Jan 14, 2014

रिश्ता


तोताराम ने आते ही प्रश्न किया- सोनिया गाँधी तुम्हारी क्या लगती है ?

हँसी के मारे लड़खड़ाते चाय के कप को बचाते-बचाते हमने कहा- यह बात आज पैंतालीस बरस बाद पूछता है ? यह तो उसी दिन तय हो गया था जब वे अपने राजीव भाई की दुल्हन बनकर भारत आई थी | हालांकि उन्होंने भारत की नागरिकता सन १९८३ में ली मगर इससे क्या फर्क पड़ता है | अपने छोटे भाई को ब्याही तो हो गई भारत की बहू | हम तो आज भी उसे घर की बड़ी बहू मानते हैं | तभी तो विश्वास करके चाबी सौंप दी और हो गए निश्चिन्त | अब यह उसकी समझदारी पर निर्भर है कि वह झूठे भक्तों से बचकर, भारत की सामान्य जनता के स्वभाव, आकांक्षा, अपेक्षा और सीमाओं को समझते हुए उनकी कितनी सेवा करती है |

तोताराम बोला- तो फिर यह सलमान खुर्शीद क्या राहुल की उम्र का है जो उन्हें माँ बता रहा है और अपनी ही नहीं सारे भारत की |

हमने कहा- तोताराम, इसे अभिधा में नहीं, लक्षणा में ले | महात्मा गाँधी और नेहरू क्या उम्र के हिसाब से बापू या चाचा थे | लोग तो उन्हें आदर और प्यार से इस नाम से पुकारते थे | सुभाष चन्द्र बोस के कांग्रेस अध्यक्ष बनने को गाँधी जी ने पसंद नहीं किया इसलिए सुभाष ने कांग्रेस छोड़ दी | लेकिन वे देश के लिए गाँधी जी का महत्त्व जानते थे और उनका सम्मान करते थे |उन्होंने गाँधी जी को सम्पूर्ण श्रद्धा से 'बापू' नाम से संबोधित किया और वह भी भारत से दूर | यही कारण था कि इसे सारे देश ने स्वीकार कर लिया | गाँधी जी सदैव के लिए देश के ही नहीं, सारी दुनिया के बापू हो गए | मगर तेरे खुर्शीद में न तो इतनी श्रद्धा है और न ही उस स्तर का व्यक्ति है कि देश इसे सुने | ऐसे लोग इंदिरा-कालीन देवकान्त बरुआ की श्रेणी में आते हैं जो अपने से ज्यादा मज़ाक अपने तथाकथित श्रद्धेय का उड़वाते हैं | ये मतलब के लिए गधे को बाप और बाप को गधा बनाने वाले लोग हैं | इनकी बातों से सस्ते मनोरंजन के अलावा कुछ नहीं होना | ऐसे ही लोगों ने अटल, अडवाणी और वेंकैय्या नायडू को ब्रह्मा, विष्णु और महेश तथा वसुंधरा राजे को दुर्गा का अवतार बताया था | ऐसे लोग अपने श्रद्धालुओं को ले डूबते हैं और खुद डूबती नाव छोड़कर और कोई किनारा देख लेते हैं |

बोर होते हुए तोताराम ने कहा- अच्छा, छोड़ इस पुराण को | घोड़ा खाए घोड़े के धणी को | तू तो यह बता यदि कोई अपने को सम्मानित और सम्बोधित करे तो किस तरह करेगा ?

हमने कहा- सत्तर से भी अधिक बरस ले लिए इस देवभूमि में रहते हुए और तुझे अब तक समझ नहीं आया कि भले और आम आदमी की हालत, यहीं क्या कहीं भी एक जैसी ही है | वह तो गरीब की जोरू है जिसे कोई भी छेड़ ले । बेचारी उम्र में कितनी भी बड़ी या छोटी हो मगर रहती है हर लफंगे की भाभी ही ।

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कुछ अन्य शीर्षक - 

  • रिश्ता वही जो सलमान खुर्शीद बनाये
  • रिश्ते ही रिश्ते, एक बार मिल तो लें
  • रिश्ते में हम तुम्हारी माँ लगती हैं
  • मतलब के रिश्ते और रिश्ते का मतलब 


१२ दिसंबर २०१३

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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