2025-12-17
बाँकेबिहारी की मजबूरी
कल से मलमास शुरूु हो गया । अगर सरकारी पैसा होता तो मुफ़्त के माल पर बेरहमी से शौक और गुलछर्रे उड़ाते । हो सकता है दस-बीस लाख दीये भी जलवा देते । फिर भी अब कई दिनों तक पौष बड़ों के आयोजन चलते रहेंगे । सो बहू ने आज सुबह-सुबह मूँग-मोठ और चौले की मिक्स दाल के पकौड़े बना दिए ।
जैसे ही तोताराम आया हमने चाय के साथ पकौड़े रखते हुए बड़ी दरियादिली से कहा- ले खा, तू भी क्या याद करेगा ।
बोला - लगता है कल किसी मंदिर में पौष बड़ों की लाइन में दो-दो तीन तीन बार लगकर बटोर लाया । और अब फ्री में साल भर के पाप सस्ते में धो रहा है । अरे, कोई पुण्य करना है तो अपनी मेहनत की कमाई से कर ।
हमने कहा- ठेकेदारी प्रथा में ऐसा ही होता है । मजदूरों का वेतन नहीं दोगे तो वे कब तक मुफ़्त में काम करेंगे । भूखे तो भजन भी नहीं होता, यह तो प्रसाद बनाने का मेहनत-मजदूरी वाला काम है । हो सकता है ठेका देने वालों ने कमीशन भी खाया होगा ।
और हो सकता है गहन जांच करवाई जाए तो तिरुपति की तरह घी की तरह कुछ और भी निकल आये । अपने यहाँ भी तो वाटर सप्लाई वाले ठेकेदार ने पानी की सप्लाई खोलने वालों को पाँच महीने से तनख्वाह नहीं दी तो तीन दिन तक उन्होंने पानी नहीं खोला । सरकारें कमीशन खाने के लिए सब कुछ ठेके पर देना चाहती है ।
बोला- कुछ भी हो जब तक बाँके बिहारी जी के भोजन की उचित और स्थायी व्यवस्था नहीं होती मैं चाय-पकौड़े तो क्या मशरूम की सब्जी और मोरिंग के पराँठे भी नहीं खाऊँगा ।
हमने कहा- ऐसी कठिन प्रतिज्ञा ठीक नहीं । जो भक्ति का पाखंड करते हैं, भक्ति का धंधा करते हैं उन तक ने वृंदावन में रहते हुए एक टाइम की चाय तक नहीं छोड़ी । वहाँ की सांसद हेमामालिनी, प्रेमानन्द जी, अनिरुद्धाचार्य किसी को कोई शिकायत नहीं ।
वैसे तोताराम, हमारा एक सुझाव है कि बाँके बिहारी जी का बैंक खाता खुलवा दो,एक स्मार्ट फोन दिलवा कर ओनलाइन की सुविधा करवा दो । जब जो खाने का मन हो अपना ऑनलाइन ऑर्डर करो, दस मिनट में हाजिर, न पुजारी का इंतजार, न हलवाई की हड़ताल का चक्कर, न मिलावट का भय ।
बोला- लेकिन उसमें भी एक चक्कर है । अगर पुजारी उस डिलीवरीमैन को अंदर न जाने दें तब । और मान ले वह कोई विधर्मी हुआ या नोनवेज ले आया तो भगवान के धर्म का क्या होगा ?
हमने कहा- भगवान को तो कोई ऐतराज हो न हो लेकिन पुजारियों की पावर जरूर कम हो जाएगी । और कौन अपनी पावर कम होने देना चाहता है ? सारा खेल ही पावर का है । पावर हो तो भगवान को भी कंट्रोल किया जा सकता है ।
-रमेश जोशी
पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)
(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
No comments:
Post a Comment