Sep 8, 2016

शरारती बन्दर : संसद के अन्दर

 शरारती बन्दर : संसद के अन्दर 

समाचार पढ़ा- संसद की लाइब्रेरी में बन्दर घुसा, वहाँ उसने आधा घंटा बिताया | 

बन्दर वास्तव में बहुत खुराफाती जीव होता है | तभी कहा गया है- बन्दर की बला तबेले के सिर | करे कोई भरे कोई |और फिर यह भी कहा गया है कि बन्दर के हाथ में उस्तरा | पता नहीं क्या कर बैठे ? आजकल तो लोकतंत्र है और बंदरों के हाथ में उस्तरा ही क्या, देश आ गया है | पता नहीं, क्या कर बैठेंगे | भगवान ही मालिक है |

एक फिल्म थी सत्यकाम और उसका गाना था- आदमी है बन्दर, रोटी उठा के भागे, कपड़ा चुरा के भागे, कहलाए वो सिकंदर |

वाकई में ऐसा ही ज़माना आ गया है कि जो दूसरों का रोटी-कपड़ा चुरा कर भागता है वही बन्दर सिकंदर कहलाता है |बाकी अपनी मेहनत की कमाई खाने वाला तो आदमी होते हुए भी गधा ही कहलाता है जो जी.एस.टी. में अब बीस परसेंट टेक्स देगा और खाएँगे टेक्स न देने वाले और ये बन्दर |

जैसे ही तोताराम आया, हमने कहा- तोताराम, अब तक तो बन्दर रोटी-कपड़ा उठाकर भागते थे अब तो ये संसद में पहुँच गए हैं और कल तो एक बन्दर संसद की लाइब्रेरी में घुस गया और वहाँ कोई आधे घंटे रहा और फिर वापिस चला गया | बंदरों से निबटना तो रावण की सेना के वश में भी नहीं था तो संसद में कौन सूरमा भोपाली बैठे थे जो इस बन्दर से बचाते | वहाँ तो सब बुलेट प्रूफ शीशे के पीछे से दहाड़ने वाले वाक्वीर हैं | 
हमें तो यही चिंता हो रही है कि कहीं यह बन्दर संविधान में ही तो कोई खतरनाक संशोधन न कर गया हो |

बोला- संविधान को कौन पढ़ता है और कौन आचरण करता है संविधान के अनुसार ?
सब जाति-धर्म और परिवार-पार्टी से आगे सोच ही नहीं पाते |और पार्टी के बारे में भी तभी तक सोचते हैं जब तक पार्टी उन्हें देश का खज़ाना लूटने की छूट देती रहती है अन्यथा तो आत्मा को दूसरी पार्टी में जाने के लिए आवाज़ देने में कितनी देर लगती है |

हमने कहा- तोताराम फिर भी संविधान हमारी कुरान है, बाइबल है, गीता है | आज भी इसके बल पर ही यह देश टिका हुआ है | कभी न कभी समझ में आने पर और मौका लगने पर यह अनपढ़ जनता भी इन बंदरों को इनकी सही जगह दिखा देती है |

तोताराम कहने लगा- सच पूछे तो मुझे इन बंदरों से सबसे बड़ा डर यह लगता है कि ये देश का इतिहास बदलने में लगे हुए हैं |और जब किसी देश का इतिहास इस तरह से बदल दिया जाता है कि वह सबक लेने की चीज होने की बजाय एक दूसरे से लड़ने के बहाने खोजने लगता है तो फिर उस देश को नष्ट होने से कोई नहीं बचा सकता |पाकिस्तान को देखा नहीं- जिसका इतिहास सिन्धु घाटी की सभ्यता से शुरू होना चाहिए था वह मोहम्मद बिन कासिम से शुरू होता है |और फिर कट्टरता के जंगल में भटकता-भटकता शिया-सुन्नी, अहमदिया-मुहाजिर आदि में बँटकर अपने ही कपड़े फाड़ता और लहू-लुहान होता रहता है |यदि ये बन्दर इसी तर्ज़ पर इतिहास से छेड़छाड़ करते रहे तो भारत का हाल भी पाकिस्तान जैसा हो जाएगा | 

इन बंदरों से तो दुश्मनी और दोस्ती दोनों बुरी | बया ने इन्हें बरसात से बचने के लिए अपना घर बनाने की शिक्षा दी तो उसका बेचारे का घर ही तोड़ दिया |और जिस राजा ने इसे अपना सेवक नियुक्त किया उसके नाक पर बैठी मक्खी उड़ाने के लिए तलवार से बेचारे राजा की नाक ही काट डाली |

हमने कहा- तोताराम, अभी तक तो इस देश की जनता के पास अपनी साझी विरासत बची हुई है लेकिन जैसे रस्सी यदि बार-बार आती-जाती रहे तो पत्थर पर भी निशान बन जाते हैं, अतिशय रगड़ करने से चन्दन से भी आग पैदा हो जाती है  | आशा करनी चाहिए कि चन्दन से आग पैदा होने से पहले ही जनता इन बंदरों को इनकी असली जगह दिखा देगी | 

बोला- लेकिन हनुमान जी भी तो बन्दर थे और बन्दर-भालुओं के बल पर ही तो राम ने रावण जैसे महाबली को हरा दिया था |

हमने कहा- लेकिन वे बन्दर समर्पित थे |ये तो ऐसे बदमाश बन्दर हैं जो लंका जाएँगे ही नहीं,  इधर-उधर घूमघाम कर आ जाएँगे और टी.ए.;डी.ए. का झूठा बिल बना देंगे |

















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