बाजार में कहीं भगवा रंग का कोई छाता नहीं देखा ? 

हमने कहा- जिन खोजा तिन पाइयाँ, गहरे कीचड़ पैठ । मध्यप्रदेश या उत्तर प्रदेश से पता कर लेता ।वहाँ गंगा और नर्मदा का जल भगवा हो चुका है । कहीं न मिले तो कांग्रेस से भाजपा में आए आसाम के नए नए देशभक्त बने और सबसे ज्यादा 'हाय हाय हिन्दुत्व' करने वाले,, कभी भी अपने किसी भी  कृत्य से न शर्माने वाले सरमा से मिल लेते ।  उनके वहाँ तो गायें तक भगवा दूध देने लगी हैं । 

बोला- कोई बात नहीं, छाता नहीं ले चलेंगे लेकिन अपनी  28 इंची छाती वाली इस श्याम वर्णी देह यष्टि क्या करूँ ? 

हमने कहा- चल तो सही ? यहाँ भी जरूर कोई वाशिंग मशीन लगी हुई होगी जो अजित पवार की तरह तुझे भी उजला बना देगी । और हाँ, यदि तुझे ठीक लगे तो 'बी जे पी' का कोई बैनर-वैनर भी बनाकर साथ ले चलें । शोभा बढ़ जाएगी और लोगों का ध्यान भी जाएगा । 

बोला- लेकिन अपन तो  कानूनी रूप से भाजपा के सदस्य नहीं हैं । 

हमने कहा- तो क्या ? हमारी 'बरामद जनता पार्टी' तो है ही । शॉर्ट फॉर्म 'बी जे पी' । 

बोला- यह ठीक रहेगा । 'इंडिया'  का 26 दलों का गठबंधन बन जाने के बाद भाजपा को भी संख्या बढ़ाने के लिए पार्टियों की बड़ी जरूरत है । भले ही 38 में से 25 का एक भी सांसद न हो । 



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