Dec 27, 2011

तोताराम और विज्ञान


तोताराम और हमारा विज्ञान से संबंध कुछ वैसा ही रहा जैसा कि मायावती और ब्राह्मणों का या कुत्ते और ईंट का या अबदुल्ला और राम मंदिर का या करुणानिधि और रामसेतु का ।

पहले आठवीं के बाद ही वैकल्पिक विषय शुरु हो जाते थे । हम दोनों ने ही गणित के डर से नवीं में साइंस नहीं ली, कोमर्स ली । किसी तरह पास होने लायक नंबर आ गए । उसी दौरान पता चला कि हम दोनों की ही बेलेंस शीट के दोनों तरफ से टोटल नहीं मिलते थे हालाँकि गुरु जी ने बता दिया था कि ऐसी स्थिति में सस्पेंस अकाउंट खोल देना । पढ़ाई में तो ठीक है मगर यदि वास्तव में ही कहीं नौकरी करते हुए ऐसा किया तो जेल तक हो सकती है । हम दोनों ने ही आर्ट्स में जाना ठीक समझा । वहाँ बड़ी सुविधा है कि हिंदी में भीम में दस हजार की जगह नौ हजार हाथियों का बल लिखने पर एक दो नंबर कटने से अधिक कुछ खतरा नहीं, या दोहे में चौबीस की जगह तीस मात्राएँ लिखने पर भी कोई फाँसी लगने वाली नहीं थी । सो इस तरह से हिंदी ने हमारा या हमने हिन्दी का उद्धार किया ।

आजकल विज्ञान का युग है । होता तो पहले भी था मगर आज उसके अलावा और किसी बात पर ध्यान नहीं दिया जाता फिर भले ही उस विज्ञान को पढ़ने वाला डाक्टर किसी को कमीशन के लालच में घटिया दवाएँ ही क्यों न लिख दे या इंजीनीयर उद्घाटन से पहले ही गिर जाने वाला पुल ही क्यों न बनाए । आज कोई भाषा और साहित्य की बात नहीं करता । संवेदना तो खैर, एक प्रगति विरोधी गुण मान ही लिया गया है ।

सो हम भी लोगों की देखादेखी विज्ञान शिक्षा के गिरते स्तर के लिए चिंतिति थे । तभी तोताराम आ गया । हमने कहा- तोताराम आजकल विज्ञान का स्तर बहुत गिर गया है । लोग केवल डिग्री लेने के लिए और फिर नौकरी पाने के लिए विज्ञान पढ़ते हैं इसीलिए हमारे यहाँ दूसरे देशों की तरह कोई खोज और आविष्कार नहीं होते ।

तोताराम ने अपना मौलिक तर्क दिया । इसका एक कारण तो यह है कि स्कूलों में विज्ञान की प्रयोगशालाएँ होती हैं । इससे भी विज्ञान का स्तर गिर रहा है । हमारे लिए यह एक नया ही तर्क था । हमने कहा- विज्ञान का तो आधार ही प्रयोग है । यदि बच्चा प्रयोग नहीं करेगा तो विज्ञान को समझेगा कैसे ? और नंबर भी कैसे मिलेंगे ।

वह कहने लगा- नंबरों के लिए तो विज्ञान के टीचर से ट्यूशन पढ़ना ज़रूरी है । यदि बच्चा ट्यूशन पढ़ता है तो टीचर अच्छे नंबर दिलवा ही देगा । और फिर प्रयोगशालाएँ दिखाने के लिए होती हैं या फिर उसके उपकरणों की खरीद में पैसा खाने के लिए होती हैं । उनका विज्ञान से कोई संबंध नहीं होता ।


यह फिर आश्चर्य में डालने वाली स्थापना । हमारे आग्रह किए बिना ही तोताराम ने बताया कि दुनिया का सबसे बड़ा वैज्ञानिक हुआ है आइंस्टाइन जिसने कभी प्रयोगशाला का मुँह नहीं देखा । और न्यूटन के लोग गुण गा रहे हैं उसके भी बहुत से सिद्धांत झूठे सिद्ध हो चुके हैं । मैंने कहीं पढ़ा है कि न्यूटन ने कहा था कि यदि किसी कारण से अचानक सूर्य समाप्त हो जाए तो उसी क्षण पृथ्वी अपने परिक्रमा मार्ग से विचलित हो जाएगी मगर आइंस्टाइन ने सिद्ध कर दिया कि नहीं, पृथ्वी को अपने मार्ग से विचलित होने में आठ मिनट लगेंगे क्योंकि सूर्य का प्रकाश भी पृथ्वी तक आठ मिनट में पहुँचता है और इससे तीव्र कोई प्रभाव नहीं हो सकता । अर्थात न्यूटन गलत । और सुन, न्यूटन ने पेड़ के नीचे अपनी प्रयोगशाला में सेब को ज़मीन पर गिरते हुए देखकर गुरुत्त्वाकर्षण का जो सिद्धांत दिया था वह भी झूठा सिद्ध हो गया है ।

अब तो हमारे आश्चर्य की सीमा नहीं रही । हमने कहा- हमने ऐसा कहीं नहीं पढ़ा । यह तो सर्वमान्य और सर्वसिद्ध सिद्धांत है । तोताराम ने कहा- यदि गुरुत्त्वाकर्षण के सिद्धांत को गलत सिद्ध कर दिया तो क्या देगा । हमने कहा- और तो क्या बताएँ मगर आज चाय के साथ पकौड़ी और गज़क भी खिलाएँगे ।

तो तोताराम ने कहा- देख, दिल्ली से जो साधन हमारे तक आने के लिए टपकते हैं वे हमारे तक न आकर बीच में ही कहाँ अटक जाते हैं ? हमने कहा- वे तो बंधु, पंचों, सरपंचों, एम.एल.ए., एम.पी., अधिकारियों और व्यापारियों तक ही रह जाते हैं ।

तोताराम ने जोर से ताली बजाई- तो बस, हो गया ना सिद्ध कि ऊपर से गिरने वाली चीजें धरती तक नहीं आतीं क्योंकि गुरुत्त्वाकर्षण का सिद्धांत गलत है । वैसे और भी बहुत सी चीजें ऊपर की तरफ ही जाती हैं जैसे कि तेल लगाने वाला अपने से ऊपर वाले को तेल लगाता है या नीचे की ली हुई रिश्वत या कमीशन ऊपर और बहुत ऊपर तक जाता है ।

हमारे पास कोई उत्तर नहीं था सो हमें चाय के साथ पकौड़ी बनवानी पड़ीं और गज़क बाज़ार से मँगवानी क्योंकि गज़क घर में नहीं थी । हमें अपने शर्त न हारने का विश्वास था इसलिए वैसे ही ताव में आ गए थे । खैर!

२२-१२-२०११

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

2 comments:

  1. वाह, कमाल की पोस्ट है जी! मज़ा आ गया।

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  2. बहुत ज्ञानी हैं आपके मित्र...

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