Dec 18, 2025


2025-12-17  

बाँकेबिहारी की मजबूरी  

 

कल से मलमास शुरूु हो गया । अगर सरकारी पैसा होता तो मुफ़्त के माल पर बेरहमी से शौक और गुलछर्रे उड़ाते । हो सकता है दस-बीस लाख दीये भी जलवा देते । फिर भी अब कई दिनों तक पौष बड़ों के आयोजन चलते रहेंगे । सो बहू ने आज सुबह-सुबह मूँग-मोठ और चौले की मिक्स दाल के पकौड़े बना दिए ।  

जैसे ही तोताराम आया हमने चाय के साथ पकौड़े रखते हुए बड़ी दरियादिली से कहाले खातू भी क्या याद करेगा ।  

बोला लगता है कल किसी मंदिर में पौष बड़ों की लाइन में दो-दो तीन तीन बार लगकर बटोर लाया ।   और अब फ्री में साल भर के पाप सस्ते में धो रहा है । अरेकोई पुण्य करना है तो अपनी मेहनत की कमाई से कर ।  

 हमने कहा-  तोतारामयह सच है कि हम मियव्ययी हैं लेकिन कमीने नहीं हैं कि जनता के टेक्स के पैसे से सारे तीर्थ करते फिरें और दुनिया में धर्मात्मा होने का और 20-20 घंटे काम करने का ढिंढोरा पीटें । ये हमारी मेहनत की कमाई के हैं । खाकर बता कि कैसे बने हैं , नमक मिर्च ठीक हैं ?    

  हमने कहाठेकेदारी प्रथा में ऐसा ही होता है । मजदूरों का वेतन नहीं दोगे तो वे कब तक मुफ़्त में काम करेंगे । भूखे तो भजन भी नहीं होतायह तो प्रसाद बनाने का मेहनत-मजदूरी वाला काम है । हो सकता है ठेका देने वालों ने कमीशन भी खाया होगा ।

 और हो सकता है गहन जांच करवाई जाए तो तिरुपति की तरह घी की तरह कुछ और भी निकल आये । अपने यहाँ भी तो वाटर सप्लाई वाले ठेकेदार ने पानी की सप्लाई खोलने वालों को पाँच महीने से तनख्वाह नहीं दी तो तीन दिन तक उन्होंने पानी नहीं खोला । सरकारें कमीशन खाने के लिए सब कुछ ठेके पर देना चाहती है ।

   

बोलाकुछ भी हो जब तक बाँके बिहारी जी के भोजन की उचित और स्थायी व्यवस्था नहीं होती मैं चाय-पकौड़े तो क्या मशरूम की सब्जी और मोरिंग के पराँठे भी नहीं खाऊँगा ।  

हमने कहाऐसी कठिन प्रतिज्ञा ठीक नहीं । जो भक्ति का पाखंड करते हैंभक्ति का धंधा करते हैं उन तक ने वृंदावन में रहते हुए एक टाइम की चाय तक नहीं छोड़ी । वहाँ की सांसद हेमामालिनीप्रेमानन्द जीअनिरुद्धाचार्य किसी को कोई शिकायत नहीं ।  

वैसे तोतारामहमारा एक सुझाव है कि बाँके बिहारी जी का बैंक खाता खुलवा दो,एक स्मार्ट फोन दिलवा कर ओनलाइन की सुविधा करवा दो । जब जो खाने का मन हो अपना ऑनलाइन ऑर्डर करोदस मिनट में हाजिर, न पुजारी का इंतजार, न हलवाई की हड़ताल का चक्कर, न मिलावट का भय ।  

बोला- लेकिन उसमें भी एक चक्कर है । अगर पुजारी उस डिलीवरीमैन को अंदर न जाने दें तब । और मान ले वह कोई विधर्मी हुआ या नोनवेज ले आया तो भगवान के धर्म का क्या होगा ? 

हमने कहाभगवान को तो कोई ऐतराज हो न हो लेकिन पुजारियों की पावर जरूर कम हो जाएगी । और कौन अपनी पावर कम होने देना चाहता है ? सारा खेल ही पावर का है ।  पावर हो तो भगवान को भी कंट्रोल किया जा सकता है ।    

-रमेश जोशी  

  

 

  

 


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