May 15, 2009

बेचारा पाकिस्तान क्या करे


पाकिस्तान एक शांतिप्रिय, लोकतांत्रिक, सर्वधर्म सम्मानक, और आतंकविरोधी देश है । भारत बिना पक्के सबूतों के उसे बदनाम करने लिए कह रहा है कि मुम्बई आतंकी साजिश पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा, पाकिस्तानी एजेंसियों के मार्गदर्शन में रची गई है । पाकिस्तान की सज्जनता देखिये कि उसने भारत के कहे अनुसार कई लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया है । पाकिस्तान में किसी व्यक्ति कू पूछताछ के लिए अधिक से अधिक तीस दिनों तक ही रखा जा सकते है । हिरासत में रखे गए ये सभी व्यक्ति सज्जन और धार्मिक हैं । ये सब स्वयमसेवी संस्थायें चलाकर लोगों की सेवा करते रहे हैं । वहाँ की जनता इन सज्जनों को बिना बात हिरासत में रखने का विरोध कर रही है । एक लोकतान्त्रिक सरकार आख़िर कितने दिनों तक जनता की जायज़ माँग को नकार सकती है ।

पाकिस्तानी सरकार ने भारत से इन आरोपियों के बारे में कुछ सरल सवाल पूछे हैं मगर भारत सरकार इनका ज़वाब ही नहीं दे पा रही है । अब सवालों के ज़वाब न मिले उन पर कैसे मुक़दमा चलाया जा सकता है और कैसे अनंत काल तक हिरासत में रखा जा सकता है । अगर ज़वाबों के अभाव में पाकिस्तान सरकार को उन्हें रिहा करना पड़ गया तो ये सज्जन तो सेवक हैं । सेवा करते-करते पता नहीं कहाँ और किधर निकल जायें फिर इनको ढूँढ़ना मुश्किल हो जाएगा तो भारत फिर कहेगा कि अपराधियों को भगा दिया । उस दशा में पाकिस्तान को आतंकवाद मिटाने में सहयोग न करने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकेगा । और सारी जिम्मेदारी भारत की होगी ।

अब प्रश्न यह उठता है कि ये प्रश्न आख़िर थे क्या ? खोजी पत्रकारिता का दावा करने वाले मीडिया मुगलों तक के लिए इनका पता लगाना संभव नहीं था । यह तो हमीं हैं जिन्होंने कुछ पश्नों का पता लगा लिया है । ये प्रश्न कुछ इस प्रकार थे -

आरोपियों के स्कूल रजिस्टर में दर्ज नामों की सही स्पेलिग़ क्या थीं ?
उनके एस आर नंबर क्या थे ?
उन्हें किस क्लास में किस विषय में कितने नंबर मिले थे ?
वे किस क्लास में कब फेल हुए थे ?
क्या उन्होंने कभी किसी से ट्यूशन पढी थी ? कब किस टीचर को ट्यूशन के कितने रुपये दिए ? दिए तो उनमें कितने रुपये के कितने नोट थे ?
उन्होंने कब किस प्रतियोगिता में भाग लिया ? लिया तो क्या कोई इनाम जीता ? यदि हाँ तो कौनसा स्थान प्राप्त किया ?

यदि इन छोटे-छोटे प्रश्नों के उत्तर भी भारत नहीं दे सकता तो पाकिस्तान पर दोष लगाना उचित नहीं है । बिना पूरे प्रमाणों के अभाव में बेचारा पाकिस्तान करे भी तो क्या ।

९ मार्च २००९

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication.
Jhootha Sach

2 comments:

  1. यक़ीन मानिए जोशी जी, यही सच है. जिस देश के नेता ही ऐसे हों कि हर तरह से दोषिसिद्ध आतंकवादी को दामाद बना कर बिरयानी खिला रहे हों, उसके चरित्र के बारे में आप क्या सोचते हैं. और कोई भौत हैरत की बात नहीं है कि इन्हें दुबारा जनादेश भी मिल जाए. लोकतंत्र का ऐसा मज़ाक दुनिया में कहीं और होता है क्या?

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  2. एकदम सही कहा आपने!!
    इतने शरीफ लोगों को इस कदर बदनाम करना मानवता के खिलाफ है, सुन रही हो तीस्ता बहन, अब आप अपनी दुकान की एक शाखा तालिबानिस्तान माफ़ कीजिये पाकिस्तान में खोल लीजिये, दुकानदारी अच्छी चलेगी।
    :)
    मजेदार व्यंग्य

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