Jul 7, 2023

'मोदी मोदी' और कुछ नहीं

'मोदी मोदी' और कुछ नहीं  

आज जैसे ही तोताराम आया तो उसके बैठने से पहले ही हमने आकाशवाणी कर दी- आज 7 जुलाई है ।

बोला- कल मुझे उपदेश दे रहा था और आज खुद बकवास कर रहा है- आज 7 जुलाई है । 7 जुलाई है तो क्या करूँ ? कल 6 थी तो आज सात ही होगी । यह भारतीय पंचांग की तरह वैज्ञानिक थोड़े ही है जो कभी कोई तिथि टूट जाती है तो कभी कोई तिथि दो बार हो जाती है । मोदी जी के मन की बात का कार्यक्रम है तो महिने का अंतिम रविवार ही होगा । या जैसे किसी ट्रेन को हरी झंडी दिखाई जाएगी तो मतलब मोदी जी ही दिखाएंगे । यह काम न तो गार्ड का है और न ही रेल मंत्री का । यह इतना महत्वपूर्ण काम है जिसे मोदी जी के अतिरिक्त कोई नहीं कर सकता । क्या पता कोई अनाड़ी झंडी दिखाए तो ट्रेन जानी हो जूनागढ़ और चली जाए जामनगर ।

हमने कहा- आज तो तू बड़ी द्विअर्थी बातें बोल रहा है । समझ ही नहीं आता कि मोदी जी की प्रशंसा कर रहा है या टांग खींच रहा है ।

बोला- मैं क्या खाकर किसी की टांग खींचूँगा ? मैं तो सीधी का एक निरीह और सीधासादा आदिवासी दशहत हूँ । सत्ता के अहंकार ने जिनकी बुद्धि भ्रष्ट कर दी है वे लोग संविधान तक पर पेशाब कर देते हैं तो मेरे जैसे की क्या औकात । तू तो अपना लैपटॉप देखकर यह बता कि आज भी पेंशन विभाग का कोई मेल आया या नहीं ?

हमने कहा- लगता है मोदी जी भूल गए हों । अब बच्चों को परीक्षा के लिए टिप्स देने से लेकर, मेट्रो से दिल्ली यूनिवर्सिटी जाने तक के सब छोटे-मोटे काम उन्हें ही करने पड़ते हैं तो हो सकता है टाइम नहीं मिला  हो ।

बोला- हाँ, यह बात तो है । पहले दिल्ली में रहते हुए 13 महिने तक किसानों से मिलने का समय नहीं मिला । जब समय मिला तो बस, इतना कह कर पल्ला झाड़ लिया- हम किसानों को तीन कानूनों के फायदे समझा नहीं पाए । मतलब कि तीन कानून तो सही थे लेकिन किसान ही बेवकूफ थे जो समझ नहीं पाए ।

गए तब भी नहीं ।  ट्रक के पीछे लिखी इबारत की तरह डर बरकरार है । अबकी बार बच गया  तो क्या ? 'फिर मिलेंगे'  ।

पदक लाने वाली बेटियाँ जिन्हें वे अपने परिवार की बेटियाँ कह रहे थे, तक से मिलने का समय नहीं निकाल सके । कोई एक काम है ? सेंगोल ग्रहण करना, राष्ट्रपति के बिना, सावरकर के जन्म दिन पर संसद का उद्घाटन करने जैसी बड़ी जिम्मेदारी अकेले ही उठाना । संविधान निर्माता अंबेडकर को पुष्पांजलि अर्पित करने तक का समय नहीं मिला  ।और यह हाल तब है जब चौबीस घंटे में 20-20 घंटे काम करते हैं। दाढ़ी बनाने तक का तो समय मिलता नहीं । पहले भी जनसेवा के लिए समय बचाने के चक्कर में कुर्ते की बाहें काटकर आधी कर ली थी । 


और तो और देश के लिए विदेश जाने की मजबूरी के कारण दो महिने से जलते मणिपुर तक नहीं जा सके तो हम अपना रोना क्या रोयें । वे कोई राहुल गांधी थोड़े ही हैं जिन्हें बात बिना बात यहाँ-वहाँ मोहब्बत की दुकान खोलते फिरने के अलावा कोई काम ही नहीं है । किसी दिन बिना परमीशन के दुकान चलाने और जी एस टी जमा न कराने के अपराध में जेल में न डाल दिए जाएँ तो सब अकल आ जाएगी । स्पष्ट बहुमत की सरकार । कोई मजाक नहीं है । तीस साल में पहली बार किसी पार्टी को इतनी सीटें मिली हैं । 

हमने कहा- अब सचमुच हमें मोदी जी को दोष देना छोड़ देना चाहिए । उन्हें जनता की सेवा के अतिरिक्त और काम ही क्या है ।आशा रखे न कि कबहुँक दीन दयाल के भनक पड़ेगी कान !

बोला- और हाँ, तू जो उल्टी-सीधी बातें करता रहता है- कभी 2 करोड़ नौकरियां, कभी 15 लाख, कभी अच्छे दिन, कभी डीए का 18 महिने का एरियर, कभी मोदी जी की डिग्री, कभी महंगाई, कभी 20 हजार करोड़ रुपये का हिसाब-किताब; हो सकता है मोदी जी ने ड्रोन से हमारी फ़ोटो खींच ली हो या तेरे लैपटॉप में पेगासस घुसाकर सब पता कर लिया हो । अब से सब कुछ बंद ।

सिर्फ 'मोदी-मोदी' और कुछ नहीं । 

हमने कहा- और क्या ? पेंशन की कीमत पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की क्या बिसात !

  




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