2025-03-25
गालिब का पुनर्जन्म
हालत कैसी है, यह बात अलग है लेकिन कागजों में सड़कें हर गाँव कस्बे और घर के आगे बनी हुई हैं । नहीं है तो कागजों में देखें जरूर मिल जाएँगी ।देखें जरूर मिल जाएँगी । विस्तार से पूछ नहीं सकते क्योंकि यह डाटा प्रोटेक्शन, निजता और अंततः राष्ट्र की सुरक्षा का मामला भी हो सकता है । सो सड़क हमारे घर के ठीक सामने है, चौड़ी है और व्यस्त सड़क है । सुबह शाम तरह तरह के लोग घूमने घामने इसी रास्ते से जाते हैं । वे सभी एक दूसरे को शक्ल और कुछ गतिविधियों से पहचानते भी हैं । इन लोगों में एक गुप्ता जी भी हैं । अध्यापक रह चुके हैं भले ही गणित के लेकिन अध्यापक होने के कारण सर्वज्ञ होने का भ्रम होना स्वाभाविक है । वैसे ही जैसे हर सच्चे हिन्दू को किसी भी मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष देख सकने की दिव्यदृष्टि स्वतः ही प्राप्त है ।
गुप्ता जी ने शुरु शुरु में प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना, फिर कोचिंग सेंटर में हाथ आजमाया, घर की बैठक का दरवाजा सड़क की तरफ खोलकर गुटखा और नमकीन के पैकेट लटकाकर दुकान भी खोली । अब पूर्णतः देश और समाज की सेवा में लगे हुए हैं । वैसे आजादी के समय तो कोई खतरा नहीं था लेकिन पता नहीं किस औररंगजेब का राज्य आ गया कि अचानक हिन्दू धर्म खतरे में आ गया है । सो गुप्ता जी भी धर्म को बचाने के लिए तरह तरह की रैलियों में जाने लगे हैं । फिर भी दिन 24 घंटे का होता है । जिन्हें 20-20 घंटे और कभी कभी 24-24 घंटे काम करना पड़ता है उनकी बात और है लेकिन गुप्ता जी को समय मिल ही जाता है ।
गुप्ता जी हमारी बरामद संसद के सदस्य नहीं हैं । फिर भी हम उन्हें बैठने और बोलने का अवसर दे देते हैं । हम कोई ओम बिरला थोड़े हैं जिन पर राहुल गाँधी को न बोलने देने के राष्ट्रीय महत्व का गुरुतर दायित्व आ पड़ा हो । आज गुप्ता जी बैठते ही कहा- मास्टर जी, इजाजत हो तो एक शेर अर्ज करूँ ?
हमने कहा- गुप्ता जी, अब इस देश को यही देखना शेष रह गया था कि आप जैसे हर काम में गणित लगाने वाले को शायरी जैसा फालतू काम करना पड़ रहा है । खैर यहाँ न तो मानदेय है और न तालियाँ । बस, सीधे और संक्षेप में अर्ज कर दीजिए ।
बोले-
हुई मुद्दत कि गुप्ता मर गया पर याद आता है
वो हर इक बात पे कहना कि यूँ होता तो क्या होता
तोताराम जो अब तक अपने स्वभाव के विपरीत चुप बैठा था, बोल पड़ा- गुप्ता जी, चोरी और सीनाजोरी ? गालिब की जगह गुप्ता फिट कर दिया तो यह शे’र तुम्हारा हो गया ? संयोग से गालिब में चार मात्राएं और गुप्ता में भी चार मात्राएं तो फिट हो गया लेकिन बाकी क्या दुनिया जानती नहीं ?
गुप्ता जी बोले- तोताराम जी, आप नाराज क्यों हो रहे हैं । हम अपना ही शे’र सुना रहे हैं । पिछले जन्म में हमीं गालिब थे ।
तोताराम ने कहा- क्या बात करते हो ? मुसलमानों में न तो अवतार होते हैं और न ही पुनर्जन्म । वहाँ तो सब मरते रहते हैं और जब सब मर जाते हैं और सारा वेटिंग रूम भर जाता है तो नई सृष्टि बनाने से पहले खुदा सब मर चुके लगों को उनके राष्ट्रवादी वचनों के हिसाब से मंत्रालय अलोट कर देता है और फिर सृष्टि और सुशासन चल निकलते हैं ।
हमने कहा- गुप्ता जी, तोताराम ठीक कहता है । मुसलमानों में पुनर्जन्म नहीं होता, इसीलिए वहाँ खुदा के कई कई अवतार और एक साथ कई कई पैगंबर नहीं मिलते । जैसे मोदी जी की तरह पिछले जन्म में शिवाजी थे वैसे ही यदि आप पिछले जन्म में गालिब थे तो प्रमाण दीजिए । जैसे ऑडिशा से सांसद प्रदीप पुरोहित गंधमर्दन पहाड़ी क्षेत्र के गिरिजा बाबा संत ने बताया कि देश के आज जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, वे अपने पूर्व जन्म में महाराज छत्रपति शिवाजी थे।
गुप्ता जी बोले- एक क्या कई संतों से कहलवा देंगे । यहीं से जाने कितने संत गुजरते हैं । नहीं तो हमारे साथ जेल में चले चलना वहाँ भी बड़े बड़े चमत्कारी संत मिल जाएंगे अगर लोकतंत्र की रक्षा के लिए अघोषित पैरोल पर कहीं प्रवचन करने नहीं गए हुए होंगे तो ।
हमने कहा- गुप्ता जी जब आपके पक्ष में ऐसे ऐसे संतों के प्रमाण हैं तो यही उचित है कि हम मान लें कि सेल्यूलर जेल से माफी माँग कर सावरकर नहीं महात्मा गाँधी रिहा हुए थे और पटेल को 60/- रुपए महिना पेंशन मिला करती थी ।
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