देव और दुर्दैव
जगह-जगह प्रचलित हुए देह दिखाऊ वस्त्र ।
कर्मों में श्रद्धा नहीं, देह हो गई अस्त्र ।
देह हो गई अस्त्र , देह से देव रिझाएँ ।
बदले में धन, पद पाकर चर्चित हो जाएँ
कह जोशी कविराय राह यह बहुत विकट है ।
शुरू-शुरू में मज़ा अंत में पर संकट है ।
१६-११-२०११
अज़ब गठजोड़
अखबारों में छप रहे रंडी एवं भाण्ड ।
या फिर चर्चित हो रहे भँवरा-भँवरी कांड ।
भँवरा-भँवरी कांड, मिलें सीडी पर सीडी ।
इनसे क्या सीखेगी सोचो अगली पीढ़ी ।
कह जोशी कविराय अज़ब गठजोड़ हो गया ।
लोकतंत्र की खुजली, नेता कोढ़ हो गया ।
१६-११-२०११
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
बहुत कुछ लिखा जा रहा है लेकिन कहते हैं कि ग़ालिब का है ’अंदाज-ए-बयां’ और.......!!
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