May 12, 2009
करि आए प्रभु काज
आज़ादी के तत्काल बाद से ही उनकी आत्मा विभिन्न योनिओं- पंच, सरपंच, एम.एल.ऐ., एमपी, मंत्री, राज्यपाल आदि - में भ्रमण करने ले बाद पचासी बरस की होकर अपने बड़े से ड्राइंग रूम में विराजमान थी । सेवा का मेवा उनके रोम-रोम से टपक रहा था । इतनी उमर में तो साधारण आदमी दो-दो जनम भुगत लेता है । चहरे पर चमक, दमकता भाल, अधमुँदी सी आँखें मनो कोई शेर खा-पीकर जंगल में निश्चिंत विश्राम कर रहा हो । विभिन्न प्रकार के लोग आते-जाते, प्रणाम-जुहार करते । वे किसी को आँख उठा कर देखते, किसी के लिए आँख झपका देते, किसी की तरफ़ देखते भी नहीं और किसी के लिए हाथ भी उठा देते थे । सेवा का एक प्रभा मंडल उनके चारों और जगमगा रहा था ।
लोग कहते हैं कि वे बूढ़े हो गए हैं । और वे हैं कि सेवा की ललक अब भी दिल में फुदक रही है । उनका बेटा भी उन्हीं की परम्परा को आगे बढ़ा रहा है । अब तो पोता भी पच्चीस का हो गया है । यदि युवाओं से ही कोई तीर मारा जाने वाला है तो उनके पोते में क्या कमी है । पर लोग हैं कि उन पर परिवारवाद का आरोप लगा रहे हैं । जिन्होंने जन्म के साथ ही देश की सेवा का व्रत ले लिया हो वे अब देश सेवा के अलावा और कुछ करने के काबिल भी तो नहीं रहे । अब तो देश सेवा की आदत सी हो गई है । सारे परिवार का यही हाल है कि जब तक देशसेवा न करो तो नींद ही नहीं आती । आजकल तो चोर नकली पुलिस बन कर आने लगे हैं । नकली इंसपेक्टर घूमने लगे हैं ऐसे में जब तक सेवा करने का लाइसेंस न हो तो सेवा करने में भी चक्कर पड़ने का डर रहता है । अब तो लोग यमदूतों से भी पहचान पत्र माँगने लगें हैं, पता नहीं किसी विरोधी ने ही नकली यमदूत न भेज दिया हो । क्या ज़माना आ गया है । सेवा के लिए कोई न कोई पद होना ज़रूरी हो गया है ।
वे चिंतन और चिंता के बीच की मुद्रा में तन्द्रिल होकर झूम से रहे थे । तभी एक मरियल सा आदमी हाँफता हुआ आया, बोला- हुजूर! बचाइए, गज़ब हो गया । कुछ लड़कों ने मेरी रेहड़ी लूट ली है । सारे बाज़ार में तोड़-फोड़ मचा रहे हैं । अफरा-तफरी मची हुई है । दारू भी पिए हुए हैं । उन्होंने आँखें खोली, मुस्कुराए और बोले- तूने पढा नहीं रामचरित मानस में !
रखवारे जब बरजन लागे ।
मुष्टि प्रहार होने तब लागे ॥
जो न होति सीता सुधि पाई ।
मधुबन के फल सकहि कि खाई ॥
लगता है कि पोते को पार्टी का टिकट मिल गया है ।
५ मार्च २००९
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication.
Jhootha Sach
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वाह क्या मारक पोस्ट लिखी है आपने...आज के हालात पर कस कर तमाचा मारती हुई....जय हो.
ReplyDeleteनीरज