May 12, 2009

तोताराम के तर्क - ड्रीम जॉब


आज तोताराम आया तो कुछ उदास और नाराज़ था । बड़ी मिन्नतों के बाद बोला- मैं तो तुझे बड़ा भाई और अपना हितचिन्तक समझता था पर तुमने मेरे साथ धोखा किया है । सारे दिन कई-कई अख़बार चाटता रहता है पर मुझे नहीं बताया कि आस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड द्वीप में एक केयर टेकर की नौकरी निकली है । छः महीने के पचास लाख रुपये और रहना, खाना, घूमना और मौज-मज़ा मुफ़्त ! अब जब लास्ट डेट निकल गई तो पता चला कि इन शोर्ट लिस्टेड में दो भारतीय भी हैं । केयर टेकर में करना क्या पड़ता है । कुछ नहीं, घर की साफ़-सफाई करवादो । और मैं तो उस माकन में दो-चार किरायेदार रखकर पॉँच-सात लाख और कमा लेता ।

हमने कहा भइया, हमें भी आज ही ख़बर लगी है । हमने उसका दुःख दूर करने के लिए कहा- निराश होने की क्या बात है तोताराम, यह नौकरी तो मात्र छः महीने की ही थी और उसके बाद कोई पेंशन भी नहीं । अब तो अपने देश में ही चार-पाँच करोड़ सालाना आमदनी की पाँच सौ पैंतालीस नौकरियों की सूचना जारी हो गई है । और यदि महीने दो महीने बाद ही कम्पनी बंद भी हो जाए तो भी जिंदगी भर पेंशन पक्की ।

तोताराम की उत्सुकता जगी, बोला क्वालिफिकेशन क्या है ? हमने कहा- कुछ नहीं बस दलाली, हत्या, अपहरण, बलात्कार आदि का कुछ अनुभव होना चाहिए । तोताराम ने कहा- तो तेरा मतलब है कि एमपी का चुनाव लड़ लूँ । यह कम आसान नहीं है । पहले तो टिकट देने वाले ही दस-बीस लाख रखवा लेंगे । और फिर चुनाव में दो-चार करोड़ का खर्चा ऊपर से और फिर जीतने की कौनसी गारंटी है । हमने कहा- वैसे यह केयर टेकर वाला काम भी कोई आसान नहीं है पता नहीं कितना बड़ा द्वीप होगा । लोग तो सारे साधनों के बावजूद संसद, ताज होटल, क्रिकेट टीम, ट्रेड सेंटर आदि किसी की भी रक्षा नहीं कर सके । तू द्वीप की रक्षा कैसे करता ।

जैसे बदमाश बच्चे को कक्षा का मानीटर, गुंडे को नेता और धारा-प्रवाह गाली दे सकनेवाले को थानेदार बनने के उपयुक्त माना जाता है वैसे ही यह काम किसी भले आदमी का नहीं है । तुझे पता होना चाहिए कि उस पद के लिए किसी ओसामा बिन लादेन ने भी अप्लाई किया है । उसके होते कौन उपयुक्त पात्र हो सकता है । देख नहीं रहा , ज़रदारी सरकार की सुरक्षा वही कर रहा है । मुशर्रफ भी उसीकी कृपा से इतने दिन राज कर गए । उसके लिए ओसामा को सब जगह जाने की भी ज़रूरत भी नहीं है बस एक सूचना लिखवाना ही पर्याप्त है कि इसकी सुरक्षा का ठेका ओसामा के पास है । बस फिर कोई खतरा नहीं ।

तोताराम बोला - तो फिर चिदंबरम क्यों देश की सुरक्षा के लिए अरबों रुपये खर्च कर रहे हैं । दस-बीस अरब में देश की सुरक्षा ठेका ओसामा को ही क्यों नहीं दे देते ? सौदा सस्ता और गारंटीशुदा होगा ।

हमने कहा - सो तो ठीक है पर इसके लिए तो तुझे चिदंबरम जी से ही बात करनी पड़ेगी ।

६ मार्च २००९

पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)




(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।
Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication.
Jhootha Sach

No comments:

Post a Comment