अंदर
( बिग बॉस में शामिल हुए स्वामी अग्निवेश- ८ नवंबर २०११)
सुंदरियों में जा घुसे स्वामी अग्निवेश ।
दोनों को लज्जित किया - उम्र, संत का वेश ।
उम्र, संत का वेश, व्यंग्य में 'गर हँसती है ।
तो स्वामी सोचे सुन्दरि मुझ पर मरती है ।
जोशी कवि बौड़म ना कुछ समझा ना बूझा ।
इनमें चाकू कौन, कौन इनमें खरबूजा ।
बाहर
(अग्निवेश बिग बॉस से बाहर-११ नवंबर २०११ )
स्वामी अग्निवेश को बुरा न समझो कोय ।
ढाई अक्षर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय ।
पढ़े सो पंडित होय, सुन्दरी अगर पढ़ाए ।
तो स्वामी क्या लल्लू भी पंडित हो जाए ।
जोशी अंदर गए बहुत स्वामी जी तनकर ।
चौबे बाहर हुए फटाफट दुब्बे बनकर ।
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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कैसे स्वामी हैं ये..घिन आती है इन्हें देख कर...धन्य हैं इनके चेले चमचे...
ReplyDeleteनीरज
ये भी खूब रहे !
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