Dec 30, 2015

सफ़ेद बाल

 सफ़ेद बाल

प्रिय ओबामा जी
वैसे तो यदि हमसे दस-बारह साल छोटे मोदी जी आपको बराक कह सकते हैं तो हम भी इसी तरह संबोधित  कर सकते हैं लेकिन हम इतने फ़ास्ट नहीं हैं |अब देखिए ना, वे बारह महीने में सारी दुनिया का चक्कर लगा आए और एक हम हैं कि सीकर में बैठे-बैठे एक साल निकाल दिया और लेखन का यह हाल है कि एक साल में यह दूसरा पत्र है |

आप एक साल बाद भूतपूर्व हो जाएंगे | जब तक कोई स्केंडल न हो तो भूतपूर्वों को मीडया घास नहीं डालता |जब कोई सत्ता में हो तो छींकने, खाँसने तक के समाचार आते हैं |२० नवम्बर २०१५ को आपने किसी कार्यक्रम में कहा था कि २००९ में जब राष्ट्रपति बना था तो एक भी बाल सफ़ेद नहीं था और अबअधिकतर बाल सफ़ेद हो गए हैं लेकिन मैं बूढ़ा नहीं हूँ |मेरी कैबिनेट के बहुत से लोग बाल रंगते हैं लेकिन मैं नहीं रंगता |

हालाँकि कि लम्पटता का उम्र और बालों के रंग से कोई संबंध नहीं है |८५ साल तक के महामहिमों को लम्पटता के चलते जूते खाते देखा, महाभियोग का सामना करते और रोते देखा है |एक बार आप भी जब जापान में तीए, चौथे या  उठाले में गए तो किसी सुन्दर चेहरे के साथ सेल्फी लेने से अपने को रोक नहीं सके थे |मैडम नाराज़ भी हुई थीं |खैर, अच्छा हुआ, आप जल्दी ही सँभल गए |

उम्र से पहले जब बाल सफ़ेद हो जाते हैं तो आदमी को अन्दर-अन्दर ही थोड़ा अखरता तो है |आपकी तो अभी उम्र ही क्या है ?हमारे बच्चों के बराबर | कवि केशव का किस्सा है जिन्होंने कहा है-

केशव केशनि  अस करी जस अरि हू न कराहिं |
चन्द्र बदनि मृग लोचनी बाबा-बाबा कही कही जाहिं ||
वे अपनी उम्र जानते थे,बाल भी नहीं रँगते थे | केशों के सफ़ेद होने का दुःख इसलिए कि सुंदरियां सफ़ेद केशों के कारण, डीयर की जगह बाबा कह देती हैं |

हमने तो ऐसे-ऐसे बूढों को बाल रंगते देखा है जिनके न मुँह में दांत और न पेट में आंत |लकड़ियाँ श्मशान में पड़ी हैं, बोलते हैं तो चेहरा गुगली हो जाता है |वास्तव में बाल रँगना लम्पटता है, धोखा देने का इरादा है |लेकिन हमारी समझ में नहीं आता कि धोखा किसे देते हैं ये लोग |पत्नी को आपकी मर्दानगी और उम्र दोनों को पता है और  भगवान तो सब कुछ जानता ही है |सही समय पर यमदूतों को भेज देगा |वह यह नहीं सुनेगा कि अभी तो मेरे सारे बाल सफ़ेद हैं, अभी तो मेरी उम्र ही क्या है, अभी क्यों लिए जा रहे हो ?बाल रँगकर जवान दिखने का भ्रम अमरीका ही नहीं भारत में भी कम नहीं है |यहाँ बाल रँगने का प्रतिवर्ष २७००० करोड़ का बाजार है |जो लम्पटता के कारण बढ़ता ही जाएगा |चरित्र न सही, अर्थव्यवस्था तो सुधरे |

हमें तो बाल रँगने का कभी साहस ही नहीं हुआ |अपने अंतरतम को उजागर करना हर एक के वश का नहीं होता |हमारा तो आपसे कहना है कि अब एक साल के लिए इस चक्कर में नहीं पड़िएगा |यह ससुर ऐसी बीमारी है कि मर्ज़ बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की |एक बार रंग लो तो जो दो चार काले बचे हैं वे भी सफ़ेद हो जाते हैं | हमारे यहाँ तो कहा जाता है- काले कर्म के और धौले धर्म के मतलब  कर्म करते हुए अपने बालों को सफ़ेद कीजिए |यही धर्म है |जिनके बाल बिना कर्म किए सफ़ेद हो जाते हैं उनके लिए ही कहा जाता कि बाल धूप में सफ़ेद किए हैं |

हमें बहुत से लोग और किसी नहीं तो, कम से कम इसलिए विश्वसनीय लगते हैं कि वे बाल नहीं रँगते जैसे अटल बिहारी, आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, जसवंत सिंह, यशवंत सिन्हा,नरेन्द्र मोदी,अमित शाह, प्रकाश कारत, सीताराम येचुरी और आप |

अब तो अगले साल फ्री हो जाएंगे, लगा जाइए एक चक्कर भारत का |पिछली बार आए थे प्रदूषण के डर से प्रेम का प्रतीक आगरा का ताज नहीं देखा था लेकिन अब मोदी जी ने आपको पेरिस सम्मेलन में समझा दिया है और यहाँ सफाई अभियान भी ज़ोरों से चल रहा है इसलिए अबकी बार पर्यावरण संबंधी समस्या नहीं आएगी |समस्याएँ चाहे वे सुरक्षा की हों या साफ़ हवा की, वे सब कुर्सी पर बैठे लोगों के लिए होती हैं |भूतपूर्व होने पर तो सब धान बाईस पसेरी हो जाता है |

हाँ, उस ट्रिप में यदि दिल्ली भी आना हो तो दो गाड़ियां लाइएगा क्योंकि यहाँ 'सम-विषम' का चक्कर चल रहा है |मतलब एक उस नंबर की जिसमें दो का भाग लग जाए और एक वह जिसमें दो का भाग न लगे |और यदि दिसंबर में आएंगे तो ५० करोड़ रुपए का 'सैफई-महोत्सव' भी देख सकेंगे |आपके यहाँ तो पूंजीवाद है |आपको क्या पता कि समाजवाद क्या होता है ? इसे देखकर आपको लोहिया जी के समाजवाद की जानकारी भी हो जाएगी |

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